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भारत एक गणतांत्रिक देश है. एक गणतांत्रिक देश में सबसे अहम होता है चुनाव और मत देना. गणतंत्र एक यज्ञ की तरह होता है जिसमें मतों यानि वोटों की आहुति बेहद अहम मानी जाती है. यहां एक वोट भी सरकार और सत्ता बदलने के लिए काफी होती है. याद करिए वह समय जब माननीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार मात्र एक वोट से अपनी सरकार बचाने में नाकाम रही थी. अब आप सोचिए कि ‘आलस’ और ‘मेरे एक वोट से क्या बदलेगा’ जैसे तकियाकलामों की वजह से देश को कितना नुकसान हुआ है?
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आप बदलिए सिस्टम भी बदलेगा
फेसबुक, ट्विटर या ब्लॉगिंग जगत में भारतीय सिस्टम और गंदी राजनीति पर बड़ी-बड़ी बहस करने वाले अकसर भारतीय गणतंत्र के इस यज्ञ में सिर्फ इसलिए वोट डालने नहीं जाते क्यूंकि उन्हें यहां लाइन में लगता पड़ता है, कुछ देर के लिए अनुशासन का पालन करना पड़ता है. अब आप सोच रहे होंगे कि अनुशासन का गणतंत्र से क्या वास्ता? लेकिन है, एक बहुत बड़ा संबंध है. जो लोग ऐसा करते हैं वह यह भूल जाते हैं कि अनुशासन के बिना किसी भी पराधीन देश को स्वतंत्रता नहीं मिली यहां तक कि भारत को भी आजादी के लिए गांधीजी द्वारा बनाए गए कड़े अनुशासन में रहना पड़ा था. और इस आजादी को बनाए रखने में हमारी गणतांत्रिक प्रणाली बेहद अहम है. गणतांत्रिक प्रणाली तभी सुचारु रूप से चल सकती है जब हर इंसान अपने मत का प्रयोग करे और अपनी इच्छा-अनिच्छा को जाहिर करे.
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National Voter Day 2013: रुकिए, सोचिए, समझिए और कुछ करिए
अगर आपको लगता है कि पूरा सिस्टम ही खराब हो चुका है तो आप यह मत भूलिए कि आप भी उसी सिस्टम का हिस्सा हैं. अगर सब खराब है तो आप भी खराब हैं. एक छोटी सी बात सोच कर देखिए. अगर आप अपने क्षेत्र में सही विधायक को चाहेंगे तो उसके लिए आप वोट करेंगे. आप खुद अपने वोट के साथ अपने परिजनों से भी उसी नेता को मत देने के लिए कहेंगे. इस तरह आपकी कोशिश रंग लाएगी और आपके क्षेत्र में एक बेहतरीन विधायक चुनकर आएगा जो आपके क्षेत्र के लिए कार्य करेगा. उसी तरह अगर आप देश के आला नेता और यहां तक कि प्रधानमंत्री को भी बदलना चाहते हैं तो आपका एक वोट भी बहुत अहम होगा.
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National Voter Day: भारतीय मतदाता दिवस
भारतीय मतदाताओं का मतदान के प्रति घटते रुझान को दूर करने के लिए साल 2011 से भारतीय निर्वाचन आयोग ने हर साल 25 जनवरी के दिन राष्ट्रीय मतदाता दिवस मानने का निर्णय लिया है. दरअसल 25 जनवरी, 1950 को भारत निर्वाचन आयोग का गठन हुआ था. यह दिन भारत के सभी मतदाताओं के नाम है ताकि उन्हें लोकतंत्र के प्रति उनके दायित्वों की याद रहे और वह खुद इसके महत्व को समझ सकें. 26 जनवरी से पहले इस दिवस की प्रासंगिकता बेहद सटीक बैठती है.
दरअसल मतदाता औरउसका मत ही भारतीय लोकतंत्र याकिसी भी स्वस्थ लोकतंत्र का मूल आधारहोता है. पिछले कई वर्षों से भारतीय लोकतंत्र में मतदाताओं की मतदान में कम होती रुचि जनता की लोकतंत्र में घटती आस्था को इंगित करती है. इससे देश के राजनेताओं का चिंतित होना स्वाभाविक है. इसी चिंता को खत्म करने के लिए पिछले दो सालों से सरकार 25 जनवरी के दिन कई बड़े कदम उठाती है ताकि अधिक से अधिक मतदाता अपने मत का प्रयोग कर सकें खासकर युवा वर्ग. सरकार की यह कोशिश रंग भी लाई है जिसका प्रमाण है यूपी विधानसभा चुनावों और गुजरात चुनावों में पड़े रिकॉर्ड मतदान.
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युवाओं के लिए एक बड़ी चुनौती
भारत में युवाओं की भागीदारी काफी अधिक है. हालांकि यह भी सच है कि देश की एक बड़ी आबादी अपनी उम्र का 18वां साल पूरी करने के बावजूद मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने में असफल रह जाती है. इस महत्वपूर्ण और जटिल समस्या से निपटने के लिए ही सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं. आज जगह-जगह आपको ऐसे सेंटर मिलेंगे जहां मतदाता पहचान पत्र बनवाने के कार्य किए जाते हैं. हर जिले, ब्लॉक या गांव में जगह-जगह कैंप लगाकर भी इस कार्य को संपन्न किया जा रहा है.
चुनौती बड़ी है
भारत सरकार का यह जागरुकता अभियान अपने आप में एक उल्लेखनीय कदम है, परंतु मतदाता सूची में नामांकन की प्रक्रिया में और भी कई ऐसी कठिनाइयां हैं जिन पर चुनाव आयोग और सरकार को अधिक व्यावहारिक और प्रभावी निर्णय लेने की जरूरत है. शिक्षा का अभाव और सुदूर ग्रामीण और यहां तक कि शहरी गरीब बस्तियों में भी जन्म प्रमाण पत्र का न होना एक ऐसा बड़ा कारण है जिससे ग्रामीण और शहरी गरीबों, युवाओं और वयस्कों की बड़ी संख्या अक्सर मतदाता सूची में नामांकन से वंचित रह जाती है.
इसके अलावा काम की तलाश में एक बड़ी प्रवासी आबादी के मतदाता सूची में नामांकन की कोई सुचारु व्यवस्था न होने के कारण भी काफी बड़ी आबादी मतदाता बनने से वंचित रह जाती है. हालांकि इस चुनौती को खत्म करने के लिए भी सरकार जल्द ही कोई बड़ा कदम उठा सकती है.
जब तक एक मतदाता को अपने मत का अर्थ नहीं समझ में आएगा तब तक भारत का सिस्टम बदलना मुश्किल है. सिस्टम को बदलने के लिए सभी को गणतंत्र का टीका लगाना होगा. मतदाताओं को समझना होगा कि उनका एक वोटकेवल सरकार ही नहीं, बल्किव्यवस्था बदलने का औजार भी बन सकता है और इसकेजरिए खुद उस मतदाता का भाग्यभी बदल सकता है.
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