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सूचना का अधिकार: हक से मांगने का अधिकार

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Right To Information

कहने को तो हम अपने आप को स्वतंत्र कहते हैं पर क्या सही में हम स्वंतत्र हैं. शायद नहीं, क्योंकि हमारे पास कुछ ऐसे अधिकार हैं जिनका सही प्रयोग हम नहीं करते हैं. यदि उन अधिकारों का सही प्रयोग किया जाए तो स्वतंत्र होने का सही रूप में अहसास किया जा सकता है. जानने का अधिकार(Right To Know Day) सभी को है पर हम अपने इस अधिकार का प्रयोग खुलकर नहीं कर पाते हैं. आम नागरिक सिर्फ कहने के लिए आम नागरिक होता है पर वास्तव में देखा जाए तो आम नागरिक के पास एक ऐसा अधिकार है जिससे कि वह बड़े-बड़े राजनेताओं और अफसरों की कुर्सी हिला सकता है. यह अधिकार है जानने का अधिकार या किसी भी विभाग से सूचना लेने का अधिकार. सूचना का अधिकार(Right To Information)एक ऐसा रामबाण है जो बड़े-बड़े अफसरों और राजनेताओं को यह याद दिला सकता है कि आम नागरिक के अधिकार किसी भी उच्च अधिकारी की कुर्सी से कहीं ज्यादा बड़े होते हैं.


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Right To Information benefits

सूचना का अधिकार(Right To Information): वास्तविक परिभाषा

right to informationसूचना के अधिकार (Right To Information)का वास्तविक अर्थ बताने से पहले यह बताना जरूरी है कि एक आम नागरिक ही देश को चलाता है. वो ऐसे जब एक आम नागरिक कोई भी वस्तु खरीदता है तो वो उस वस्तु को खरीदने के साथ-साथ कर का भी भुगतान करता है जिस कर के माध्यम से ही सरकार चलती है. जब आम नागरिक ही देश को चलाता है तो उसे यह जानने का पूरा अधिकार है कि सरकार किस विभाग में कितना पैसा खर्च करती है. किस अधिकारी या राजनेता की जेब में कितना पैसा जाता है? इन सब प्रश्नों के जवाब सूचना के अधिकार के माध्यम से मांगे जाते हैं. सूचना का अधिकार अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है, जो 12 अक्टूबर, 2005 को लागू हुआ. यह कानून नागरिक को जानने का अधिकार(Right To Information) या सूचना लेने के अधिकार(RTI) का हक देता है. हर नागरिक को सूचना लेने का अधिकार(Right To Information) है. इसके तहत आप सरकार से कोई भी सूचना मांग सकते हैं, सरकारी निर्णय की प्रति ले सकते हैं, सरकारी दस्तावेजों का निरीक्षण कर सकते है, सरकारी कार्य का निरीक्षण कर सकते हैं, सरकारी कार्य के पदार्थों के नमूने ले सकते हैं.


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सूचना की प्राप्ति का तरीका

सूचना के अधिकार कानून(Right To Information) के तहत प्रत्येक सरकारी विभाग में जन/लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) के पद का प्रावधान है. आरटीआई (RTI)आवेदन इनके पास जमा करना होता है. आवेदन के साथ केंद्र सरकार के विभागों के लिए 10 रुपये का आवेदन शुल्क देना पड़ता है. हालांकि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग शुल्क निर्धारित हैं. यह शुल्क विभिन्न राज्यों के लिए अलग-अलग हैं. आवेदन शुल्क नकद, डीडी, बैंकर चेक या पोस्टल आर्डर के माध्यम से जमा किया जा सकता है.


सूचना मिलने की तय सीमा

सूचना के अधिकार(Right To Information) की खासियत ही यही है कि एक तय समय के भीतर ही सूचना ली जा सकती है. पीआईओ को आवेदन देने के 30 दिनों के भीतर सूचना मिल जानी चाहिए. यदि आवेदन सहायक पीआईओ को दिया गया है तो सूचना 35 दिनों के भीतर मिल जानी चाहिए.


सूचना देने में यदि देर की जाती है या सूचना की प्राप्ति से सूचना लेने वाला व्यक्ति संतुष्ट नहीं है तो अधिनियम के अनुच्छेद 19(1) के तहत एक अपील दायर की जा सकती है. सूचना प्राप्ति के 30 दिनों और आरटीआई (RTI)अर्जी दाखिल करने के 60 दिनों के भीतर प्रथम अपील दायर की जा सकती है और यदि सूचना लेने वाला व्यक्ति सूचना से संतुष्ट नहीं है तो द्धितीय अपील भी कर सकता है.


Please post your comments: क्या सच में सूचना का अधिकार (RTI) आम नागरिक के लिए एक हथियार की तरह है ?


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