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Mother Teresa) भी उन्हीं लोगों में से एक थीं जिनके लिए जाति और धर्म का कोई मूल्य नहीं था. टेरसा ने अपने पूरा जीवन निर्धन और असहाय लोगों की पीड़ा दूर करने के लिए समर्पित कर दिया.
मदर टेरेसा का जन्म-Mother Teresa Life
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को मेसिडोनिया की राजधानी स्कोप्जे शहर (Skopje, capital of the Republic of Macedonia) में हुआ था. उनका जन्म 26 अगस्त को हुआ था पर वह खुद अपना जन्मदिन 27 अगस्त मानती थीं. उनके पिता का नाम निकोला बोयाजू और माता का नाम द्राना बोयाजू था.
मदर टेरेसा ‘मिशनरी चैरिटी’- Missionaries of Charity
मदर टेरेसा मात्र अठारह वर्ष की उम्र में में दीक्षा लेकर सिस्टर टेरेसा बनी थीं. इस दौरान 1948 में उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए एक स्कूल खोला और तत्पश्चात ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की. सच्ची लगन और मेहनत से किया गया काम कभी निष्फल नहीं होता, यह कहावत मदर टेरेसा के साथ सच साबित हुई. मदर टेरेसा की मिशनरीज संस्था (Mother Teresa missionaries of charity) ने 1996 तक करीब 125 देशों में 755 निराश्रित गृह खोले जिससे करीबन पांच लाख लोगों की भूख मिटाई जाने लगी.
मदर टेरेसा को मिले पुरस्कार-Mother Teresa Awards
(Mother Teresa) ने गरीबों, पीड़ितों और जरूरतमंदों की सेवा की जो हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत है. मदर टेरेसा को अपने कार्यों के लिए बहुत से पुरस्कार मिले. वर्ष 1952 में टेरेसा को शान्ति के लिए मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित किया गया. 1979 में उन्हें शान्ति के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. साल 1962 में भारत सरकार ने उनकी समाज सेवा और जन कल्याण की भावना की कद्र करते हुए उन्हें पद्म श्री से नवाजा. 1980 में मदर टेरेसा को उनके द्वारा किए गए कार्यों के कारण भारत सरकार ने भारत रत्न” से अलंकृत किया.
मदर टेरेसा की मृत्यु का रहस्य-The mystery of Mother Teresa
(Mother Teresa) रोम में पॉप जॉन पॉल द्वितीय से मिलने के लिए गईं. वहीं उन्हें पहला हार्ट अटैक आ गया. इसके बाद साल 1989 में उन्हें दूसरा हृदयाघात आया. लगातार गिरती सेहत की वजह से 05 सितम्बर, 1997 को उनकी मौत हो गई. उनकी मौत के समय तक ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ में 4000 सिस्टर और 300 अन्य सहयोगी संस्थाएं काम कर रही थीं जो विश्व के 123 देशों में समाज सेवा में लिप्त थीं. समाज सेवा और गरीबों की देखभाल करने के लिए जो आत्मसमर्पण मदर टेरेसा ने दिखाया उसे देखते हुए पोप जॉन पाल द्वितीय ने 19 अक्टूबर, 2003 को रोम में मदर टेरेसा को “धन्य” घोषित किया था.
(Mother Teresa) ने दुनिया भर में अपने शांति-कार्यों की वजह से नाम कमाया. मदर टेरेसा ने जिस आत्मीयता से भारत के दीन-दुखियों की सेवा की, उसके लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा.
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