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यह भारतीय संस्कृति ही है जहां अलग-आलग त्यौहारों को उसके महत्व के अनुसार मनाया जाता है. चाहे यह त्यौहार एक के बाद एक क्यों न हो. हिन्दू समाज में भाई-बहन के पवित्र रिश्तों का प्रतीक भैयादूज (Bhai dooj) (भाई-टीका) पर्व काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. भाई-बहन के पवित्र रिश्तों के प्रतीक के पर्व को हिन्दू समुदाय के सभी वर्ग के लोग हर्ष उल्लास से मनाते हैं.
इस पर्व पर जहां बहनें अपने भाई की दीर्घायु व सुख समृद्धि की कामना करती हैं तो वहीं भाई भी सगुन के रूप में अपनी बहन को उपहार स्वरूप कुछ भेंट देने से नहीं चूकते. इस दिन भाई अपनी बहन की सुरक्षा की भी प्रतिज्ञा लेते हैं. पूजा के समय भाई की हथेली पर बहनें चावल का घोल लगाती हैं उसके ऊपर सिंदूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे धीरे पानी हाथों पर छोड़ते हुए कुछ मंत्र बोलती हैं जैसे “गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े.
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भैया दूज (Bhai dooj) की कथा
कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाए जाने वाले इस त्यौहार के पीछे की ऐतिहासिक कथा भी निराली है. पौराणिक आख्यान के अनुसार सूर्य पुत्री यमुना ने अपने भाई यमराज को आमंत्रित किया कि वह उसके घर आ कर भोजन ग्रहण करें, किन्तु व्यस्तता के कारण यमराज उनका आग्रह टाल जाते थे. कहते हैं कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज ने यमुना के घर जा कर उनका सत्कार ग्रहण किया और भोजन भी किया. यमराज ने बहन को वर दिया कि जो भी इस दिन यमुना में स्नान करके बहन के घर जा कर श्रद्धापूर्वक उसका सत्कार ग्रहण करेगा उसे व उसकी बहन को यम का भय नहीं होगा. तभी से लोक में यह पर्व यम द्वितीया के नाम से प्रसिद्ध हो गया. भाइयों को बहनों की टीकाकरण के चलते इसे भ्रातृ द्वितीया या भैया दूज भी कहते हैं.
भैयादूज (Bhai dooj) पर पूजा सामग्री
भैयादूज (Bhai dooj) पर्व हिंदू धर्म में बहुत ही उल्लास के साथ मनाया जाता है. यह एक ऐसा मौका है जहां बहने अपने रिस्तेदारों से उपहार लेती है. भैया दूज त्यौहार में पूजा के लिए जिस सामग्री का उपयोग किया जाता है वह इस प्रकार है.
पूजा चौक, दिया, रोली, छोटे चावल, कोकोनट, बतासा, मिष्ठान, फल, सात पान, सुपारी फल.
भैयादूज (Bhai dooj) महत्व
भारतीय संस्कृति में प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठान के साथ दान का विशेष महत्व है. भाईदूज के दिन किसी निर्धन या विद्वान ब्रह्मण को भोजन करना चाहिए. इस दिन जंतु और पक्षियों को यथायोग्य भोजन दिया जाना चाहिए. भैया दूज पर जो बहनें व्रत रखती हैं, वह दोपहर बाद भोजन करना चाहिए जबकि भाई को चाहिए की वो सामर्थ्य के अनुसार अपनी बहन को उपहार अवश्य दे.
अलग-अलग जगहों पर इस त्यौहार के नाम
भाई फोटा (Bhai Phota ): बंगाल में भाई दूज के इस पर्व को ‘भाई फोटा’ के नाम से जाना जाता है. बंगाल में यह हर साल दुर्गा पूजा के पहले और दूसरे दिन मनाया जाता है.
भाई बीज Bhai Bij- महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटका के राज्य में मराठी और कोंकणी भाषी समुदायों के बीच इस शब्द प्रयोग में लाया जाता है.
भाई टिका Bhai Tika: विजय दशमी के बाद यह दूसरा त्यौहार है जिसे नेपाल के लोग बहुत धुमधाम से मनाते है.
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