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छठ पर्वबिहार और उत्तर प्रदेश में हिन्दुओं के लिए एक अहम पर्व है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में प्रत्येक व्रती को लगभग तीन दिन का व्रत रखना होता है जिसमें से दो दिन तो निर्जल व्रत रखा जाता है. आइए जानें छठ पर्वके बारे में कुछ विशेष बातें.
उत्तर भारत में मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व छ्ठ
छठ पर्वबिहारियों समेत समस्त हिन्दुओं के लिए एक अहम पर्व है. यू.पी, बिहार, पूर्वांचल समेत भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाने वाला यह त्यौहार आज लोकपर्व से महापर्व बन गया है. छठ पर्व (Chhath Festival) के दिन समूचा बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश गंगा के तट पर बसा प्रतीत होता है. इस त्यौहार को देश-विदेश की उन जगहों पर भी मनाया जाता है जहां पर बिहार और पूर्वी यू.पी के लोग बसे हुए हैं.
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सूर्य भगवान की पूजा की जाती है
भगवान सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं, वे संपूर्ण जगत की अंतरात्मा हैं, सर्वत्र व्याप्त हैं. ऐसी मान्यता है कि सूर्योपासना कर जो भी मन्नतें मांगी जाती हैं वे पूरी होती हैं और सारे कष्ट दूर होते हैं, इसलिए छठ पूजा पर कार्तिक षष्ठी के दिन सूर्य भगवान के डूबते स्वरुप को अर्घ दिया जाता और सप्तमी के दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ देने के साथ ही यह व्रत पूर्ण होता है.
भगवान सूर्य की अराधना और उपासना का संकेतक यह पर्व निष्टा, शुद्धता और पवित्रता का भी प्रतीक है. सूर्य की दो दिन की उपासना कर लोग अपने संयम और भक्ति का प्रमाण देकर भगवान से कल्याण की प्राथना करते हैं.
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स्पेशल ट्रेन
पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में मनाया जाने वाले छठ पर्व के दौरान सरकार स्पेशल ट्रेने भी चलाती है. ज्यादातर ट्रेनें उत्तर रेलवे मंडल द्वारा चलाई जाती है. इस दौरान उत्तर भारत के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर भारी भीड़ देखने को मिलती है.
क्या है मान्यता
छठ महापर्व का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है और अथर्ववेद में भी इस पर्व का उल्लेख है. यह ऐसी पूजा विधान है, जिसे वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी माना गया है. ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से की गई इस पूजा से मानव की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. माताएं अपने बच्चों व पूरे परिवार की सुख-समृद्धि, शांति व लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं.
ठेकुआ बनाने के परंपरा
छठ पर्वमें पारम्परिक व्यंजन ‘ठेकुआ’ बनाने की परंपरा है. इसे गेहूं के मड़े हुए आटे को विभिन्न आकारों में काटकर बनाया जाता है. इसके लिए काष्ठ के सांचों का भी प्रयोग किया जाता है. तत्पश्चात्त इसे गाढ़े भूरे रंग का होने तक तला जाता है. तलने के बाद यह अत्यन्त कुरकुरा हो जाता है. इसे पूजा में प्रसाद के रूप में उपयोग किया जाता है. पश्चिम के देशों में लोकप्रिय व्यंजन “कुकी” की भांति ही इसमें घर का बना मक्खन, बहुत सा गुड़ तथा नारियल डाला जाता है.
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छठ पर्वके कड़े नियम
हिंदु त्यौहारों में छठ पर्व को निष्टा, शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना गया है. इस पर्व में की गई एक भी गलती को बहुत ही बड़ा पाप माना जाता है. इसलिए देखा गया है कि भक्तजन बहुत ही सावधानी से छठ पर्व के नियमों का पालन करते हैं.
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