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आज हम जिस विशाल भारत को देखकर गर्व महसूस करते हैं उसकी कल्पना बिना वल्लभ भाई पटेल के शायद पूरी नहीं हो पाती. सरदार वल्लभ भाई पटेल एक ऐसे इंसान थे जिन्होंने देश के छोटे-छोटे रजवाड़ों और राजघरानों को एक कर भारत में सम्मिलित किया. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की जब भी बात होती है तो सरदार पटेल का नाम सबसे पहले ध्यान में आता है. उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति, नेतृत्व कौशल का ही कमाल था कि 600 देशी रियासतों का भारतीय संघ में विलय कर सके.
लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल
सरदार पटेल भारत के देशभक्तों में एक अमूल्य रत्न थे. अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल को आधुनिक भारत का शिल्पी कहा जाए तो यह गलत ना होगा. इस मितभाषी, अनुशासनप्रिय और कर्मठ व्यक्ति के कठोर व्यक्तित्व में विस्मार्क जैसी संगठन कुशलता, कौटिल्य जैसी राजनीतिक सत्ता तथा राष्ट्रीय एकता के प्रति अब्राहम लिंकन जैसी अटूट निष्ठा थी.
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सरदार पटेल का व्यक्तित्व
सरदार पटेल एक सच्चे देशभक्त थे जो वर्ण-भेद और वर्ग-भेद के कट्टर विरोधी थे. उनमें कई ऐसे गुण थे जो उन्हें एक आदर्श शख्सियत बनाते थे जैसे अनुशासनप्रियता , अपूर्व संगठन-शक्ति, शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता. गांधीजी के कुशल नेतृत्व में सरदार पटेल का स्वतन्त्रता आन्दोलन में योगदान उत्कृष्ट एवं महत्त्वपूर्ण रहा है. आजादी के बाद अपने कठोर इच्छाशक्ति के बल पर ही उन्होंने देश की विभिन्न रियासतों का विलीनीकरण किया.
विश्व की सबसे उंची प्रतिमा
गुजरात में नर्मदा नदी में ‘लौह पुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल की विश्व की सबसे उंची प्रतिमा(182 मीटर) स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है. इसका घोषणा की जा चुकी है. प्रतिमा न्यूयॉर्क स्थित स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी (46 मीटर उंची) से चार गुना ऊंची होगी. यह पांच साल में करीब 2500 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होगी. इसका नाम स्टेचू ऑफ यूनिटी रखा गया है.
हाल में चुनावी महौल में लौहपुरुष वल्लभभाई पटेल पर राजनीति बड़े ही जोरों से चल रही थी. लौहपुरुष वल्लभभाई पटेल को बीजेपी और कांग्रेस अपना करीबी बताने में जुटी थे. लेकिन ये पार्टियां शायद भूल चुके हैं कि इस तरह के महापुरुष किसी पार्टी विशेष के नहीं बल्कि संपूर्ण देश के होते हैं?
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