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Armed Forces Flag Day: इनकी कुर्बानी को नजरअंदाज ना करें

Special Days
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सीमाओं पर तैनात प्रहरी दिन-रात अपने परिवार से दूर ठंड और गर्मी को सिर्फ इसलिए सहने को तैयार रहते हैं ताकि हम यहां चैन से जी सकें. जब हम दीपावली पर पटाखे जला रहे होते हैं तो सीमा पर कुछ सिपाही अपनी जान पर खेलकर गोलियों का सामना कर रहे होते हैं. लेकिन इस महान बलिदान और कर्तव्यनिष्ठा के बाद भी इन सिपाहियों को वह स्थान नहीं मिल पाता जो इन्हें मिलना चाहिए.


armed_forces_flag_day_on_december_73फौजियों की स्थिति

भारत में फौज की नौकरी को मौज की नौकरी नहीं मानी जाती. अकसर माना जाता है कि फौज की नौकरी सबसे कठिन होती है. लगातार घंटों काम करने के बाद भी फौजियों का वह सम्मान नहीं जिसके वह हकदार हैं. यहां तक कि देश की रक्षा में शहीदों को भी सरकार उचित सम्मान नहीं देती. आज शहीदों का सम्मान करना सरकार के लिए मात्र औपचारिकता से अधिक नहीं है.

शहीद फौजियों के नाम पर सरकार अकसर मात्र घोषणाएं ही करती है लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं करती. हालात इतने खराब हैं कि शहीदों के परिवारजनों की मदद के लिए उसे जनता से फंड की जरूरत पड़ती है और यह फंड भी सरकारी भ्रष्टाचार की वजह से सभी पीड़ितों तक नहीं पहुंच पाता.


Armed Forces Flag Day: सशस्त्र सेना झंडा दिवस का इतिहास

सीमाओं पर तैनात जवानों, वीरांगनाओं और उनके आश्रितों को यह अहसास कराने के लिए एक सिपाही देश के लिए बहुत ज्यादा महत्व रखता है हर साल सात दिसंबर को झंडा दिवस मनाया जाता है लेकिन आज यह मात्र औपचारिकता ही नजर आता है.


केंद्र व राज्य सरकारों ने शहीदों के आश्रितों व पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों के पुनर्वास एवं कल्याण के लिए प्रतिवर्ष झंडा दिवस मनाने का निर्णय 28 अगस्त, 1948 को लिया. विडंबना है कि यह दिवस पैसा एकत्र करने तक सीमित होकर रह गया. प्रत्येक बड़ा अधिकारी अधीनस्थ को झंडे भेज बजट एकत्र करने का लक्ष्य देता है. इसलिए विभागीय अधिकारी इसको मात्र औपचारिकता मानते है.


पैसा बनाम शौर्य

आज सशस्त्र सेना झंडा दिवस मात्र पैसा जमा करने का दिन बन गया है जबकि इसके पीछे की मूलभावना थी कि आम जनता के बीच देश के सच्चे और असली हीरो यानि सैनिकों और शहीदों के प्रति सम्मान को बढ़ावा दिलाया जाए. पर दुर्भाग्य की बात है कि आज इस मूलभावना को सब भूल चुके हैं. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों को रोजमर्रा के कार्यों से ही फुरसत नहीं है तो वह देश के बारे में कहां से सोचेगा.


यूं तो भागदौड़ की जिंदगी में शायद ही हमें कभी उन सैनिकों की याद आती हो जो हमारी सुरक्षा के लिए शहीद हो गए हैं पर आज के दिन अगर मौका मिले तो हमें उनकी सेवा करने से पीछे नहीं हटना चाहिए. रेलवे स्टेशनों पर, स्कूलों में या अन्य स्थलों पर आज लोग आपको झंडे लिए मिल जाएंगे जिनसे आप चाहें तो झंडा खरीद इस नेक काम में अपना योगदान दे सकते हैं.


[Image Courtesy: Google Images ]



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