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इंसानी गलतियों से जंगलों की गायब हरियाली, बंजर हुई उपजाऊ मिट्टी, सांस के साथ जा रही हवा में घुले जहर और विषाक्त हुए नदियों के पानी ने भावी पीढ़ियों की जरूरत पूरी करने की प्राकृतिक क्षमताओं को खासा नुकसान पहुंचाया है. ऐसे में इस इंसानी समाज के एक खास तबके की गलतियों का खामियाजा न केवल मौजूदा पीढ़ी भुगत रही है बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी उठाएंगी. इसलिए जरूरत है हमें अपनी सोई हुई आंखों को जगाने की ताकि बेसब्री से इंतजार कर रही भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके.
(World Environment Day)
आज विश्व पर्यावरण दिवस है (World Environment Day). पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए ही संयुक्त राष्ट्रसंघ ने साल 1972 से हर साल 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया. इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित करना था. विश्व पर्यावरण दिवस के लिए इस साल की थीम है सोचो, खाओ और बचाओ (Think.Eat.Save) जिसका मतलब है भोजन को बर्बाद न करते हुए पृथ्वी को बचाना.
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प्राकृतिक संसाधनों का दोहन (World Environment Day)
बड़ी मात्रा में लगातार प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की वजह से आज पर्यावरण संरक्षण का मसला आफत बनकर सबके सामने आया है. यही कारण है कि आज औद्योगिक देशों ने सह अस्तित्व की संस्कृति से निर्वहनीय विकास करने का राग अलापना शुरू किया है. जिसका मतलब यह है कि प्रकृति को अपने साथ लेकर मानव भी अपना विकास करे और प्राकृतिक संसाधनों का क्षय भी न हो. अभी तक इस सिद्धांत को कई विकसित और विकासील देशों ने कचरे के डिब्बे में डाल रखा है.
क्या किया जा सकता है (World Environment Day)
इसलिए यहां जरूरत है विश्व के सभी राष्ट्र खासकर विकसित देश कचरे के डिब्बे में पड़े इस सिद्धांत को बाहर निकालें और निर्वहनीय विकास और आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन स्थापित कर ग्लोबल वार्मिंग और उससे उत्पन्न होने वाले खतरे से निजात पाने में एक-दूसरे की मदद करें जिससे विश्व में शांति और प्रसन्नता हासिल की जा सके.
भारत के लिए यह सही होगा कि हर भारतीय कुदरत की सेहत सुधारने के लिए संकल्प ले. देश के लिए रोशन भविष्य देने में युवाओं की भूमिका खासी है इसलिए उन्हें पर्यावरण जागरुकता अभियान से जोड़ना चाहिए क्योंकि इसमें उनका भविष्य भी जुड़ा है.
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विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण दिवस.
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