Menu
blogid : 3738 postid : 3090

नवरात्र 2012: या देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री…

Special Days
Special Days
  • 1020 Posts
  • 2122 Comments

Navratri 2012

नवरात्र पर्व (Navratri Festival)के नौ दिनों में मां शक्ति के सभी नौ रूपों की पूजा अर्चना का आज आखिरी दिन हैं. मां सिद्धिदात्री की पूजा के साथ ही सभी भक्त अपने नौ दिनों का व्रत खत्म कर नवरात्र का समापन करते हैं. नौ देवियों की शक्ति की आराधना कर भक्त नवरात्र पर्व के बाद खुद को तरोताजा और शक्ति से परिपूर्ण महसूस करते हैं.

Read: How to end vrat/ Fast (Funny)


मां सिद्धिदात्री (Siddhidatri) की उपासना

मां सिद्धिदात्री (Siddhidatri) की उपासना अनिवार्य है.


आठ सिद्धियों की देवी

मां सिद्धिदात्री (Siddhidatri) हैं.


शिव जी ने भी की थी पूजा

देवी भगवती के अनुसार भगवान शिव ने भी मां की इसी शक्ति की उपासना करके सिद्धियां प्राप्त की थीं. इसके प्रभाव से भगवान शिव का आधा शरीर स्त्री का हो गया था. उसी समय से भगवान शिव को अर्द्धनारीश्वर कहा जाने लगा है. इस रूप की साधना करके साधक गण अपनी साधना सफल करते हैं तथा सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं.

Read: Shivratri Pujan vidhi


मां सिद्धिदात्री की साधना विधान

मां सिद्धिदात्री (Siddhidatri) की मूर्ति अथवा तस्वीर को स्थापित करें तथा सिद्धिदात्री यंत्र को भी चौकी पर स्थापित करें. तदुपरांत हाथ में लालपुष्प लेकर मां का ध्यान करें.


ध्यान के बाद हाथ के पुष्प को मां के चरणों में छोड दें तथा मां का एवं सिद्धिदात्री के मंत्र का पंचोपचार अथवा षोडशोपचार विधि से पूजन करें. देशी घी से बने नैवेद्य का भोग लगाएं तथा मां के नवार्ण मंत्र का इक्कीस हजार की संख्या में जाप करें. मंत्र के पूर्ण होने के बाद हवन करें तथा पूर्णाहुति करें. अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा वस्त्र-आभूषण के साथ दक्षिणा देकर परिवार सहित आशीर्वाद प्राप्त करें. कुंवारी कन्याओं का पूजन करें और भोजन कराएं. वस्त्र पहनाएं वस्त्रों में लाल चुनरी अवश्य होनी चाहिए, क्योंकि मां को लाल चुनरी अधिक प्रिय है. कुंआरी कन्याओं को मां का स्वरूप माना गया है. इसलिए कन्याओं का पूजन अति महत्वपूर्ण एवं अनिवार्य है.


नवरात्रों की पूजा

नवरात्र पर्व (Navratri Festival) की नौ रातों को तीन-तीन रातों में भी बांटा जाता है. प्रथम तीन रातों में मां की आराधना दुर्गा के रूप में की जाती है. काली यानी कि हमारे अंदर की पाशविक एव अपवित्र वृत्तिायों को नष्ट करने की आराधना. फिर तीन दिन उनकी अर्चना होती है लक्ष्मी के रूप में, जिन्हें हम भौतिक एव आध्यात्मिक-संपत्तिकी अर्चना करना कह सकते हैं. अंतिम तीन दिनों में उनका स्वरूप सरस्वती का होता है. सरस्वती यानी कि प्रज्ञा, ज्ञान. जो जीवन की संपूर्ण सफलता के लिए जरूरी है.

इस प्रकार नवरात्र के दौरान हम शक्ति के उन सभी रूपों का अज्जान करते हैं, जो मानव के भौतिक एव आध्यात्मिक समृद्धि के लिए निहायत ही जरूरी हैं.


कन्या पूजन

नवरात्र पर्व (Navratri Festival) के नौवें दिन कन्या पूजन का भी बेहद अहम महत्व है. दो साल से लेकर 10 साल तक की कन्याओं की पूजा और उन्हें भोग लगाने से ही मां के व्रत पूरे होते हैं. कन्याओं को भोग लगाने के साथ ही उनकी पूजा करने और भेंट देने की प्रथा है.


Read: Kanya Pujan Vidhi

Tag: नवरात्रि, त्योहार, मंदिर, धर्म, उपवास, कालरात्रि, महागौरी, अंकुर शर्मा, navratri, festival, mahagauri, fast, सिद्दिरात्री, Maa Siddhidatri, Siddhidatri

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh