- 1020 Posts
- 2122 Comments
“उठो मेरे शेरों, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो, तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, ना ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो”. युवाओं के के लिए यह संदेश और कोई नहीं महान विचारक और हिन्दू धर्म के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली आध्यात्मिक नेता स्वामी विवेकानन्द ने दिया था. आज विवेकानंद की जयंती है जिसे पूरे देशभर में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है.
वास्तव में यह दिवस भारत के युवा स्वप्नों का साकार दिवस है. यह दिवस संपूर्ण राष्ट्र को संचालित करने वाले तंत्र में युवाओं की भूमिका के साथ ही राष्ट्र के भविष्य की दिशा को प्रतिबिंबित करने का दिवस भी है. विवेकानंद ने देश के युवाओं के लिए कहा था कि हमें कुछ ऐसे युवा चाहिए जो देश की खातिर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तैयार हों. आज भारत में 13 से 35 आयु वर्ग की कुल जनसंख्या 50 करोड़ से भी ज्यादा है. देश के यही युवा अपनी परंपरागत छवि के आवरण को उतारकर न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना रहे हैं.
Read: आप का अभ्युदय भारतीय राजनीति में इतिहास का दुहराव है
युवाओं के प्रेरणास्त्रोत, समाज सुधारक स्वामी विवेकानंद ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा था कि निराशा, कमजोरी, भय तथा ईर्ष्या युवाओं के सबसे बड़े शत्रु हैं. युवाओं का उससे भी बड़ा शत्रु स्वयं को कमजोर समझना है. विवेकानंद ने युवाओं को जीवन में लक्ष्य निर्धारण करने के लिए स्पष्ट संकेत दिया कि तुम सदैव सत्य का पालन करो, विजय तुम्हारी होगी.
स्वामी विवेकानंद के विचारों को केंद्र में रखकर युवाओं की वर्तमान दशा-दिशा बदल सकती है इसलिए आइए उनके विचारों पर थोड़ा प्रकाश डालते हैं.
1. उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए.
2. अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाए उतना बेहतर है.
3. उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता.
4. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते.
5. हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण हैं. विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं.
6. विश्व एक व्यायामशाला है जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं.
7. खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है.
8. कुछ सच्चे, ईमानदार और ऊर्जावान पुरुष और महिलाएं; जितना कोई भीड़ एक सदी में कर सकती है उससे अधिक एक वर्ष में कर सकते हैं.
9. एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ.
10. शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से जो कुछ भी कमजोर बनता है, उसे जहर की तरह त्याग दो.
11. बस वही जीते हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं.
12. सच्ची सफलता और आनंद का सबसे बड़ा रहस्य यह है: वह पुरुष या स्त्री जो बदले में कुछ नहीं मांगता, पूर्ण रूप से निःस्वार्थ व्यक्ति, सबसे सफल है.
13. सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना. स्वयं पर विश्वास करो.
Read more:
Read Comments