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आज हिन्दी फिल्मों की सबसे अहम बातें आइटम नंबर और भड़कीले डांस बन चुके हैं. बॉलिवुड की हर सफल फिल्म में आजकल आपको आइटम नंबर देखने को मिल ही जाएंगे. इन आइटम नंबरों पर डांस करती नायिकाओं को देखकर बॉलिवुड के उस युग की याद आती है जब अभिनेत्रियां आइटम के नाम पर अश्लीलता की जगह कला बेचती थीं. ऐसी ही एक अभिनेत्री थीं हेलन (Helan).
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पर्दे पर थिरकने वाली अभिनेत्रियों को याद करें, तो हेलन की याद अपने आप आ जाती है. उनका आज भी कोई जवाब नहीं. आज भी जब कभी पर्दे पर आइटम नंबर आते हैं तो जहन में पहला नाम हेलन का आता है. हेलन अब फिल्मों में कम दिखती हैं, लेकिन वे आज भी खुद को फिट रखे हुए हैं. डांसर के रूप में भी उनका अंदाज गाहे-बगाहे फिल्मों में आता रहता है.
Helan’s Dance: कामोत्तेजक, कलात्मक और गरिमामय
एक समय हेलन फिल्मों में सफलता की गारंटी मानी जाती थीं. उस समय के निर्माता अपनी फिल्मों में उन्हें डांसर के रूप में जरूर शामिल करते थे लेकिन उनकी भूमिका एक डांसर के कहीं ज्यादा बन जाती थी. हेलन के डांस में वह एक साथ कामोत्तेजक, कलात्मक और गरिमामय बनी रह सकती थीं. एक तरफ वह अपने आप को अश्लीलता से बचाते हुए डांस में ऊर्जा से कौंध और बिजली पैदा करती थीं तो दूसरी ओर अपनी मुद्राओं से मोह लेती थीं. कभी चमकीली-भड़कीली तो कभी बेहद सुरुचिपूर्ण. डांस का रूप चाहे लोक हो, मुजरा, शास्त्रीय या फिर कैबरे कुछ भी हो, हेलन ने उसे पूरी गरिमा और विश्वसनीयता से पर्दे पर उतारा.
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Helan in “Howrah Bridge”: हेलन का कमाल
वर्ष 1958 की फिल्म “हावड़ाब्रिज” के हिट गाने “मेरा नाम चिन चिन चू…” से हेलन ने हिन्दी फिल्मों में एक नए इतिहास की नींव रखी. हेलन ने मात्र 20 साल की उम्र में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था.
Helan’s Profile: हेलन का जीवन
हेलन बर्मी मां और एंग्लो-इंडियन पिता की बेटी हैं. उनका जन्म हिंदुस्तान से दूर बर्मा में 21 नवंबर, 1939 को हुआ. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पिता के गुजर जाने के बाद उनकी मां उन्हें लेकर भारत आ गईं. तब भारत बहुत से लोग आए थे. कुछ वर्ष बिहार के चंपारण में रहने के बाद जब उनकी मां को लगा कि यहां काम का अच्छा अवसर नहीं है, तो उनकी मां उन्हें लेकर कलकत्ता (अब कोलकाता) आ गईं. यहां उनकी मां ने एक नर्सिंग होम में नर्स का काम करना शुरू किया और हेलन पढ़ाई करने लगीं. पढ़ाई के साथ-साथ वे डांस में भी रुचि लेती थीं. कई बार स्कूल में होने वाले कार्यक्रमों में उन्होंने भाग लिया और फर्स्ट आईं. उसके बाद तो डांस में हर साल फर्स्ट आने का एक सिलसिला बन गया. जब हेलन किशोर हुईं और डांस में उनका नाम होने लगा और वह अपनी मां के साथ मुंबई आ गईं.
इस दौरान उनकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी. उस समय हिंदी सिनेमा में कुक्कू के मादक नृत्यों का जमाना था. उनके नृत्य तब फिल्म की सफलता की गारंटी होते थे. कुक्कू के समकक्ष उस वक्त कोई डांसर न थी. हेलन के स्कूल की एक सहेली कुक्कू की परिचित थी. उनका डांस सहेली ने अच्छी तरह देख रखा था, उसने हेलन को कुक्कू से मिलवाया. कुक्कू की सिफारिश पर हेलन को बी. मिश्रा निर्देशित फिल्म शबिस्तान, जो 1951 में आई थी और इसमें श्याम और नसीम की मुख्य भूमिका थी, में एक ग्रुप डांस करने का अवसर मिला.
बस इसके बाद अतो जैसे किस्मत ने पलटी मारी और हेलन के बुरे दिन खत्म हो गए. एक दिन वह भी आया जब हेलन को 1953 में स्वतंत्र रूप से शंकर मुखर्जी निर्देशित फिल्म बारिश में डांस करने का अवसर मिला. फिल्म के कलाकार थे नूतन और देव आनंद. फिल्म में गीत मिस्टर जान बाबा खान.. पर उनके किए डांस को लोगों ने काफी पसंद किया. उसके बाद हेलन का डांस कई फिल्मों में आया.
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हावड़ाब्रिज
सन 1957 में कई फिल्में आईं जिनमें हेलन के डांस थे. इसी साल आई थी हावड़ाब्रिज. शक्ति सामंत निर्देशित और अशोक कुमार-मधुबाला अभिनीत इस फिल्म के एक गीत मेरा नाम चिन चिन चू.. ने हेलन को अपार ख्याति दी. वे रातोंरात चर्चा में आ गईं. अपने सुडौल बदन और नृत्य कौशल के बल पर उन्होंने फिल्मों में अपना एक मुकाम बना लिया. शुरू में उन्हें साधारण लड़की, चपटी-छोटी नाक वाली लड़की कहकर उपहास उड़ाने वाले लोग उनकी प्रतिभा के कायल हो गए. उन्होंने भी यह साबित कर दिखाया कि तकदीर पर भरोसा करने से अच्छा है मेहनत की जाए, ऐसा करने से सफलता जरूर मिलेगी. लोग उन्हें पसंद करने लगे. फिर उन्होंने भी अपने नृत्य में कुक्कू की तरह मादक रंग भरने शुरू किए और इसका फायदा उन्हें यह मिला कि वे आईं और लोगों के दिलो-दिमाग पर छा गईं.
अब हेलन चर्चा में आ गई थीं. यह उन दिनों की बात है, जब कुक्कू की विदाई के समय हिंदी सिनेमा में यह धारणा बन गई कि उनका स्थान कोई नहीं ले पाएगा, लेकिन हेलन ने अपने नृत्य से कुक्कू की कमी को पूरा कर दिया.
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Helan in C-Grade and B-Grade Movies
उनका सफर सी-ग्रेड या डी-ग्रेड वाली फिल्मों से जरूर शुरू हुआ, पर उन्होंने अच्छी और ए-ग्रेड फिल्में भी तमाम कीं. डांसर और नायिका बनने के साथ ही हेलन काफी फिल्मों में खलनायिका बनीं, लेकिन उन्हें संतुष्टि मिली यश चोपड़ा की फिल्म सवाल की भूमिका से. उनकी खलनायिका के रूप में अन्य चर्चित फिल्में थीं – जाली नोट, चायना टाउन, गुमनाम, तीसरी मंजिल, इंतकाम, दि ट्रेन, हलचल, कारवां, इनकार, शोले, डॉन, अपना खून आदि.
Helan’s Husband: पी.एन. अरोड़ा से दिल टूटा और सलीम साहब से जुड़ा
शोले में काम करने के दौरान ही हेलन का इस फिल्म के एक लेखक सलीम खान के साथ गहरे जुड़ गईं. उन्होंने हेलन को मानसिक रूप से सहारा भी दिया था. पहले वे पी.एन. अरोड़ा से दिल लगा बैठी थीं, लेकिन उनसे अलग होने के बाद सलीम खान ने उन्हें अपनाया. फिर ये दोनों हेलन के जन्मदिन के दिन ही यानि 21 नवंबर, 1973 को एक-दूसरे के हो गए.
इस घर में आज हेलन को मां का दर्जा प्राप्त है. इससे ज्यादा और क्या चाहिए उन्हें. अभिनेत्री, सह-अभिनेत्री, खलनायिका और अब चरित्र अभिनेत्री के रूप में उनका सफर जारी है. अपने लंबे फिल्मी सफर में फिल्मफेयर अवार्ड, लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड के साथ ही उन्हें तमाम अवार्ड मिल चुके हैं. दर्शकों का प्यार भी उन्हें खूब मिला, लेकिन शुरुआती दौर की तमाम कठिनाइयां उन्हें आज भी सालती हैं. जब उन्हें निराशा और हताशा हासिल हुई थी. लेकिन जमीन से आसमां तक का सफर देख चुकी हेलन शायद आज उस मुकाम पर खड़ी हैं जहां बॉलिवुड की किसी भी तारिका का पहुंचना बेहद मुश्किल है.
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