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Indian Army Day : इनके जज्बे के आगे आसमां भी झुकता है

Special Days
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फिल्मी पर्दे पर आपने अभिनेताओं को एक साथ दस-दस गुंडों की पिटाई करते या उन्हें सीमाओं पर दुश्मनों को मारते देखा होगा लेकिन अगर आपको असल जिंदगी में हीरो देखने हैं तो आपको सीमाओं पर तैनात उन हीरोज को देखना चाहिए जो खून को जमा देने वाली ठंड में भी हमारी सीमाओं की रक्षा के लिए जी-जान एक कर देते हैं. अगर बहादुरी के सर्वोच्च शिखर को महसूस करना हो तो जैसलमेर जैसी गर्म जगहों पर ऊंठ पर बैठकर हमारी सीमाओं की पहरेदारी करने वाले सैनिकों से मिलना चाहिए जो जला देने वाली गर्मी में भी अपनी परवाह किए बिना देश की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं. आज भारतीय सेना दिवस है. एक ऐसा दिन जब हमारी सेना अपनी आजादी का जश्न मनाती है. यूं तो साल के 365 दिन वह हमारी आजादी को बचाएं रखने के लिए संघर्ष करती है लेकिन इस एक दिन यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी खुशियों में शामिल हो और उनकी शहादत को याद करें.


indian-armyIndian Army Day: भारतीय सेना दिवस

सेना दिवस दरअसल सेना की आजादी का जश्न है.  15 जनवरी 1948 को पहली बार के एम. करियप्पा. को देश का पहला लेफ्टीनेंट जनरल घोषित किया गया था. इसके पहले ब्रिटिश मूल के फ्रांसिस बूचर इस पद पर थे.  इस समय 11 लाख 30 हजार भारतीय सैनिक थल सेना में अलग-अलग पदों पर कार्यरत हैं, जबकि 1948 में सेना में तकरीबन दो लाख सैनिक थे.  सेना दिवस देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने की प्रेरणा का पवित्र अवसर माना जाता है साथ ही यह देश के जांबाज रणबांकुरों की शहादत पर गर्व करने का एक विशेष मौका भी है.


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History of Indian Army Day- भारतीय सेना की कार्यकुशलता

सेना आज ना सिर्फ हमारी रक्षा के लिए सीमाओं पर प्रहरी का किरदार निभाती है बल्कि यही सेना हमारे लिए आंतरिक समस्याओं में भी सहायक सिद्ध होती हैं.  बाढ़ आ जाए तो सेना, आतंकियों से लड़ना हो तो सेना, सरकारी कर्मचारी हड़ताल कर दें तो सेना, पुल टूट जाए तो सेना, चुनाव कराने हों तो सेना, तीर्थ यात्राओं की सुरक्षा भी सेना के हवाले है.  हमारे जवान जागते हैं तो ही हम चैन से सोते हैं.  आइएं आज हम भारतीय थल सेना की उन शौर्य गाथाओं को याद करें जो हमें भारतीय सेना पर गर्व करने का अवसर प्रदान करती हैं.


Story of Glory of Indian Army

यूं तो भारतीय सेना के कारनामें असंख्य हैं लेकिन कुछ ऐसी अहम घटनाएं भी हैं जब सेना ने अपने पराक्रम से दुनिया को सोचने पर विवश कर दिया है. इन्हीं कुछ विशेष घटनाओं को आज हम रेखांकित कर रहे हैं:


हैदराबाद का विलय

भारत के बंटवारे के बाद हैदराबाद के निजाम ने स्वतंत्र रहने की जिद्द ठान रखी थी.  इसके बाद सरदार बल्लभ भाई पटेल ने 12 सितंबर 1948 को सेना को हैदराबाद की सुरक्षा के लिए भेजा.  महज पांच दिन में ही वहां के निजाम को परास्त कर दिया गया और सेना के अगुवा मेजर जनरल जयन्तो नाथ चौधरी को सैन्य शासक घोषित कर दिया गया.


First Indo-Pak War: प्रथम कश्मीर युद्ध

जिस समय भारत आजादी का जश्न मना रहा था उसी समय पाकिस्तान ने भी भारत पर आक्रमण करने की योजना बनानी शुरू कर दी थी. 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी सेना ने भारत पर आक्रमण शुरू किया. यह युद्ध थोड़े-थोड़े अंतराल पर लगभग एक साल तक चला. इस लड़ाई की सबसे खास बात यह थी कि यह लड़ाई भारतीय थल सेना ने उन साथियों के खिलाफ लड़ी थी जिनसे कुछ साल पहले वह कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे.


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संयुक्त राष्ट्र संघ में सेना का अहम योगदान

भारतीय सेना ने संयुक्त राष्ट्र के कई शांति बहाली उपायों में अहम भागीदारी निभाई.  अंगोला, कंबोडिया, साइप्रस, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो , अल साल्वाडोर, लेबनान, लाइबेरिया, मोजाम्बिक, रवाण्डा, सोमालिया, श्रीलंका और वियतनाम.


गोवा, दमन और दीव का विलय

ब्रिटिश और फ्रांस द्वारा अपने सभी औपनिवेशिक अधिकारों को समाप्त करने के बाद भी भारतीय उपमहाद्वीप, गोवा, दमन और दीव में पुर्तगालियों का शासन रहा.  पुर्तगालियों द्वारा बार बार बातचीत को अस्वीकार कर देने पर सेना ने महज 26 घंटे चले युद्ध के बाद गोवा, दमन और दीव को सुरक्षित आजाद करा लिया.  और उनको भारत का अंग घोषित कर दिया गया.


Second Indo-Pak War: 1965 का भारत पाकिस्तान युद्ध

अगस्त 1965 से लेकर सितंबर 1965 तक भारत और पाकिस्तान के बीच दूसरा कश्मीर युद्ध हुआ. इस युद्ध में भारतीय सेना ने अदम्य साहस का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तानी सेना को हराया था. कहा तो यह भी जाता है कि इस युद्ध में भारतीय सेना ने लाहौर तक मोर्चा खोल दिया था. इस युद्ध में भारतीय जल सेना ने भी अपना जौहर दिखाया था.


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Bangladesh War: 1971 में बांग्लादेश की स्थापना

1971 का भारत पाक युद्ध कौन भूल सकता है. यह एक ऐसा युद्ध था जिसने इतिहास बदल दिया. इस युद्ध में  पाकिस्तान के जनरल एएके नियाजी ने 90 हजार सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया था.  इस आत्मसमर्पण के बाद ही पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश नाम का एक स्वतंत्र राष्ट्र बना था.  भारतीय सेना का यह गौरव हमारे मस्तक का तिलक है.


Kargil War 1999: करगिल युद्ध

मई 1999 में एक लोकल ग्वाले से मिली सूचना के बाद बटालिक सेक्टर में ले. सौरभ कालिया के पेट्रोल पर हमले ने भारतीय इलाके में घुसपैठियों की मौजूदगी का पता दिया.  इसके बाद भारतीय सेना ने धोखे के खिलाफ ऐसा शौर्य दिखाया कि 26 जुलाई को आखिरी चोटी पर भी फतह पा ली गई.  यही दिन अब करगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है.


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यूं तो भारतीय सेना के कारनामें बेहद विस्तृत और इतने बड़े हैं कि इन्हें एक पन्ने में समेटना मुश्किल है लेकिन यह हमारी एक छोटी-सी कोशिश है उन वीरों को याद करने की जिन्होंने देश की रक्षा और गौरव के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. जय जवान जय हिंद.

Post Your Comment: 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध में भारतीय सेना की हार हुई थी लेकिन क्या इस युद्ध को भी भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास में शामिल नहीं करना चाहिए, और करना चाहिए तो क्यूं?


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