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World Ozone day: विश्व ओजोन दिवस

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कहते हैं कि प्राकृतिक वातावरण में मनुष्य को अपना दखल नहीं देना चाहिए और यह सच भी है. हमारी सुरक्षा के लिए पृथ्वी पर सभी मनुष्यों को एक सुरक्षा कवच के बीच में रखा गया है जिसे इंसान आज कल दूषित करता जा रहा है. ओजोन परत के बारे में लोग आम तौर पर भले ही ज्यादा न जानते हों लेकिन यह पृथ्वी और पर्यावरण के लिए एक सुरक्षा कवच का कार्य करती है तथा इसे सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी (अल्ट्रा वायलेट) किरणों से बचाती है.


ozone dayप्रौद्योगिकी के इस युग में इंसान हर उस चीज का हरण कर रहा है जो उसकी प्रगति की राह में रोड़ा बन रही है. इसी तरह इंसान ने अपने आराम और सहूलियत के लिए उस ओजोन परत को भी नष्ट करने की ठान ली है जो उसे सूर्य से निकलने वाली खतरनाक पराबैगनी किरणों से बचाती है. दिनों-दिन बढ़ रही औद्योगिक गतिविधियों के कारण आज हमारे जीवन को बचाने वाली ओजोन परत को खतरा पैदा हो गया है.


आखिर ओजोन(Ozone) है क्या?

ओजोन(Ozone) एक हल्के नीले रंग की गैस होती है जो आक्सीजन के तीन परमाणुओं (O3) का यौगिक है. ओजोन परत सामान्यत: धरातल से 10 किलोमीटर से 50 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच पाई जाती है. यह गैस सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के लिए एक अच्छे फिल्टर का काम करती है.


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ओजोन परत में नुकसान पहुंचने से खतरे

ओजोन परत बहुत ही महत्वपूर्ण है जो सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी (अल्ट्रा वायलेट) किरणों से हमारी रक्षा करती है. यदि ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है तो मनुष्य में त्वचा से जुड़ी तमाम बीमारियां हो सकती हैं.


ओजोन परत के बिना हम जिंदा नहीं रह सकते क्योंकि इन किरणों के कारण कैंसर, फसलों को नुकसान और समुद्री जीवों को खतरा पैदा हो सकता है और ओजोन परत इन्हीं पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करती है.


एक अन्य खतरा इसके कारण ध्रुवों के पिघलने का है. अंटार्कटिका में ओजोन में एक बड़ा छेद हो गया है. अंटार्कटिका क्षेत्र में बड़े हिमखंड हैं. यदि ये हिमखंड पिघलते हैं तो तटीय क्षेत्रों में बाढ़ सहित कई खतरे पैदा हो सकते हैं. इसके अलावा गर्मी भी बढ़ेगी जो नुकसानदायी होगी.


ओजोन परत को नुकसान पहुंचने से जैविक विविधता पर भी असर पड़ता है और कई फसलें नष्ट हो सकती हैं. इनका असर सूक्ष्म जीवाणुओं पर होता है. इसके अलावा यह समुद्र में छोटे-छोटे पौधों को भी प्रभावित करती है जिससे मछलियों व अन्य प्राणियों की मात्रा कम हो सकती है.


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विश्व ओजोन दिवस का इतिहास

ओजोन परत के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए पिछले दो दशक से इसे बचाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं. लेकिन 23 जनवरी, 1995 को यूनाइटेड नेशन की आम सभा में पूरे विश्व में इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओजोन दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया. उस समय लक्ष्य रखा गया कि पूरे विश्व में 2010 तक ओजोन फ्रेंडली वातावरण बनाया जाए. हालांकि अभी भी लक्ष्य दूर है लेकिन ओजोन परत बचाने की दिशा में विश्व ने उल्लेखनीय कार्य किया है.


ओजोन परत को बचाने की कवायद का ही परिणाम है कि आज बाजार में ओजोन फ्रेंडली फ्रिज, कूलर आदि आ गए हैं. इस परत को बचाने के लिए जरूरी है कि फोम के गद्दों का इस्तेमाल न किया जाए. प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम हो. रूम फ्रेशनर्स व केमिकल परफ्यूम का उपयोग न किया जाए और ओजोन फ्रेंडली रेफ्रीजरेटर, एयर कंडीशन का ही इस्तेमाल किया जाए. इसके अलावा अपने घर की बनावट ओजोन फ्रेंडली तरीके से किया जाए, जिसमें रोशनी, हवा व ऊर्जा के लिए प्राकृतिक स्त्रोतों का प्रयोग हो.


यह धरती हमें एक विरासत के तौर पर मिली है जिसे हमें आने वाली पीढ़ी को भी देना है. हमें ऐसे रास्ते अपनाने चाहिए जिनसे ना सिर्फ हमारा फायदा हो बल्कि उससे हमारी आने वाली पीढ़ी भी इस बेहद खूबसूरत धरती का आनंद ले सके.


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