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अभिनय को अपने शिखर तक पहुंचाना बहुत मुश्किल होता है. मायानगरी में कई कलाकार आते हैं और चले जाते हैं लेकिन उनमें से बहुत कम होते हैं जो दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ पाते हैं. बॉलिवुड की दुनिया में अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ने हुनर हेमामालिनी में कूट-कूट कर भरा है. चाहे शोले की बसंती हो या सीता-गीता का डबल रोल हर रोल में एक नई पहचान और अलग रंग के साथ पर्दे पर दर्शकों का मनोरंजन करने वाली हेमा मालिनी का आज 16 अक्टूबर को जन्मदिन है.
हेमा मालिनी ड्रीम गर्ल
रुपहले पर्दे से लेकर संसद तक और नृत्य समारोहों के मंच से लेकर छोटे पर्दे तक हेमा मालिनी हर जगह अपनी आकर्षक उपस्थिति से दर्शकों का ध्यानाकर्षण करती रही हैं.
हेमा मालिनी और धर्मेन्द्र की अनोखी प्रेम कहानी
जब धर्मेद्र ने हेमा मालिनी के साथ सात फेरे लिए, तब तक दोनों एक साथ एक दर्जन से भी अधिक फिल्मों में काम कर चुके थे. उस समय धर्मेद्र न केवल विवाहित थे, बल्कि उनकी बेटी की भी शादी हो चुकी थी. बड़े बेटे सनी देओल फिल्मों में आने की तैयारी कर रहे थे. ऐसे में हेमा मालिनी से शादी करने का फैसला करना जरूर बड़ा मुश्किल रहा होगा, लेकिन दोनों ने यह फैसला कर ही लिया.
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ड्रीम गर्ल का खिताब
हिंदी सिनेमा में अभिनेत्रियों को एक पद देने का ट्रेंड चला आ रहा है. ड्रीम गर्ल के रूप में फिल्म निर्माता अनंत स्वामी ने हेमा को बहुप्रचारित किया. चौदह साल की उम्र से हेमा के घर के दरवाजे पर फिल्म निर्माता दस्तक देने लगे थे. निर्माता-निर्देशक श्रीधर ने फोटो सेशन के लिए हेमा को साड़ी पहनाई. साड़ी इसलिए कि वे अपनी उम्र से बड़ी दिखाई दे सकें. 1970 में फिल्म ‘जॉनी मेरा नाम’ आई और हेमा मालिनी हर दिल की धड़कन बन गई. राजकपूर ने कहा- एक दिन यह लड़की सिनेमा की बहुत बड़ी स्टार बनेगी. राज साहब की भविष्यवाणी को हेमा ने सच कर दिखाया.
फिल्मी अभिनय का सफर
सपनों का सौदागर की नायिका के रूप में हिंदी फिल्मों को उसकी ड्रीम गर्ल की पहली झलक मिली. धीरे-धीरे हेमामालिनी का सम्मोहन हिंदी फिल्म दर्शकों के सर चढ़कर बोलने लगा और उनका नाम शीर्ष अभिनेत्री की सूची में सबसे ऊपर शुमार हो गया. लगभग तीन दशक तक हेमामालिनी के अभिनय और आकर्षण का जादू तात्कालिक अभिनेत्रियों पर हावी रहा. इसके बाद चल पड़ा सफलता का सिलसिला. सीता और गीता की सफलता से वह बॉलीवुड की नंबर वन हीरोइन बन गई. शोले में उनके बसंती वाले किरदार को आज भी लोग भूल नहीं पाए हैं. आज भी शोले का डायलॉग बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाच लोगों के मुंह में बना हुआ है.
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Political career of Hema Malini
दो बेटियों एशा और अहाना के व्यक्तित्व को मातृत्व की छांव में संवारने के साथ ही हेमामालिनी राजनीतिक परिदृश्य में भी सक्रिय रहीं. सांसद के रूप में वे अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभाती रही हैं. वह भाजपा की तरफ से राज्यसभा की सांसद रह चुकी हैं.
हेमा मालिनी को मिले पुरस्कार
उन्हें (1973) में “सीता और गीता” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला. इसके अतिरिक्त 1999 में उन्हें फिल्मफेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी मिल चुका है. हेमा मालिनी को वर्ष 2000 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया. वह राज्यसभा में भाजपा की सांसद भी रह चुकी हैं और उनका ज्यादातर वक्त सामाजिक कार्यो में बीतता है.
प्रमुख फिल्में
हेमामालिनी के लंबे फिल्मी सफर की उल्लेखनीय फिल्में हैं- जॉनी मेरा नाम, ड्रीम गर्ल, राजा जानी, सीता और गीता, धर्मात्मा, शोले, चरस, दो और दो पाच, बागबान, रजिया सुल्तान, द बर्निग ट्रेन, त्रिशूल, ज्योति, अमीर-गरीब, प्रेम नगर, खुशबू, मीरा, क्रांति और बागबान. हिंदी फिल्म दर्शकों ने हेमामालिनी के अभिनय के हर रंग देखे हैं.
उम्मीद है, भारत की इस स्वप्न सुंदरी का आकर्षण वर्षो तक यूं ही बरकरार रहेगा और रूपहले पर्दे से लेकर राजनीतिक मंच तक और छोटे पर्दे से लेकर नृत्य समारोहों में अपनी शालीन और सौम्य उपस्थिति से वे भारतवासियों को यूं ही सम्मोहित करती रहेंगी.
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