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नवंबर का महीना भारत में त्यौहार का महीना माना जाता है. दशहरा और दुर्गा पूजा के खत्म होने के बाद वक्त आता है दीपों के त्यौहार दीपावली का. दीपावली से पहले भारतीय महिलाओं के लिए एक बेहद विशेष पर्व करवा चौथ का भी समय आता है. करवा चौथ भारतीय समाज में बेहद अहम है. आइए इस पर्व से जुड़ी एक रोचक कथा और इसकी पूजन विधि पर एक नजर डालें.
Karwa Chauth 2012: करवा चौथ का पर्व
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को महिलाएं सुहाग की अमरता और वैभव के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. करवा चौथ के दिन स्त्रियां दिन भर व्रत रखती हैं जो निर्जला होता है यानि बिना पानी पिए दिन भर रहना. महिलाएं व्रत रखने के साथ अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं और रात को चांद देखकर पति के हाथ से जल ले व्रत पूरा करती हैं.
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करवा चौथ: पूजन विधि
इस व्रत की खासियत है कि यह केवल शादी-शुदा महिलाएं ही रखती हैं. लेकिन आज कई ऐसी महिलाएं भी यह व्रत रखने लगी हैं जिनकी या तो सगाई हो चुकी है या जो किसी से प्रेम करती हैं. यह व्रत किसी भी धर्म, जाति, आयु और वर्ण की महिला रख सकती है. यह व्रत 12 वर्ष या 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है. अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है. जो सुहागिन स्त्रियां आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं. इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत अन्य कोई दूसरा नहीं है.
करवा चौथ का श्रृंगार
सुहागिनें करवा चौथ पर रंग-बिरंगे परिधान पहनती हैं, आभूषण और विविध प्रकार के श्रृंगार से खुद को सजाती हैं. हाथों पर मेहंदी लगाती हैं. मान्यता है कि जितनी अधिक मेहंदी रचती है, उतना ही सौभाग्य और खुशहाली घर में आती है. चंद्रमा उदय होने के बाद विवाहित स्त्रियां इनकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करती हैं. इसके बाद पति के हाथों से ही जल और फल ग्रहण करती हैं. बाद में करवा चौथ के अवसर पर तैयार विविध व्यंजन खाती हैं.
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Karwa Chauth Puja Process: व्रत की विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नानादि करने के बाद यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-
‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये.’
पूरे दिन निर्जल रहते हुए व्रत को संपूर्ण करें और दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें. चाहे तो आप पूजा के स्थान को स्वच्छ कर वहां करवा चौथ का एक चित्र लगा सकती हैं जो आजकल बाजार से आसानी से कैलेंडर के रूप में मिल जाते हैं. हालांकि अभी भी कुछ घरों में चावल को पीसकर या गेहूं से चौथ माता की आकृति दीवार पर बनाई जाती है. इसमें सुहाग की सभी वस्तुएं जैसे सिंदूर, बिंदी, बिछुआ, कंघा, शीशा, चूड़ी, महावर आदि बनाते हैं. सूर्य, चंद्रमा, करूआ, कुम्हारी, गौरा, पार्वती आदि देवी-देवताओं को चित्रित करने के साथ पीली मिट्टी की गौरा बनाकर उन्हें एक ओढ़नी उठाकर पट्टे पर गेहूं या चावल बिछाकर बिठा देते हैं. इनकी पूजा होती है…. करवा चौथ की पूरी पूजन विधि जानने के लिए यहां क्लिक करें: करवा चौथ पूजन विधि
Karwan Chuath Mantra in Hindi : पूजा के लिए मंत्र
‘ॐ शिवायै नमः‘ से पार्वती का, ‘ॐ नमः शिवाय‘ से शिव का,‘ॐ षण्मुखाय नमः‘ से स्वामी कार्तिकेय का, ‘ॐ गणेशाय नमः‘ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः‘ से चंद्रमा का पूजन करें.
Karwan Chuath Katha in Hindi: करवा चौथ कथा
हालांकि करवाचौथ से जुड़ी कई कहानियां भिन्न-भिन्न प्रदेशों में अलग-अलग हैं लेकिन इन कहानियों में अधिक अंतर नहीं है.
करवाचौथ का एक संदर्भ हमें महाभारत में भी मिलता है. इस कथा के अनुसार पांडवपुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले जाते हैं व दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं. यह सब देख द्रौपदी चिंता में पड़ जाती हैं. वह भगवान श्रीकृष्ण से इन सभी समस्याओं से मुक्त होने का उपाय पूछती हैं.
श्रीकृष्ण द्रौपदी से कहते हैं कि यदि वह कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन अर्थात करवा चौथ का व्रत रखें तो उन्हें इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है. भगवान कृष्ण के कथनानुसार द्रौपदी विधि-विधान समेत करवा चौथ का व्रत रखती हैं, जिससे उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
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