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बॉलीवुड में अपनी फिल्म को चलाने के लिए आजकल कई तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं. फिल्म की कहानी भले ही सही न हो लेकिन उसे सौ या दो सौ करोड़ की लिस्ट में शामिल करने के लिए तरह-तरह के प्रमोशन किए जा रहे हैं. वहीं इसी बॉलीवुड में कुछ फिल्में ऐसी बनाई जाती हैं जो कलात्मक दृष्टि से बहुत ही उम्दा होती हैं लेकिन प्रमोशन के न होने की वजह से लोगों की पहुंच से बाहर हो जाती हैं. लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपने फिल्मों के न चलने के बाद भी ऐसी आर्ट फिल्मे बनाना नहीं छोड़ते. उन्हीं में से एक निर्देशक हैं ऋतुपर्णो घोष (Rituparno Ghosh).
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ऋतुपर्णो घोष की शिक्षा
ऋतुपर्णो घोष (Rituparno Ghosh) के पिता भी फिल्मों से जुड़े थे. ऋतुपर्णो घोष (Rituparno Ghosh) ने अपनी स्कूली पढ़ाई साउथ पॉइंट हाई स्कूल (South Point High School) से पूरी की. इसके बाद जाधवपुर यूनिवर्सिटी (Jadavpur University, Kolkata) से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की.
ऋतुपर्णो घोष का कॅरियर
ऋतुपर्णो घोष (Rituparno Ghosh) ने अपना कॅरियर विज्ञापन के जरिए शुरू किया. 1992 में उन्होंने पहली बार बच्चों पर आधारित एक फिल्म बनाई थी जिसका नाम था हिरेर अंग्ति (Hirer Angti). उनकी दूसरी फिल्म थी उनीसे अप्रैल (Unishe April) मतलब 19 अप्रैल. इस फिल्म के लिए उनको 1995 का सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था.
बंगाल के इस फिल्म निर्देशक ने दहन, उत्सब ( Utsab), चोखेर बाली (Chokher Bali), असुख (Asukh), बारीवली (Bariwali), अंतरमहल (Antarmahal) और रेनकोट (Raincoat) जैसी शानदार फिल्में भी बनाईं जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिले. उन्होंने अब-तक 10 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हासिल कर लिए हैं.
ऋतुपर्णो घोष को मिले पुरस्कार
ऋतुपर्णो घोष (Rituparno Ghosh) की फिल्म बारीवली को नेटपैक अवार्ड (NETPAC Award) दिया गया था.
National Film Award : राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
1995 में पहली बार उनकी फिल्म “उनीसे अप्रैल” (Unishe April) को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया था.
1998 में उनकी फिल्म “दहन” (Dahan) को बेस्ट स्क्रीनप्ले के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया था.
ऋतुपर्णो घॉष को फिल्म “उत्सब” (Utsab) के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया था.
ऋतुपर्णो घोष (Rituparno Ghosh) की फिल्म “शुभो महूरत” (Shubho Mahurat) को सर्वश्रेष्ठ बंगाली फिल्म (Best Feature Film in Bengali) का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया था.
2004 में फिल्म “चोखेर बाली” (Chokher Bali) को सर्वश्रेष्ठ बंगाली फिल्म (Best Feature Film in Bengali) का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया था.
2005 में फिल्म “रेनकोट” को सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था.
2008 में उनकी फिल्म “द लास्ट लियर” (The Last Lear) को सर्वश्रेष्ठ अंग्रेजी फिल्म (Best Feature Film in English) का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था. जब यह फिल्म आई तो उस समय काफी विवाद में रही महाराष्ट्र में इसकी ऑपनिंग काफी खराब रही. उत्पल दत्त के बंगाली नाटक ‘आजकेर शाहजहां’ पर आधारित इस फिल्म में अमिताभ के अलावा प्रीति जिंटा, अर्जुन रामपाल, शेफाली शाह और दिव्या दत्ता ने भी अभिनय किया है.
2009 में उनकी फिल्म “शोब चरित्रो काल्पोनिक” (Shob Charitro Kalponik) को सर्वश्रेष्ठ बंगाली फिल्म (Best Feature Film in Bengali) का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया था.
ऋतुपर्णो घोष (Rituparno Ghosh) को फिल्म “अबोहोमान” (Abohoman) के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया था. इसी फिल्म को सर्वश्रेष्ठ बंगाली फिल्म (Best Feature Film in Bengali) का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी दिया गया था.
Rituparno Ghosh’s “Chitrangada” : फिल्म ‘चित्रांगदा’ में है कुछ बात
31 अगस्त 2012 को उनके जन्मदिन पर उन्हीं के द्वारा निर्देशित फिल्म चित्रांगदा (Chitrangada) रिलीज होने जा रही है. यह एक तरह की बोल्ड फिल्म है जिसमें कई तरह के अंतरंग सीन हैं. यह फिल्म रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रमुख कृति की समकालीन व्याख्या पर आधारित है. ऋतुपर्णो घोष इस फिल्म में स्वयं मुख्य कोरियोग्राफर का किरदार निभा रहे हैं. फिल्म की कहानी समलैंगिकता पर अधारित है. रितुपर्णो की अभिनेता के रूप में यह चौथी फिल्म है.
ऋतुपर्णो घोष (Rituparno Ghosh) की छवि लीक से हटकर और आर्ट फिल्में बनाने के लिए रही है. वह अपनी फिल्मों में संवेदनशील विषयों को उठाते हैं. उनकी अधिकतर फिल्में समाज के भीतर से ही उठाई हुई पृष्ठभूमि पर होती हैं जो कहीं न कहीं कुछ सवाल जरूर खड़े करती हैं.
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