- 1020 Posts
- 2122 Comments
मानवता को अन्य सभी धर्मों से बढ़कर माना जाता है लेकिन युद्ध की स्थिति में यही मानवता वीभत्स घटनाओं की शिकार होती है. तब राष्ट्रवाद इस कदर हावी होता है कि मानवता पैरों तले कुचली जाती है. विश्व के इतिहास में हिरोशिमा की घटना कौन भूल सकता है. महज प्रभाव दर्शाने और साम्यवादी रूस को डराने हेतु गिराया गया यह बम वर्षों तक हिरोशिमा को तबाही के दलदल में ढकेल दिया. इस विभीषिका के परिणाम आज भी इस नगर के लोग भुगत रहे हैं.
द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के कगार पर था. धुरी राष्ट्र मित्र राष्ट्रों के सामने लगभग आत्मसमर्पण कर चुके थे. कुछ देश ही बचे थे जो अपनी जिद पर अड़े हुए थे जिनमें जापान भी एक था. जापान की हठधर्मिता को देखते हुए 6 अगस्त, 1945 को मित्र देशों की तरफ से अमरीका ने जापान के हिरोशिमा नगर पर एटम बम गिराए. जापान फिर भी नहीं माना तो नागासाकी पर भी एटम बम गिराए गए जिसके बाद 14 अगस्त को जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया था.
Read: कलंकित अंपायर ने लिया संन्यास
इस घटना से संबंधित कुछ तथ्य
एक गलत फैसला
अमरीका द्वारा जापान पर “क्या परमाणु बम का इस्तेमाल करना जरूरी था?” आज भी इस तरह के सवाल विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाए जाते रहे हैं. कुछ लोगों की मानें तो द्वितीय विश्वयुद्ध में परमाणु बम का इस्तेमाल अमेरिका ने युद्ध समाप्त करने के लिए नहीं किया था, बल्कि दुनिया को अपनी ताकत दिखाने के लिए किया था. सच तो यह है कि अगर अमेरिका परमाणु बम का इस्तेमाल नहीं भी करता, तो जापान अपने आप आत्मसमर्पण कर देता क्योंकि धुरी राष्ट्र जर्मनी और इटली पराजित हो चुके थे.
Read Comments