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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी कई स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरणा थे. इस लड़ाई में कई ऐसे सैनिक भी शामिल हुए जो कभी पश्चिमी और अंग्रेजी सभ्यता के समर्थक रहे थे. ऐसे ही एक शख्स पंडित मोतीलाल नेहरू (Motilal Nehru) माने जाते थे.
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फैशनपरस्ती से सादगी की तरफ कदम
नेहरू ने अपने जीवन में सादगी को ही अधिक प्राथमिकता दी. महात्मा गांधी के संपर्क में आने के बाद मोतीलाल नेहरू ने कांग्रेस के साथ काम करना शुरू किया और धीरे-धीरे देश की माटी के रंग में रंगते चले गए.
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मोतीलाल नेहरु का जीवन
नेहरू (Pandit Motilal Nehru) को उनकी सादगी और समय के साथ चलने की प्रवृत्ति के लिए याद किया जाता है. भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में मोतीलाल नेहरू एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने न केवल अपनी जिंदगी के सभी सुखों को देश के लिए भुला दिया बल्कि अपने परिवार को भी देश की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया. मोतीलाल नेहरू के जीवन में गांधीजी ने बहुत असर छोड़ा था. देश के बड़े वकील होने के बाद भी वह गरीबों की मदद के लिए कभी पीछे नहीं रहते थे.
शानोशौकत छोड़ देश सेवा की
नेहरू अपने जमाने के शीर्ष वकीलों में शामिल थे. उस दौर में वह हजारों रुपए की फीस लेते थे. वह अधिकतर केस बड़े जमींदार और स्थानीय रजवाड़ों के लड़ा करते थे लेकिन इसके साथ ही वह गरीबों की भी मदद करने में पीछे नहीं रहते थे.
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Motilal Nehru Biography
नेहरू (Motilal Nehru) का जन्म दिल्ली में 06 मई, 1861 को हुआ था. पं. मोतीलाल नेहरू के पिता पंडित गंगाधर नेहरू थेजो एक कश्मीरी पंडित थे. पंडित गंगाधर नेहरू के तीन पुत्र थे. सबसे बड़े पंडित बंसीधर नेहरू थे, जो भारत में विक्टोरिया का शासन स्थापित हो जाने के बाद तत्कालीन न्याय विभाग में नौकर हो गए. उनसे छोटे पंडित नंदलाल नेहरू थे. इन दो पुत्रों के अतिरिक्त तीसरे पुत्र पंडित मोतीलाल नेहरू थे. पंडित नंदलाल नेहरू ने ही अपने छोटे भाई मोतीलाल का पालन-पोषण किया और पढ़ाया-लिखाया.
फैशन के दीवाने
नेहरू पश्चिमी सभ्यता से बहुत प्रभावित थे. जिस समय सिर्फ कोलकाता और दिल्ली जैसे महानगरों के लोगों ने पश्चिमी फैशन को नया-नया पसंद किया था उस समय मोतीलाल नेहरू ने कानपुर जैसे छोटे शहर में नए फैशन को अपनाकर एक तरह की क्रांति पैदा कर दी थी. भारत में जब पहली ‘बाइसिकल’ आई तो मोतीलाल नेहरू ही इलाहाबाद के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने बाइसिकल खरीदी थी.
मोतीलाल 1918 में महात्मा गांधी के प्रभाव से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रभाव में आए और गांधी जी से प्रभावित होकर देशी भारतीय जीवन शैली अपनाकर अपने जीवन को बदलने की पहल की. अपने बड़े परिवार और परिवार के खर्चों को पूरा करने के लिए नेहरू कभी-कभी क़ानून के अपने व्यवसाय को अपनाते थे. बाद में उन्होंने परिवार के लिए ‘स्वराज भवन’ बनवाया. मोतीलाल नेहरू ने ‘स्वरूप रानी’ नामक एक कश्मीरी ब्राह्मण कन्या से शादी कर ली.
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नेहरु रिपोर्ट
पंडित मोतीलाल की क़ानून पर पकड़ काफी मजबूत थी. इसी कारण से साइमन कमीशन के विरोध में सर्वदलीय सम्मेलन ने 1927 में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जिसे भारत का संविधान बनाने का दायित्व सौंपा गया. इस समिति की रिपोर्ट को ‘नेहरू रिपोर्ट’ के नाम से जाना जाता है. इसके बाद मोतीलाल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय आकर वकालत प्रारम्भ कर दी.
स्वराज पार्टी
वह 1919 और 1920 में दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए. उन्होंने ‘देशबंधु चितरंजन दास’ के साथ 1923 में ‘स्वराज पार्टी’ का गठन किया. इस पार्टी के जरिए वह ‘सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली’ पहुंचे और बाद में वह विपक्ष के नेता बने. असेम्बली में मोतीलाल ने अपने क़ानूनी ज्ञान के कारण सरकार के कई क़ानूनों की जमकर आलोचना की. मोतीलाल नेहरू ने आज़ादी के आंदोलन में भारतीय लोगों के पक्ष को सामने रखने के लिए ‘इंडिपेंडेट अख़बार’ भी चलाया.
देश की आजादी में विशेष सहयोग देने वाले मोतीलाल नेहरू का निधन 6 फरवरी, 1931 को लखनऊ में हुआ था.
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