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यह किसी कलाकार के लिए बड़े ही गर्व की बात है कि आज भी उसकी चर्चा देशभक्ति गीतों के लिए की जाती है. महेन्द्र कपूर आजाद भारत के एक ऐसे बेमिशाल गायक थे जिनके नगमों को आज भी राष्ट्रीय दिवस के मौके पर गुनगुनाया जाता है. अपने गीतों से कई पीढ़ियों को सम्मोहित करने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी महेन्द्र कपूर ने कुछ ऐसे आवाज दिए हैं जो सीधे देशप्रेमियों के मर्म को छूते हैं. इसमें शामिल हैं…
मेरे देश की धरती सोना उगले – उपकार (1967)
मेरा रंग दे बसंती चोला – शहीद (1965)
भारत का रहने वाला हूं – पूरब और पश्चिम (1970)
अब के बरस तुझे – क्रांति (1981)
देशभक्ति फिल्मों से अपनी अलग पहचान बनाने वाले बॉलीवुड के ‘भारत’ मनोज कुमार के साथ उनकी वैसी ही जोड़ी बनी, जैसी राजकपूर के लिए मुकेश और राजेश खन्ना के लिए किशोर कुमार की थी. दोनों ने साथ मिलकर कई फिल्मों में काम किया है, जिनमें ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘क्रांति’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’ आदि शामिल हैं. अगर कहा जाए कि मनोज कुमार की पहचान में महेन्द्र कपूर का एक बड़ा योगदान है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.
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वैसे महेंद्र कपूर को हर मूड का गायक माना जाता था. उन्हें न केवल देशभक्ति गानों से प्रेम था बल्कि प्यार से भरे हसीन नगमे भी मदहोश होकर गाते थे. निर्माता-निर्देशक बी. आर. चोपड़ा के बैनर तले बनी अधिकतर फिल्मों के गीतों में उन्होंने अपनी आवाज दी. ‘धूल का फूल’, ‘गुमराह’, ‘वक्त’, ‘हमराज’ और ‘धुंध’ आदि में गाए हुए महेन्द्र कपूर के गीत बेहद लोकप्रिय हुए.
महेन्द्र कपूर का जीवन
पंजाब के अमृतसर में 9 जनवरी, 1934 को जन्में महेन्द्र कपूर किशोरावस्था में मोहम्मद रफी के दीवाने थे. बचपन से ही वह उस दौर के प्रसिद्ध पार्श्व गायक मोहम्मद रफी से प्रेरित थे और उन्होंने पंडित हसनलाल, पंडित जगन्नाथ बुआ, उस्ताद नियाज अहमद खान, उस्ताद अब्दुल रहमान खान और पंडित तुलसीदास शर्मा जैसे जाने-माने शास्त्रीय गायकों से शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू कर दिया.
मोहम्मद रफी, किशोर कुमार, मुकेश, मन्ना डे, तलत महमूद, हेमंत कुमार जैसे बेमिशाल गायकों के दौर में अपनी पहचान बनाने वाले महेन्द्र कपूर का दिसंबर 2008 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.
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