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भारतीय राजनीति में एक तरफ जहां जमीन से शिखर तक का सफर तय कर चुके भारतीय जनता पार्टी के नेता और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने आगे के रास्ते में कई कांटे दिखाई दे रहे हैं वहीं भारतीय राजनीति में एक नेता ऐसा है जो खुद अपना रास्ता तय नहीं करता बल्कि जिस परिवार और पार्टी से वह जुड़ा हुआ है उससे संबंधित लोग उसकी राह में पड़े कांटे हटाते हैं. आप समझ गए होंगे कि हम बात कर रहे हैं कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की.
आज भारतीय जनता पार्टी में आगामी आम चुनाव को देखते हुए प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के लिए घमासान मचा हुआ है. यहां हर कोई अपने आप को एक-दूसरे बढ़कर मान रहा है लेकिन कांग्रेस में ऐसा नहीं है. यहां अलाकमान (सोनिया गांधी) के सहयोग से कोई प्रधानमंत्री तो दूर मुख्यमंत्री या फिर मंत्री नहीं बन सकता. इसलिए पहले से ही यह तय माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए केवल एक ही उम्मीदवार हैं वह हैं राहुल गांधी. कांग्रेस में इनका कोई विकल्प नहीं है स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी.
सियासत में कोई ‘लंगोटिया यार’ नहीं
राहुल गांधी का जीवन परिचय
पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के पुत्र और इन्दिरा गांधी के पौत्र, राहुल गांधी का जन्म 19 जून, 1970 को दिल्ली में हुआ था. इनकी माता सोनिया गांधी वर्तमान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और गठबंधन दल यूपीए की अध्यक्षा हैं. राहुल गांधी की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के सेंट कोलम्बस स्कूल और बाद में देहरादून के प्रसिद्ध दून स्कूल में हुई थी. इन्दिरा गांधी की हत्या के पश्चात जब 1984 में दंगे हुए तो ऐसे हालातों में सुरक्षा के मद्देनजर कुछ समय के लिए राहुल गांधी और उनकी छोटी बहन प्रियंका गांधी की शिक्षा का सारा इंतजाम घर पर ही किया गया. वर्ष 1989 में राहुल गांधी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध सेंट स्टीफन कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन प्रथम वर्ष की परीक्षा देने के बाद वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी चले गए. लेकिन वह यहां भी ज्यादा समय तक पढ़ नहीं पाए. 1991 में राजीव गांधी की हत्या के पश्चात सुरक्षा कारणों की वजह से राहुल गांधी फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के रोलिंस कॉलेज चले गए. स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वह लंदन में ही एक प्रशासनिक फर्म के साथ जुड़ गए. वर्ष 2002 में राहुल गांधी मुंबई स्थित एक प्रौद्योगिकी आउटसोर्सिंग फर्म के निदेशक भी रह चुके हैं.
राहुल गांधी का व्यक्तित्व
स्वतंत्र भारतीय राजनीति के जनक माने जाने वाले गांधी-नेहरू परिवार से संबंधित होने के कारण राहुल गांधी का सारा जीवन राजनीति के दांव-पेचों को देखते हुए ही बीता है. जिसके परिणामस्वरूप राहुल गांधी का राजनैतिक व्यक्तित्व बहुत अधिक परिष्कृत हो गया है. कांग्रेस के युवा नेता होने के कारण राहुल गांधी खुले विचारों और प्रगतिशील मानसिकता वाले व्यक्ति हैं. वह एक समझदार और जुझारू नेता हैं. व्यक्तिगत तौर पर आम व्यक्तियों की तरह राहुल गांधी को भी घूमने-फिरने और विभिन्न खेलों को देखने और खेलने का शौक है.
राहुल गांधी का राजनैतिक सफर
वर्ष 2003 में जब राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के साथ चौदह वर्ष बाद पाकिस्तान में हुए भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच देखने गए, तब यह कयास लगने शुरू हो गए कि निःसंदेह राहुल गांधी राजनीति में कदम रखने वाले हैं. लेकिन राहुल गांधी ने इस बात की कोई पुष्टि नहीं की. वर्ष 2004 में जब प्रियंका और राहुल अपने पिता के पूर्व और माता के तत्कालीन निर्वाचन क्षेत्र अमेठी के दौरे पर गए तो यह अफवाहें और बढ़ गईं कि दोनों भाई-बहन राजनीति में प्रदार्पण करने वाले हैं. लेकिन इस समय भी ना तो राहुल ने इस पर प्रतिक्रिया दी और ना ही कांग्रेस के किसी अन्य बड़े सदस्य ने. लेकिन 2004 में ही राहुल गांधी ने यह घोषणा कर दी कि वह मई 2004 के चुनावों में पिता के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र अमेठी से ही चुनाव लड़ेंगे. इस समय कांग्रेस की स्थिति उत्तर-प्रदेश में अच्छी नहीं थी. 80 सीटों में से कुल 10 सीटें ही कांग्रेस के पास थीं. राहुल गांधी का यह कदम निःसंदेह कांग्रेस विरोधियों और उन लोगों के लिए हैरानी वाला था जो यह अनुमान लगाए बैठे थे कि प्रियंका गांधी के राजनीति में आने की संभावना बहुत अधिक है बजाए राहुल गांधी के. मई 2004 के चुनावों में जीतकर राहुल गांधी चौदहवीं लोकसभा के सदस्य बने. रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र में जब दोबारा चुनाव हुए तो मां सोनिया गांधी को विजयी बनाने के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने बहुत बड़े पैमाने पर वहां प्रचार किया. परिणामस्वरूप सोनिया गांधी भारी अंतर से वह सीट जीत गईं. लेकिन 2007 के चुनावों में कांग्रेस अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं कर पाई और बहुजन समाज पार्टी को बहुमत प्राप्त हुआ. राहुल गांधी को पार्टी सचिवालय के एक फेरबदल में 24 सितंबर, 2007 को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का सामान्य सचिव नियुक्त किया गया साथ ही भारतीय युवा कांग्रेस और विद्यार्थी संघ, नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के प्रभारी पद का भी भार सौंपा गया. वर्ष 2009 में हुए चुनावों में राहुल गांधी पुन: अमेठी सीट पर जीत गए.
उत्तर प्रदेश में 2012 का विधानसभा चुनाव राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ा गया. कांग्रेस को पूरी उम्मीद थी कि पार्टी अपने पिछले कई रिकॉर्ड तोड़ेगी लेकिन पार्टी को 403 सीटों में से केवल 28 सीटें ही हाथ लगीं. राहुल गांधी ने पार्टी की हार की स्वयं जिम्मेदारी ली. वर्तमान में राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं. उन पर न केवल पार्टी की खराब हो चुकी छवि को सुधारने का दायित्व है बल्कि आगामी लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करके कांग्रेस को तीसरी बार सत्ता में लाने की जिम्मेदारी भी है.
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