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Paresh Rawal: जिसने भगवान के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिया !!

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paresh rawal 1एक दौर था जब भारतीय फिल्मों में कॉमेडी नाममात्र के लिए हुआ करती थी. उस समय निर्देशकों के सामने यह चुनौती थी कि वह कैसे अपनी फिल्म की तीन घंटे की अवधि को पूरा करें. इसके लिए वह बीच-बीच में कॉमेडी के सीन को डाल देते थे. उस दौर में ऐसे कम ही निर्देशक थे जो कॉमेडी आधारित फिल्म बनाने की जहमत उठा सकते थे. लेकिन जब से फिल्म अभिनेता परेश रावल (Paresh rawal) ने खलनायक की भूमिका को छोड़ हास्य अभिनेता के रूप में अपने आप को प्रस्तुत किया तब से निर्देशकों ने कॉमेडी को लेकर फिल्म बनाने का जोखिम उठाना शुरू कर दिया है.


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के फिल्मी सफर की शुरुआत 1984 में फिल्म ‘होली’ के साथ हुई थी. 90 के दशक में अधिकतर फिल्मों में उन्होंने खलनायक और सहायक अभिनेता की भूमिका अदा की और सन् 2000 के बाद वे अधिकांश फिल्मों में कॉमेडी रोल कर रहे हैं.


अपने फिल्मी सफर में जहां उन्होंने एक तरफ सरदार, हेराफेरी, फिर हेराफेरी, गरम मसाला, मालामाल वीकली और वेलकम जैसी मसाला फिल्मों में जानदार अभिनय किया तो वहीं तमन्ना, वो छोकरी, सर जैसी फिल्मों में भी उनका अभिनय शानदार रहा है.


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नास्तिक बने हैं जबकि भगवान की भूमिका में अक्षय कुमार हैं. इस फिल्म के जरिए परेश रावल ने भगवान के अस्तित्व पर सवाल उठाया है. अक्षय और परेश ने न सिर्फ इस फिल्म में साथ काम किया है बल्कि दोनों ही इस फिल्म के निर्माता भी थे. बतौर निर्माता ये परेश की पहली फिल्म थी. इस फिल्म का जितना अधिक विरोध किया गया था उससे कहीं ज्यादा इसकी सराहना भी की गई. निर्माता के रूप में परेश रावल ने सीरियल भी बनाई है, जिसमें तीन बहू रानियां, मैं ऐसी क्यों हूं, ‘लागी तुझसे लगन’ शामिल हैं.


को 1994 में “वो छोकरी” और “सर” के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था. इसके साथ ही परेश रावल को अब तक तीन फिल्मफेयर अवार्ड दिए जा चुके हैं. साल 1993 में फिल्म ‘सर’, 2000 में फिल्म ‘हेराफेरी’ और 2002 में फिल्म ‘आवारा पागल दीवाना’ के लिए भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया. साल 1995 में प्रदर्शित फिल्म ‘राजा’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का स्टार स्क्रीन पुरस्कार भी दिया गया.


ने 22 वर्ष की आयु में पढ़ाई पूरी करके सिविल इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू किया. इसके लिए वह अहमदाबाद से मुंबई आए. परेश रावल को एक्टिंग और कला का भी शौक था, जिसे उन्होंने थियेटर में दिखाया. शुरुआती समय में जब लोगों ने उनके काम को देखा तो उन्हें सलाह दी कि वह अपना कॅरियर फिल्मों में ही बनाएं जिसके बाद परेश ने भी फिल्मों की तरफ ध्यान देना शुरू किया.


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