- 1020 Posts
- 2122 Comments
बदलती और भागदौड़ भरी जिंदगी को देखें तो काम के बोझ तले आज इंसान में अपने स्वास्थ्य को दरकिनार करने की आदत बन गई है जिसका परिणाम उसे गंभीर बीमारियों की ओर ढकेलता है. इन्हीं बीमारियों में एक बीमारी अस्थमा भी है जिसकी तादाद दुनियाभर में बढ़ती जा रही है. कुछ साल पहले की बात की जाए तो इस बीमारी के चंगुल में एक से दो फीसदी लोग ही आते थे, धीरे-धीरे यह 10 फीसदी के पार पहुंच गया. भारत में भी अस्थमा और एलर्जी के मरीजों की तादाद इसी तरह से बढ़ी है.
कर्नाटक चुनाव: बीजेपी से दूर हुई सत्ता की पकड़ !!
7 मई, 2013 को विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day) मनाया जा रहा है. विश्व अस्थमा दिवस मई महीने के पहले मंगलवार को पूरे विश्व में घोषित किया गया है. इस बार की थीम है ‘यू कैन कंट्रोल योर अस्थमा’. इसका मुख्य उद्देश्य है विश्वभर के लोगों को अस्थमा बीमारी के बारे में जागरुक करना. एक अनुमान के मुताबिक भारत में अस्थमा के रोगियों की संख्या लगभग 15 से 20 करोड़ है जिसमें लगभग 12 प्रतिशत भारतीय शिशु अस्थमा से पीड़ित हैं.
Asthma)
अस्थमा की वजह वायुमार्ग संकुचन और फेफड़ों की सूजन है. इसके मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है, बहुत ही जल्द सांस फूल जाता है. खांसी आती है, वैसे यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन हाल के वर्षों की बात की जाए तो बच्चों में यह बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है. अस्थमा के मरीज को रात में ज्यादातर परेशानी होती है. दमा बढ़ जाने पर खांसते-खांसते और टूटी-फूटी सांस लेते हुए मरीज रात गुजार पाता है. इसकी मुख्य वजहों में व्यक्ति की जीवन शैली और शहरों में धुएं और धूल के कारण इसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है.
वैसे यह कह पाना कि अस्थमा जीवनशैली या पर्यावरण से जुड़ा है थोड़ा मुश्किल है. इसको लेकर कई सवाल भी उठते हैं जैसे क्या इसके पीछे सिगरेट या प्रदूषण है. लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सिगरेट या प्रदूषण अस्थमा को बढ़ा सकते हैं लेकिन पैदा नहीं कर सकते. इसलिए आपको चाहिए कि इसे बढ़ने से रोकें. इसके लिए आप नियमित रूप से बिना छुपाए अस्थमा का पूरा इलाज कराइए. आप इसे काबू में करके एक सामान्य जिंदगी जी सकते हैं.
Read:
विश्व अस्थमा दिवस
Read Comments