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आज फिल्मों में अभिनय करने वाले कलाकारों को बहुत ही बढ़ा-चढ़ाकर पर्दे पर पेश किया जाता है लेकिन सत्तर के दशक में ऐसा नहीं था. उस समय लोग कलाकारों को देखकर खुद को उनमें पाते थे. सामान्य से दिखने वाले हिंदी सिनेमा के नायक अमोल पालेकर ऐसे ही एक कलाकार हैं जिन्होंने साधारण सी फिल्में करके आम लोगों पर गहरी छाप छोड़ी है.
अमोल पालेकर का जीवन
आमोल पालेकर का जन्म 24 नवंबर, 1944 को हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा मुंबई के सर जेजे स्कूल ऑफ आर्टस से पूरी की. यहीं से उनका थियेटर सफर शुरू हुआ. थियेटर से उन्हें इतनी प्रसिद्धि मिली कि उन्हें फिल्मों में भी काम मिलने लगा. अमोल पालेकर को एक ट्रेंड सेटर माना जाता है. उन्होंने हिन्दी सिनेमा को कई नए रास्ते दिखाए.
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अमोल पालेकर का फिल्मी सफर
अमोल पालेकर ने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत एक मराठी फिल्म से की. इसके बाद साल 1974 में उन्हें बसु चटर्जी की रजनीगंधा में काम करने का मौका मिला और इसके बाद तो उन्हें जैसे आम आदमी का आइना मान लिया गया. उन्होंने अधिकतर फिल्मों में कॉमेडियन किरदार किए जो आम आदमी की मनोदशा को दर्शाते थे. उनकी कुछ बेहद सफल फिल्में गोलमाल, नरम-गरम, घरौंदा, बातों-बातों, छोटी सी बात आदि शामिल है. फिल्म गोलमाल के लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया.
सिर्फ अभिनय ही नहीं अमोल पालेकर ने बतौर निर्देशक भी कई फिल्में बनाईं जिनमें कच्ची धूप, नकाब और पहेली जैसी कई फिल्में हैं जिन्हें देश भर में काफी प्रशंसा मिली.
1970 के दशक में उनकी गिनती एक सुपरस्टार के तौर पर होती थी. यूं तो उन्हें अधिक मीडिया हाइप नहीं मिली लेकिन उनकी फिल्मों की सफलता ही उनकी कहानी कहती है. समानांतर सिनेमा में उनका कद एक बड़े कलाकार के रूप में रहा. उनकी अभिनय की खास विशेषता यह थी कि उन्होंने अपने आप को पर्दे पर हमेशा साधारण नायक के रूप में पेश किया. यही वजह की आम आदमी खुद को उनसे जुड़ा हुआ पाता था.
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राम प्रसाद शर्मा यानि अमोल पालेकर
अमोल पालेकर ने जिस समय फिल्म “गोलमाल” की थी उस समय उन्हें मध्यमवर्ग का आइना कहा जाता था. आम इंसान की भागदौड़ भरी जिंदगी को पर्दे पर जीने का अंदाज अमोल पालेकर को एक बेहतरीन और आदर्श कलाकार बनाती है. आज अमोल पालेकर अभिनय तो नहीं करते लेकिन फिल्म उद्योग से जुड़े हैं.
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