- 1020 Posts
- 2122 Comments
भारत के इतिहास में जालियांवाला बाग हत्याकांड एक ऐसा मंजर था जिसे कोई पत्थर दिल इन्सान भी याद करके सहम जाता है. 13 अप्रैल, 1919 का वह दिन किसी भारतीय के लिए न भूलने वाला दिन है. इस दिन अंग्रेजी सेनाओं की एक टुकड़ी ने निहत्थे भारतीय प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाकर बड़ी संख्या में नरसंहार किया था. इस हत्यारी सेना की टुकड़ी का नेतृत्व ब्रिटिश शासन के अत्याचारी जनरल डायर ने किया था.
Read: क्या ‘सहारा श्री’ का साम्राज्य ढह रहा है !!
जालियांवाला बाग में उस समम प्रदर्शनकारी रोलट एक्ट का विरोध कर रहे थे. वह रविवार का दिन था और आस-पास के गांवों से आए भारी सख्या में किसान हिंदुओं तथा सिक्खों का उत्सव बैसाखी मनाने अमृतसर आए थे.
जालियांवाला बाग की स्थिति
जिस जगह पर यह जनसभा आयोजित की गई थी वह एक साधारण सा बाग था जो चारों ओर से घिरा हुआ था. अंदर जाने का केवल एक ही रास्ता था. जनरल डायर ने अपने सिपाहियों को बाग के एकमात्र तंग प्रवेश मार्ग पर तैनात किया था. बाग साथ-साथ सटी ईटों की इमारतों के पिछवाड़े की दीवारों से तीन तरफ से घिरा था. डायर अपनी सेना के साथ करीब साढ़े चार बजे पहुंचा. डायर ने बिना किसी चेतावनी के 150 सैनिकों को गोलियां चलाने का आदेश दिया और चीखते, आतंकित भागते निहत्थे बच्चों, महिलाओं, बूढ़ों की भीड़ पर कुछ ही मिनटों में 1650 राउंड गोलियां दाग दी. जिनमें से कई लोग तो गोलियों से मारे गए तो कई अपनी जान बचाने की कोशिश करने में लगे लोगों की भगदड़ में कुचल कर मर गए. जान बचाने के लिए बहुत से लोगों ने पार्क में मौजूद कुएं में छलांग लगा दी. इस घटना में 1000 से उपर निर्दोष लोगों की मौत हो गई.
अब एक खूबसूरत बाग है यहां
जिस जगह यह घटना घटी थी उस समय पंजाब के अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग लोगों के लिए जनसभा आयोजित करने की जगह थी जो आज एक ऐतिहासिक खूबसूरत बाग बन चुका है जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं.
पहली ही झलक में जालियांवाला बाग जाकर आप भांप नहीं सकते हैं. कि यही वह जगह है जहां पर विश्व की सबसे बड़ी अमानवीय घटना घटी थी. करीब 26000 हजार स्क्वायर मीटर में फैले इस गार्डेन में सन 1961 में ज्योति के आकार का पिलर बनाया गया. 45 फिट ऊंचा यह रेड स्टोन पिलर उन निर्दोष लोगों की याद में बनाया गया है जो विभत्स घटना के शिकार हुए थे. इस बाग में एक अमर ज्योति भी है जो लगातार जलती रहती है. जो कुआं लोगों की लाशों के ढेर और उनके रक्त से ही भर गया था आज वह उसमें तब्दीली आ गई है. आज वह एक शहीद कुएं के नाम से जाना जाता है. यह बाग ब्रिटिश शासन के जनरल डायर की बर्बर कहानी कहता नज़र आता है, जब उसने सैकड़ों निर्दोष देशभक्तों को अंधाधुंध गोलीबारी कर मार डाला था. वहां की दीवारों पर 1600 बुलेट के निशान देखे जा सकते हैं जब डायर ने अपनी सेना को फायर करने के आदेश दिए थे.
शर्मनाक घटना पर खेद प्रकट
पिछले दिनों ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इस जगह का दौरा किया था. हालांकि, कैमरन ने इस घटना के लिए माफी नहीं मांगी, लेकिन इसे बेहद शर्मनाक करार दिया. इससे पहले भी ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टल चर्चिल इस नरसंहार को राक्षसी घटना कह चुके हैं. 1997 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और उनके पति एवं ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग प्रिंस फिलिप ने इस पवित्र शहर का दौरा किया था.
Read Comments