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कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी आदि का निर्माण किया था. पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएं भी भगवान विश्रकर्मा द्वारा ही बनाई गई हैं. कर्ण का कुण्डल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवान का त्रिशूल और यमराज का कालदण्ड इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है.
पूजन विधि
भगवान विश्वकर्मा जी का एक मंत्र है. कहते हैं उस मंत्र के जाप के बिना विश्वकर्मा जी की आरती और पूजन पूरा नहीं माना जाता है.
ओम आधार शक्तपे नम: और ओम् कूमयि नम:; ओम् अनन्तमनम:, पृथिव्यै नम:
भारतीय परमपराओं में भगवान विश्वकर्मा की पूजा और यज्ञ पूरे विधि-विधान से किया जाता है. भगवान विश्वकर्मा जी की पूजन विधि यह है कि यज्ञकर्ता पूरे विश्वास के साथ अपनी पत्नी सहित पूजा स्थान पर बैठे. इसके बाद विष्णु भगवान का ध्यान करे और फिर बाद में हाथ में पुष्प, अक्षत लेकर – ओम आधार शक्तपे नम: और ओम् कूमयि नम:; ओम् अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम: ऐसा कहकर चारो ओर अक्षत छिड़के और पीली सरसो लेकर चारो दिशाओं को बंद कर दे. अपने आप को रक्षासूत्र बांधे एवं पत्नी को भी बांधे और साथ ही पुष्प जलपात्र में छोड़े. इसके बाद हृदय में भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करे.
पूरे विश्वास के साथ रक्षादीप जलाये, जलद्रव्य के साथ पुष्प एवं सुपारी लेकर संकल्प करे. शुद्ध भूमि पर अष्टदल कमल बनाए. उस स्थान पर सप्त धान्य रखे और उस पर मिट्टी और तांबे का जल डाले. इसके बाद पंचपल्लव, सप्त मृन्तिका, सुपारी, दक्षिणा कलश में डालकर कपड़े से कलश का आच्छादन करे. चावल से भरा पात्र समर्पित कर ऊपर विश्वकर्मा बाबा की मूर्ति स्थापित करे और वरुण देव का आह्वान करे. भगवान विश्वकर्मा जी को पूरे विश्वास के साथ पुष्प चढ़ाकर कहना चाहि – ‘हे विश्वकर्मा जी, इस मूर्ति में विराजिए और मेरी पूजा स्वीकारकीजिए. इस प्रकार पूजन के बाद विविध प्रकार के औजारों और यंत्रों आदि की पूजा कर हवन यज्ञ करना होता है.
आरतीश्रीविश्वकर्माजीकी
हमसबउतारेआरतीतुम्हारीहे, विश्वकर्मा, हेविश्वकर्मा
युग–युगसेहमहैंतेरेपुजारी, हेविश्वकर्मा…..
मूढ़अज्ञानीनादानहमहैं, पूजाविधिसेअनजानहमहैं.
भक्तिकाचाहतेवरदानहमहैं, हेविश्वकर्मा……
निर्बलहैंतुझतेबलमांगतेहैं, करुणाकाप्याससेजलमांगतेहैं.
श्रद्धाकाप्रभुजीफ़लमांगतेहैं, हेविश्वकर्मा……..
चरणोंसेहमकोलगायेहीरखना, छायामेंअपनेछुपायेहीरखना.
धर्मकायोगीबनायेहीरखना, हेविश्वकर्मा…..
सृष्टिमेंतेराहेराजबाबा, भक्तोंकीरखनातुमराजबाबा.
धरनाकिसीकानमोहताजबाबा, हेविश्वकर्मा…..
धन, वैभव, सुख–शान्तिदेना, भय, जन–जंजालसेमुक्तिदेना.
संकटसेलड़नेकीशक्तिदेना, हेविश्वकर्मा…….
तुमविश्वपालक, तुमविश्वकर्ता, तुमविश्वव्यापकतुमकष्टहर्ता.
तुमज्ञानदानीभण्ड़ारभर्ता, हेविश्वकर्मा…..
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