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चाहते थे चीन तक मार करने वाली मिसाइल

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भारतीय राजनीति में आज हम हर कदम पर जब घोटालेबाजों को देखते हैं तो ऐसे नेताओं की बेहद कमी नजर आती है जिनके दामन पर कभी घोटालों का दाग लगा ही ना हो. लेकिन भारतीय राजनैतिक इतिहास में ऐसे कई नेता हुए हैं जिन्होंने अपनी छवि से एक आदर्श नेता के रूप को चरितार्थ किया है. ऐसे ही नेताओं में से एक थे उड़ीसा के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय राजनीति के शांत “हीरो” स्व. बीजू पटनायक.


Biju Patnaik Biographyin Hindi: बीजू पटनायक

सादगी भरा जीवन और साहसी विचार यही थी पहचान बीजू पटनायक की. बीजू पटनायक एक पायलट थे और उनमें साहस कूट-कूट कर भरा था. अपने साहसी स्वभाव के कारण ही वह जिंदगी की किसी भी परेशानी से डरते नहीं बल्कि उसका डटकर सामना करते थे. एक स्वतंत्रता सेनानी, पायलट, प्रधानमंत्री सलाहकार और फिर मुख्यमंत्री की भूमिका में उन्होंने एक आदर्श नेता का रोल मॉडल पेश किया.


चीन तक मार करने वाली मिसाइल की चाहत

आज भारत को अपनी मिसाइलों पर बेहद गर्व है. इन मिसाइलों की ललक आज ही नहीं सालों पहले भी हमारे नेताओं की आंखों में थी. मिसाइल-मैन डॉ. कलाम ने अपने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था भारत के तीन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi profile in Hindi),  पी.वी. नरसिंह राव,  अटल बिहारी वाजपेयी तथा उड़ीसा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक वो दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम में राष्ट्र को तरजीह दी. डॉ. कलाम के कथनों के अनुसार जब उन्हें उड़ीसा के तट पर व्हीलर द्वीप मिसाइल परीक्षण के लिए चाहिए थे तो वह बीजू पटनायक से मिले थे. बीजू पटनायक ने उनसे मिलने पर जो कहा उससे बह बेहद रोमांचित हुए. बीजू ने उनसे कहा था कि ‘कलाम मैं पांचो द्वीप देने को तैयार हूं. लेकिन एक वादा करना होगा.’


डॉ. कलाम ने पूछा: क्या?


इस पर बीजू पटनायक ने उनका हाथ पकड़ कर कहा कि मुझे चीन जाने का न्यौता मिला है, लेकिन तभी जाऊंगा जब वादा करो कि ऐसी मिसाइल बनाओगे जो चीन तक अटैक करे.


Biju Patnaik Biographyin Hindi: बीजू पटनायक का जीवन

05 मार्च, 1916 को जन्मे बीजू पटनायक का बचपन का नाम “विजयनंद” था लेकिन उन्हें कभी इस नाम से नहीं पुकारा गया. बीजू पटनायक के बारे में यूं तो इंटरनेट पर बेहद कम जानकारी है लेकिन लीलाधर शर्मा की किताब “भारतीय चरित्र कोष” में उनके चरित्र पर बेहद गहराई से प्रकाश डाला गया है. इस किताब के अनुसार बीजू पटनायक ने अपनी स्नातक की पढ़ाई अधूरी छोड़ पायलट बनने का निर्णय लिया था और वह अंग्रेजों की वायु सेना में भी कार्यरत थे. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद उन्होंने “कलिंग एयर लाइन” नामक हवाई बेड़ा खड़ा किया.


1945 में बीजू पटनायक अपने साहसिक कार्यों की वजह से बेहद चर्चा में आए. उन्होंने मुश्किल की घड़ी में इंडोनेशिया के नेताओं को डच अधिकारियों के षडयंत्र से बचाया था. इस साहसिक कार्य के लिए इंडोनेशिया ने बीजू पटनायक को अपना सर्वोच्च “भूमिपुत्र” का सम्मान दिया था.


1948 में भी जब पाकिस्तानी सेना ने गुपचुप तरीके से कश्मीर पर हमला किया था तो बीजू पटनायक ही वह शख्स थे जिन्होंने भारतीय सेना को सर्वप्रथम श्रीनगर हवाई अड्डे तक पहुंचाया था. 1960 के बाद वह राजनीति में आए और उड़ीसा के मुख्यमंत्री बने. 1962 के चीन युद्ध के दौरान वह प्रधानमंत्री के विशेष सलाहकारों में भी शामिल थे. हालांकि उनके साहस और सम्मान को उस समय बेहद गहरा झटका लगा जब आपातकाल के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. आपाताकाल के बाद रिहा होने पर उन्होंने अपनी राजनीति अपने ही ढंग से शुरू की.


81 वर्ष की आयु में 17 अप्रैल, 1997 को उनका निधन हो गया. आज उन्हीं के पुत्र नवीन पटनायक उड़ीसा के मुख्यमंत्री हैं और अपने पिता की तरह ही साफ-सुथरी छवि वाले नेता हैं. पिता-पुत्र की राजनीति की एक सबसे बड़ी समानता दोनों की सादगी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन करने की रणनीति कही जा सकती है. आज बीजू पटनायक के नाम पर उड़ीसा में एक एयरपोर्ट (Biju Patnaik Airport) भी है.


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