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कोई भी नृत्य बिना नजाकत के अधूरा होता है. नृत्य वो होता है जो देखने वाले के मन को छू जाए पर एक बेहतर नृत्य के लिए अभिनय की समझ होनी भी जरूरी है. ऐसी ही अभिनेत्री हैं तब्बू जब वो नृत्य करती हैं तो पूरी नजाकत के साथ करती हैं जिससे कि उनकी हर फिल्म में उनका नृत्य दर्शकों को कायल कर जाता है. तब्बू का नाम उन अभिनेत्रियों में से एक है जो बड़े पर्दे पर ज्यादा कामयाबी हासिल तो नहीं कर पाईं पर अपने अभिनय से अपने दर्शकों के दिल को छू जाती हैं.
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अधूरी प्रेम कहानी: तब्बू
किसी ने सच ही कहा है कि हर किसी को प्यार की मंजिल नहीं मिलती है. तब्बू की प्रेम कहानी भी कुछ ऐसी ही रही है. तब्बू का नाम बॉलीवुड की उन अभिनेत्रियों में से एक है जिनका नाम बहुत कम अभिनेताओं के साथ जोड़ा गया है. कई वर्ष पहले निर्माता साजिद नाडियावाला से उनके रिश्तों की बात शादी तक पहुंच गई थी, लेकिन फिर मामला गड़बड़ हो गया और फिर इस हादसे के बाद कभी भी तब्बू ने दुबारा दिल लगाने की कोशिश नहीं की.
जिंदगी का सफर: तब्बू
बॉलीवुड में बहुत कम अभिनेत्री ऐसी हैं जिन्हें सुर्खियों में रहना पसंद नहीं है. उन्हीं में से एक हैं तब्बू जो यह मानती हैं कि उनका फिल्मों में अभिनय ही उनके लिए सुर्खियां है. जब भी तब्बू से उनके चाहने वाले पूछते हैं कि वो सुर्खियों से दूर क्यों रहती हैं तो वो यही कहती हैं कि ‘मैं शोर क्यों मचाऊं’. ऐसी उच्चतम सोच रखने वाली तब्बू का पूरा नाम तबस्सुम हाशमी है. उनके पिता का नाम जमाल हाशमी और मां का नाम रिजवाना है. 04 नवंबर, 1970 को जन्मी तब्बू की पढ़ाई हैदराबाद के सेंट एन्स हाई स्कूल से और स्नातक की शिक्षा मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से पूरी हुई थी.
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फिल्मी सफर: तब्बू
तब्बू के फिल्मी कॅरियर की शुरुआत बहुत दिलचस्प अंदाज में और बहुत छोटी उम्र में हुई. साल 1985 में देव आनंद ने अपनी फिल्म” हम नौजवां” में उन्हें छोटा-सा रोल दिया. उस समय वह मात्र पन्द्रह साल की थीं. हम नौजवां के बाद हिंदी फिल्मों में हीरोइन के रूप में उनके अभिनय कॅरियर की शुरुआत हुई “विजयपथ” से. इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
गुलजार की फिल्म “माचिस” तब्बू के कॅरियर के लिए एक नया मोड़ साबित हुई और उन्हें संवेदनशील एक्ट्रेस के रूप में नई पहचान मिली. इस फिल्म में उनके बेहतरीन अभिनय की वजह से उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया. उन्होंने माचिस के अलावा, प्रियदर्शन की “कालापानी”, “विरासत”, “दरमियां”, “अस्तित्व” और “मकबूल” में भी अभिनय किया है. इन सभी फिल्मों में उनकी छवि एक गंभीर अभिनेत्री की ही रही. मीरा नायर की “द नेमसेक” ने तब्बू को अभिनेत्री के रूप में वह मुकाम दे दिया, जिस पर हिंदी सिनेमा को भी गर्व रहेगा.
2001 में आई “चांदनी बार” में तब्बू का अभिनय बेमिसाल रहा. इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया. साल 2007 में आई फिल्म “चीनी कम” में उन्होंने अमिताभ बच्चन के अपोजिट काम किया. बीवी नंबर वन, हम साथ साथ हैं, हेरा फेरी, चाची 420 आदि उनकी अन्य सफल फिल्में हैं.
जगह बेशक बदली हो पर प्यार नहीं
कुछ फिल्में ऐसी थी जिसमें तब्बू की जगह किसी और अभिनेत्री को अभिनय के लिए ले लिया गया था. फिल्म लक बाय चांस की निर्देशिका जोया अख्तर ने तब्बू को अपनी इस फिल्म से बाहर कर कोंकणा सेन शर्मा को शामिल कर लिया था. लेखक और निर्देशक संजय छैल की फिल्म मान गए मुगल-ए-आजम में तब्बू की जगह मल्लिका को लिया गया था. निर्देशक प्रियदर्शन ने अपनी फिल्म बिल्लो बारबर में तब्बू की जगह लारा दत्ता को फिल्म ले लिया था पर तब्बू के लिए फिल्मों की मात्रा ज्यादा होने से जरूरी यह है कि अभिनय सफलतापूर्वक होना चाहिए. शायद इसलिए उनके चाहने वाले उनके अभिनय को देखने के लिए आज भी आह भरते हैं.
तब्बू को मिले पुरस्कार
तब्बू को कई बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उन्हें पहले फिल्म माचिस और फिर “चांदनी बार” के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया. इसके साथ ही अपने पहली फिल्म “विजयपथ” में बेहतरीन अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला. तब्बू को चार बार क्रिटिक्स अवार्ड फॉर बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड मिल चु का है. उन्हें यह पुरस्कार फिल्म विरासत, हू तू तू, अस्तित्व, चीनी कम के लिए मिला. इसके साथ उन्हें दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवार्ड (साउथ) भी मिल चुका है.
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