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यह वह दौर था जब देश आजादी के लिए हुंकार भर रहा था. हर किसी के दिल में ब्रिटिश राज के खिलाफ एक अलग तरह की कसक थी. कसक ऐसी जो कभी भी एक बड़े आंदोलन का रूप ले सकती थी. महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) अभी पूरी तरह से लाइम लाइट में आए थे. असहयोग आंदोलन समाप्त होने के कई वर्ष बाद तक गांधी जी ने अपने को समाज सुधार कार्यों पर केंद्रित रखा. वह सक्रिय राजनीति से पूरी तरह से दूर रहे. लेकिन जब वह दोबारा आंदोलन में सक्रिय हुए तब उन्होंने न केवल ब्रिटिश सरकार की बल्कि पूरी दुनिया की आत्मा को झकझोर दिया था.
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(Mahatma Gandhi) के दांडी कूच और नमक सत्याग्रह ने दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया.
इनकी खूबसूरती का कोई जवाब नहीं
(Mahatma Gandhi) के इस आन्दोलन को जगह-जगह से समर्थन मिलने लगा. भारत में अंग्रेजों की पकड़ को विचलित करने वाला यह एक सर्वाधिक सफल आंदोलन था जिसमें अंग्रेजों ने 80,000 से अधिक लोगों को जेल भेजा. इस आंदोलन का प्रभाव इतना रहा कि इसकी चिंगारी की लपट ने आगे चलकर सविनय अवज्ञा आंदोलन की आधारशिला रखी.
(Mahatma Gandhi) के नेतृत्व वाले दांडी मार्च (नमक सत्याग्रह) को दुनिया को बदल देने वाले 10 महत्वपूर्ण आंदोलनों की सूची में दूसरे स्थान पर रखा है. टाइम पत्रिका ने नमक सत्याग्रह के बारे में लिखा कि भारत पर ब्रिटेन की लंबे समय तक चली हुकूमत कई मायने में चाय, कपड़ा और यहां तक की नमक जैसी वस्तुओं पर एकाधिकार कायम करने से जुड़ी थी. टाइम पत्रिका के अनुसार दांडी यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में बापू के समर्थक उनके साथ जुड़ गए थे. रिपोर्ट में टाइम ने लिखा कि महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) और उपस्थित जनसमुदाय ने समुद्र से नमक बनाया.
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