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World Museum Day
जब हम किसी संग्रहालय (Museum) की रचना करते हैं तो उसके पीछे का उद्देश्य यह होता है कि लोगों को उस युग में ले जाओ जहां से उन्हें इतिहास का दर्शन हो सके. यह हमें तब के मानव समाज के विविध पक्षों जैसे धर्म, समाज, राजनीति, अर्थ, विज्ञान आदि से परिचय कराता है. लोग चले जाते हैं लेकिन यही संग्रहालय हमें हमेशा उनसे जोड़े रखते हैं. हम संग्रहालय में मौजूद चित्र, पत्थर के शिल्पकारी नमूने और पांडुलिपियां, शिला लेख से यह जान पाते हैं कि उस दौरान मानव का जीवन कैसा होगा.
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विश्व संग्रहालय दिवस : World Museum Day
संग्रहालयों की विशेषता और उनके महत्व को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 1983 में 18 मई को विश्व संग्रहालय दिवस (World Museum Day) के रूप में मनाने का निर्णय किया. इस बार की थीम है म्यूजिमय मेमोरी प्लस + क्रिएटिविटी = सोशल चेंज “ Museums (memory + creativity) = social change ”. इसका उद्देश्य आम जनता में संग्रहालयों के प्रति जागरुकता फैलाना और उन्हें संग्रहालयों में ले जाकर अपने इतिहास को जानने के प्रति जागरुक बनाना है.
आज से 35 साल पहले तक संग्रहालय (Museum) महज एक पुस्तकालय की भूमिका निभाने तक सीमित थे जिसमें सिर्फ कुछ पांडुलिपियां, शिला लेख थे जिसे इंसान देखते और पढ़ते थे. आज ये संग्रहालय रंगमंच में तब्दील हो गए हैं, जहां लोग स्थिर चीजों को सिर्फ देखते ही नहीं उन्हें महसूस करके जीते भी हैं. विश्व में यूरोपियन और पूर्वी एशियाई देश जैसे चीन, जापान और उत्तर कोरिया आदि संग्रहालयों को सुरक्षित रखने में एक बड़ी रकम का निवेश करते हैं ताकि उनके लोग अपने पूर्वजों के बारे में जानकर गर्व महसूस कर सकें.
भारत में भी संग्रहालयों के संरक्षण के लिए तमाम तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य आम जनता, छात्रों एवं शोधार्थियों को विभिन्न संग्रहालयों में उपलब्ध समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की जानकारी देना है. यह संग्रहालय ही हैं जिसके जरिए दुनिया में किसी भी देश की हैसियत के बारे में पता चलता है इसलिए इन्हें संजो कर रखना हर राष्ट्र की जिम्मेदारी है.
विश्व संग्रहालय दिवस, संग्रहालय दिवस.
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