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एक निर्देशक सत्तर के दशक में एक फ्लॉप अभिनेता को सुपर स्टार बनाने की कवायद में लगा हुआ था वहीं दूसरी तरफ नब्बे के दशक में दूसरा स्टार इसी निर्देशक का इंतजार कर रहा था. शायद आप जान गए होंगे कि बात किसकी हो रही है. नहीं समझे! अरे भई, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता निर्देशक एवं पटकथा लेखक यश चोपड़ा(Yash Chopra) की.
इसमें कोई शक नहीं कि यश चोपड़ा (Yash Chopra) अपने दौर के बहुत बड़े फिल्मकार और निर्देशक थे. इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि उन्होंने दो सर्वकालीन महान सितारों, अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान के फिल्मी सफर को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. अमिताभ के कॅरियर में ‘दीवार’, ‘त्रिशूल’, ‘काला पत्थर’, ‘कभी-कभी’ और ‘सिलसिला’ जैसी फिल्में नहीं होतीं तो अमिताभ का सफर कुछ फीका लगता. वहीं दूसरी तरफ शाहरुख खान के कॅरियर से तो अगर यशराज बैनर की फिल्में हटा दी जाएं तो वे बिल्कुल मामूली हीरो नजर आते हैं. उनकी सबसे अच्छी और कामयाब फिल्में, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘डर’, ‘दिल तो पागल है’, ‘मोहब्बतें’, ‘वीर जारा’, ‘चक दे इंडिया’, ‘रब ने बना दी जोड़ी’ यशराज फिल्म्स के बैनर से ही आई हैं.
यश चोपड़ा (Yash Chopra) का जीवन और फिल्मी कॅरियर
लगभग 53 साल से फिल्मों पर एकछत्र राज करने वाले यश चोपड़ा का जन्म 21 सितम्बर, 1932 को अविभाजित भारत के लाहौर शहर में हुआ था. उनके परिवार में पत्नी पामेला चोपड़ा और पुत्र आदित्य एवं उदय चोपड़ा हैं.
यशराज ने अपना फिल्मी कॅरियर अपने बड़े भाई बीआर चोपड़ा के सहायक के तौर शुरू पर किया. बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म 1959 में बनी ‘धूल का फूल’ थी. इसके बाद यश चोपड़ा (Yash Chopra) ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और एक बाद एक सुपर हिट फिल्में देते गए, जिसमें ‘वक्त’ ‘दीवार’, ‘दाग’, ‘त्रिशूल’, ‘कभी-कभी’, ‘चांदनी’, ‘डर’, आदि शामिल हैं. बतौर निर्देशक उनकी आखिरी फिल्म शाहरुख खान और कटरीना कैफ स्टारर ‘जब तक है जान’ थी. वह बॉलीवुड के शायद पहले निर्देशक थे जिन्होंने कॅरियर की शुरुआत में ही यशराज फिल्म्स के नाम से खुद का बैनर स्थापित किया जिसने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दीं.
यशराज फिल्म्स (Yash Films) के बैनर तले कुछ उल्लेखनीय फिल्मों में दूसरा आदमी, नूरी, काला पत्थर, डर, ये दिल्लगी, मोहब्बतें, मेरे यार की शादी है, मुझसे दोस्ती करोगे, साथिया, हम-तुम, धूम, बंटी और बबली, सलाम नमस्ते, फना, धूम-2, काबुल एक्सप्रेस, चक दे, रब दे बना दी जोड़ी, न्यूयार्क, बैंड बाजा बारात, इशकजादे आदि शामिल हैं.
यश चोपड़ा को पुरस्कार
फिल्म के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें 2001 में दादा साहब फाल्के एवम 2005 में पद्म भूषण से सम्मानित किया. उन्हें छह राष्ट्रीय पुरस्कार एवं 11 फिल्म फेयर पुरस्कारों से भी नवाजा गया.
पिछले साल 80 साल के यश चोपड़ा का 13 अक्टूबर को मुंबई के लीलावती अस्पताल में निधन हो गया था.
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