- 1020 Posts
- 2122 Comments
भारत में इस समय हिन्दुओं का प्रसिद्ध त्यौहार नवरात्र चल रहा है. पहले दो दिन की पूजा अर्चना के बाद आज का दिन माता भगवती के चन्द्रघंटा स्वरुप की पूजा करने का है. माता के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचन्द्र है, जिस कारण इन्हें चन्द्रघंटा कहा जाता है.
मां चन्द्रघण्टा का वाहन सिंह है जिस पर दस भुजाधारी माता चन्द्रघंटा प्रसन्न मुद्रा में विराजित होती हैं. देवी के इस रूप में दस हाथ और तीन आंखें हैं. आठ हाथों में शस्त्र हैं, तो दो हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा में हैं. देवी के इस रूप की पूजा कांचीपुरम में की जाती है. इनका रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है. इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है, इनके दस हाथ हैं, इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र, बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं. इनका वाहन सिंह है, इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने की होती है. इनके घंटे सी भयानक चंडध्वनि से अत्याचारी दानव, दैत्य, राक्षस सदैव प्रकम्पित रहते हैं.
Read: शारदीय नवरात्र तिथि और आराधना मंत्र
इस दिन महिलाओं को घर पर बुलाकर आदर सम्मानपूर्वक उन्हें भोजन कराना चाहिए और कलश या मंदिर की घंटी उन्हें भेंट स्वरुप प्रदान करना चाहिए. इससे भक्त पर सदा भगवती की कृपा दृष्टि बनी रहती है. मां चन्द्रघंटा की पूजा करने के लिए आप निम्न ध्यान मंत्र, स्तोत्र मंत्र का पाठ करें.
ध्यान मंत्र
वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम्.
सिंहारूढा दशभुजां चन्द्रघण्टा यशंस्वनीम्॥
कंचनाभां मणिपुर स्थितां तृतीयं दुर्गा त्रिनेत्राम्.
खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम्.
मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम्.
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्॥
स्तोत्र मंत्र
आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्ति: शुभा पराम्.
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम्.
धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम्.
सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
कवच मंत्र
रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने.
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्॥
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धारं बिना होमं.
स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकम॥
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च.
न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्॥
भगवती दुर्गाचंद्रघण्टा का ध्यान, स्तोत्र और कवच का पाठ करने से मणिपुर चक्र जाग्रत हो जाता है, जिससे सांसारिक परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है.
Read More:
Read Comments