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एक अभिनेता की पहचान जब उसके माता-पिता से होती है तब समझ लेना चाहिए कि वह अभिनेता संघर्ष के दौर से गुजर रहा है. उसे भले ही फिल्में मिलती हो लेकिन वह अपने आप को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित नहीं कर पाता. धीमे-धीमे, लेकिन सधे कदमों से इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने वाले अभिनेता प्रतीक बब्बर का हाल भी कुछ ऐसा ही है. हिन्दी सिनेमा की बेहतरीन अभिनेत्री स्वर्गीय स्मिता पाटिल और अभिनेता व राजनेता राज बब्बर के बेटे प्रतीक ने अभी तक छह फिल्में की है लेकिन अभी भी पहचान नहीं बना पाएं हैं. हालांकि फिल्म धोबी घाट और आरक्षण में प्रतीक बब्बर का रोल बेहतरीन रहा है लेकिन इन फिल्मों में मुख्य कलाकार ही बाजी मार गए.
प्रतीक बब्बर का जन्म 28 नवंबर, 1986 को हुआ था. उनकी मां स्मिता पाटिल का देहांत उनका जन्म होने के बाद ही हो गया. प्रतीक बब्बर ने अपने कॅरियर की शुरूआत विज्ञापन निर्माता प्रह्लाद कक्कड़ के सहायक के रूप में की. उनके साथ उन्होंने विज्ञापन जगत की बारीकियों के साथ अभिनय के गुण को भी सीखा.
प्रतीक बब्बर ने उनके साथ मिलकर कई विज्ञापनों में काम भी किया जिसमें प्रमुख था चॉकलेट पर्क का विज्ञापन. प्रतीक बब्बर को अभिनय में पहला मौका मिला आमिर खान के प्रोडक्शन में बनी फिल्म “जाने तू या जाने ना” से. इस फिल्म में वह अभिनेत्री जेनिलिया के भाई थे और उन्होंने अपने किरदार को बेहतरीन रूप दिया था. इस फिल्म के बाद प्रतीक बब्बर किरण राव की फिल्म “धोबी घाट” में लीड रोल में दिखे हालांकि फिल्म हिट नहीं हुई पर समीक्षकों ने प्रतीक बब्बर के अभिनय की बहुत सराहना की.
प्रतीक बब्बर ने 2011 में आई “आरक्षण” और “दम मारो दम” जैसी फिल्मों में अपने सशक्त अभिनय से सबको दीवाना बना चुके हैं. उनकी हाल की फिल्मों में “एक दिवाना था“ और “इश्क“ जैसी फिल्मों थी जो पर्दे पर धमाल मचाने से वंचित रही. उम्मीद है आने वाले समय में वह भी अपने माता-पिता की तरह नाम कमाएंगे और सिनेमा जगत को रोशन करेंगे.
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