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इस दुनिया में उस इंसान की कद्र सबसे ज्यादा होती है जिसने अपने जीवन में लीक से हटकर कुछ अलग काम किया हो. कुछ ऐसा ही महान फिल्मकार गुरुदत्त (Guru Dutt) के साथ भी हुआ. प्यासा, कागज़ के फूल व साहब बीवी और गुलाम जैसी क्लासिक फिल्में देने वाले फिल्मकार गुरु दत्त की आज पुण्यतिथि है.
गुरुदत्त (Guru Dutt) का पूरा नाम वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण था. उनके पिता शुरुआत में तो अध्यापक थे लेकिन बाद में उन्होंने बैंक की नौकरी की.
2. बचपन में आर्थिक दिक्कतों और पारिवारिक परेशानियों के कारण गुरुदत्त मुश्किल से तालीम हासिल कर पाए. वह अच्छे विद्यार्थी तो थे लेकिन कभी कॉलेज नहीं जा पाए.
गुरु दत्त: प्यासा ही रह गया यह विलक्षण फिल्मकार
गुरुदत्त (Guru Dutt) तीन भाइयों और एक बहन के साथ बंगाल में आकर बस गए. बंगाल में रहने के बाद उन्होंने बंगाली नाम भी ग्रहण कर लिया और लोग उन्हें गुरुदत्त के नाम से जानने लगे.
4. गुरुदत्त ने कोलकाता आकर अपने मामा बालकृष्ण बेनेगल के साथ काफी वक्त बिताया था. आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि बालकृष्ण बेनेगल मशहूर फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल के चाचा थे, जो कि एक पेंटर थे और फिल्मों के पोस्टर्स डिजाइन किया करते थे. बाद में वह अपने माता-पिता के पास मुंबई लौट आए.
गुरुदत्त (Guru Dutt) ने उदयशंकर के नृत्य संस्थान में कुछ वर्ष शास्त्रीय नृत्य सीखा और प्रशिक्षण के दौरान एक सर्प नृत्य भी प्रस्तुत किया था.
6. उन्होंने 1953 में प्रसिद्ध गायिका गीता रॉय से शादी की. गीता और गुरुदत्त तीन सालों से एक-दूसरे को जानते थे. दोनों से तीन बच्चे हुए तरुण, अरुण और नीना.
गुरुदत्त (Guru Dutt) वहिदा रहमान के साथ रहते थे और उनके साथ फिल्मों में काम भी किया. मौत के समय न तो उनके साथ उनकी पत्नी गीता थी और न ही वहीदा.
8. गुरुदत्त बहुत ही ज्यादा शराब पीते थे जिसकी वजह से उनका लिवर खराब हो गया. कहा जाता है कि जिस रात गुरुदत्त की मौत हुई थी. उस रात उन्होंने जमकर शराब पी थी.
9. 1946 में गुरुदत्त ने प्रभात स्टूडियो की निर्मित फिल्म ” हम एक हैं” से बतौर कोरियोग्राफर अपने कॅरियर की शुरुआत की.
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गुरुदत्त (Guru Dutt) कलात्मक फिल्म बनाने की वजह से काफी प्रसिद्ध हुए. इन्होंने अपनी कलात्मक फिल्मों के माध्यम से हिंदी सिनेमा को एक नई ऊंचाई दी. उनकी लोकप्रिय फिल्मों में कागज के फूल, प्यासा, साहब बीबी और गुलाम आदि शामिल हैं.
11. इनके द्वारा बनाई गई फिल्में जर्मनी, फ्रांस और जापान में सबसे ज्यादा चलती थीं. टाइम पत्रिका ने वर्ष 2005 में भी ‘प्यासा’ को सर्वश्रेष्ठ 100 फ़िल्मों में शामिल किया था. 2011 में ‘प्यासा’ को टाइम पत्रिका ने वैलेंटाइन डे के मौक़े पर सर्वकालीन रोमांटिक फिल्मों में शामिल किया.
12. उन पर एक पुस्तक भी आई है जिसका नाम है टेन इयर्स विद गुरुदत्त : अबरार अल्वीज जर्नी. अबरार अल्वी दस सालों तक गुरुदत्त के सहायक, लेखक और सलाहकार रहे.
13. बॉलीवुड में गुरुदत्त और देव साहब की दोस्ती बहुत ही गहरी मानी जाती थी. यह बात उस समय की है जब गुरुदत्त फिल्मों में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. उस समय देव साहब को फिल्मों में जल्दी ब्रेक मिल गया था. उन्होंने अपने दोस्त गुरुदत्त से वादा किया था कि जब वह निर्माता बनेंगे तो अपनी फिल्म में जरूर लेंगे. देव साहब ने अपना वादा पूरा किया. 1949 में देवानंद ने नवकेतन फिल्म्स की नींव रखी और 1951 में अपने दोस्त गुरुदत्त को लेकर बाजी फिल्म का निर्माण किया.
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