Menu
blogid : 3738 postid : 659818

भोपाल गैस कांड: जख्म जो अभी तक नहीं सूखे

Special Days
Special Days
  • 1020 Posts
  • 2122 Comments

भोपाल कांड (Bhopal Gas Tragedy) देश के इतिहास पर सबसे बड़ा बदनुमा दाग है जिसकी वजह से आज भी भोपाल की हवा में जहर का अनुभव होता है. यूनियन कार्बाइड के भोपाल स्थित प्‍लांट से दो और तीन दिसंबर 1984 को रिसी जहरीली गैस ने हजारों लोगों की जान ले ली थी. इस घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए शपथ पत्र में मरने वालों की संख्या 5295 बताई गई जबकि राज्य सरकार ने एक अन्य याचिका में मरने वाले लोगों की संख्या 15248 बताई है. इस तरह उक्त आंकड़ों को देखें तो विरोधाभास झलक रहा है. यही नहीं इस हादसे में बीमार होने वाले लोगों के आंकड़ों की संख्या में भी संशय के बादल हैं. 2004 तक साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोग इस गैस रिसाव के कारण बीमारी की चपेट में आए जिनका इलाज जारी है. इस घटना की जांच से पता चलता है कि कंपनी, अफसरों और नेताओं ने नियमों को ताक पर रखकर अपने निजी फायदे के लिए लोगों को मौत के मुंह में ढ़केल दिया.


bhopal gas tragedyबात वर्ष 1977 की है जब यूनियन कार्बाइड कंपनी का भोपाल में जबरदस्त स्वागत किया गया था. इसका कारण यह था कि कंपनी देश में रोजगार सृजन, विदेशी मुद्रा में बचत की सौगात लेकर प्रकट हुई थी. हरित क्रांति के कारण देश में कीटनाशकों की जबरदस्त मांग बढ़ी थी और यह कंपनी इस मांग की पूर्ति में सक्षम थी. यूनियन कार्बाइड कारखाने में कारबारील, एल्डिकार्ब और सेबिडॉल जैसे खतरनाक कीटनाशकों का उत्पादन होता था. संयंत्र में पारे और क्रोमियम जैसी दीर्घस्थायी और जहरीली धातुएं भी इस्तेमाल होती थीं.


यह ढोंग कब तक काम आयेगा?


वैसे कंपनी की लापरवाही से वर्ष 1984 का विनाशक गैस कांड पहली त्रासदी नहीं थी, इसके पहले भी वहां प्लांट से गैस का रिसाव हो चुका था, जिसमें एक ऑपरेटर की मौत भी हो चुकी थी. लेकिन इस हादसे को नजरअंदाज कर दिया गया था. दूसरी ओर भोपाल के म्युनिसिपल कॉरपोरेशन द्वारा कंपनी को भोपाल से बाहर निकलने का नोटिस भी दिया गया था, लेकिन नोटिस देने वाले अधिकारी का स्थानांतरण हो गया और कंपनी ने कॉरपोरेशन को 25 हजार रुपये की राशि प्रदान कर दी. वर्ष 1982 में यूनियन कार्बाइड को मिली चेतावनियों के मद्देनजर अमेरिका के तीन विशेषज्ञों ने भोपाल स्थित प्लांट पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा भी लिया. उन्हें वहां कई खामियां भी मिलीं, लेकिन मसले को दबा दिया गया. आगे सबको मालूम ही है. यूनियन कार्बाइड और कुछ नेताओं के खेल ने हजारों जिंदगियां बर्बाद कर दी. इसका हिसाब किसी के पास नहीं है.


लगभग आठ लाख की आबादी वाले शहर भोपाल को देखते देखते गैस चैंबर में तब्दील करने वाली अमरीकी बहुराष्ट्रीय कंपनी यूनियन कार्बाइड के आला अफसरों के साथ साथ मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों तथा राज्य के बड़े-बड़े नौकरशाहों का हाथ बताया गया. राजीव गांधी पर आरोप है कि उन्होंने आरोपियों को बचाने की कोशिश की. जानकार मानते हैं कि मध्य प्रदेश पुलिस की कैद से यूनियन कार्बाइड के प्रमुख वारेन एंडरसन को ‘दिल्ली’ के दबाव से 8 दिसंबर, 1984 को रिहा किया गया. और यह दिल्ली का दबाव किसी और का नहीं उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गांधी का माना जाता है.


दिल्ली चुनाव: 2 अप्रैल से 1 दिसंबर तक क्या कहते हैं सर्वे


1999 में डाउ केमिकल ने यूनियन कार्बाइड को 11 अरब 60 करोड़ डॉलर में खरीदने का समझौता किया. 2001 में डाउ केमिकल दुनिया की बड़ी केमिकल कम्पनियों मे से एक हो गई. जब यूनियन कार्बाइड का अधिग्रहण डाउ केमिकल्स द्वारा किया गया तो जाहिर है कि उसके सारे आर्थिक और सामाजिक लाभों का उसने भरपूर इस्तेमाल किया होगा, लेकिन न्यायिक तौर पर यदि देखें तो क्या वह उन नकारात्मक प्रभाव के लिए भी उतना ही जिम्मेदार नहीं है, जितना यूनियन कार्बाइड उस समय थी. हालांकि यह सिद्ध हो चुका है कि यूनियन कार्बाइड कंपनी उस भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार है, जिसमें हजारों मासूमों की जान चली गई थी. तब यह डाउ केमिकल्स की कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह पीडि़तों को निर्धारित मुआवजा दे.


दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी और 15 हजार से ज्यादा जानें छीनने वाली व पांच लाख से ज्यादा लोगों को अपने घातक जद में लेने वाली इस नरसंहारक घटना पर दी जाने वाली मुआवजा को लेकर आज भी विवाद चल रहा है. मुआवजा, इलाज, रोजगार, जहरीले रसायनों की सफाई जैसे मसलों पर आज भी सभी राजनीतिक पार्टियों का एक ही दृष्टिकोण है. घटना के इतने साल बाद भी राज्य और केंद्र सरकार के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया. भोपाल गैस पीडितों को आज भी न्याय की दरकार है.


Read more:

यादें जो दर्द देती हैं – भोपाल गैस त्रासदी

क्या भोपाल कांड के दोषियों के मददगार थे राजीव गांधी ?

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh