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एक निर्देशक उस समय सबसे ज्यादा चुनौतियों का सामना करता है जब उसे साहित्यिक कृति पर फिल्में बनाने और उसके कलाकारों का चयन करने को कहा जाए. वैसे तो बॉलीवुड में अभिनय करने वाले कलाकारों की भरमार है लेकिन उन कलाकारों में ऐसे कम ही अभिनेता हैं जो साहित्यिक कृति पर बनने वाली फिल्मों को अपने नेचुरल अभिनय की वजह से यादगार बना देते हैं. इन्हीं कलाकारों में एक हैं वरिष्ठ अभिनेता पंकज कपूर (Actor Pankaj Kapoor).
अभिनेता पंकज कपूर को गंभीर और अर्थपूर्ण कलाकारों की छवि वाले अभिनेता की श्रेणी में रखा जाता है. इस श्रेणी में ओमपुरी, अनुपम खेर, परेश रावल, नसीरुद्दीन शाह जैसे लोग आते हैं. पंकज कपूर (Pankaj Kapoor) छोटे पर्दे से लेकर बड़े पर्दे तक और कला फिल्मों से लेकर व्यावसायिक फिल्मों तक अपने प्रभावी अभिनय से दर्शकों पर छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं.
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पंकज कपूर का जीवन (Pankaj Kapoor life)
हर चरित्र को वास्तविक बनाने वाले पंकज कपूर (Pankaj Kapoor) का जन्म 29 मई, 1954 को पंजाब के लुधियाना में हुआ. लुधियाना में बचपन के खुशनुमा दिन बिताने के बाद पंकज कपूर ने दिल्ली की ओर रुख किया और 1973 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. उसके बाद नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से जुड़ गए.
पंकज कपूर का पारिवारिक जीवन (Pankaj Kapoor Family)
पंकज कपूर (Pankaj Kapoor) के निजी जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए. उनकी पहली पत्नी नीलिमा अजीम से तलाक और 1986 में हुए अभिनेत्री सुप्रिया पाठक से विवाह को लेकर वे काफी सुर्खियों में रहे. पंकज कपूर और उनकी पहली पत्नी से हुए बेटे शाहिद कपूर आज बॉलीवुड के लोकप्रिय और चर्चित हीरो हैं.
पंकज कपूर का फिल्मी कॅरियर (Pankaj Kapoor Career)
थियेटर से बेहद ही प्यार करने वाले पंकज कपूर ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद रंगमंच पर अपनी अभिनय-प्रतिभा का प्रदर्शन करना प्रारंभ किया. पंकज ने लगभग चार वर्षों तक अदाकारी की बारीकियों का अध्ययन किया. पंकज कपूर को हिन्दी फिल्मों में अभिनय का पहला मौका श्याम बेनेगल की फिल्म ‘आरोहण’ में मिला. आरोहण के तुरंत बाद वे ‘गांधी’ में प्यारेलाल की भूमिका में दिखे. इन फिल्मों के बाद उन्होंने समानांतर सिनेमा का रुख किया. ‘मंडी’, ‘जाने भी दो यारो’ ‘मोहन जोशी हाजिर हो’ ‘खंडहर और खामोश’ जैसी समानांतर फिल्मों में पंकज कपूर (Pankaj Kapoor) ने अभिनय की नयी परिभाषा गढ़ी. नयी पीढ़ी के अभिनेताओं के साथ ‘राख’ और ‘रोजा’ में वे दर्शकों से रू-ब-रू हुए. पीछे एक दशक की बात की जाए तो पंकज कपूर ने 2003 में आई विशाल भारद्वाज निर्देशित फिल्म मकबूल में ‘अब्बा जी’ की भूमिका को काफी यादगार बना दिया. उनकी हाल की फिल्मों में ‘ब्लू अम्ब्रेला’, ‘हल्ला बोल’ ‘मटरू की बिजली का मंडोला’ जैसी फिल्में रहीं जिसमें उन्होंने काफी दमदार अभिनय किया.
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पंकज कपूर का ऑफिस-ऑफिस (Pankaj Kapoor Office Office)
पंकज कपूर न केवल सिनेमा से बल्कि टीवी से भी दर्शकों का ध्यान खींचने में सफल रहे. उनके यादगार सीरियल में ‘नीम का पेड़’ और ‘ऑफिस-ऑफिस’ जैसे टीवी कार्यक्रम शामिल हैं. ऑफिस ऑफिस के उनके रोल मुसद्दी लाल को आज भी लोग याद करते हैं. उन्होंने अपने बेटे को लेकर एक फिल्म का भी निर्देशन किया. फिल्म का नाम था मौसम जो पर्दे पर कुछ खास नहीं कर पाई.
पंकज कपूर को मिले पुरस्कार (Pankaj Kapoor Award)
पंकज कपूर (Pankaj Kapoor) को 1989 में आई फिल्म ‘राख’ के लिए बेस्ट सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला. फिल्म ‘एक डॉक्टर की मौत’ के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार का ज्यूरी अवार्ड मिला. इसके अलावा 2003 में आई फिल्म मकबूल के लिए भी उन्हें बेस्ट सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला.
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