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Eid ul Fitr 2012 India
“या खुदा मेरे इस दुनिया से बैर को मिटा देना, हर तरफ नेकी और प्यार को ही जिंदगी बना देना”
रमजान के आखिरी दिन यानि ईद-उल-फितर के मौके पर हर मुसलमान भाई की जबां पर शायद इसी दुआ के शब्द होते होंगे. इस्माल धर्म के पवित्र महीने रमजान के बाद नया चांद देखने के अवसर पर मनाया जाने वाला ईद-उल-फितर कुछ ही दिनों में आने वाला है. ईद की चहल-पहल हर तरफ देखने को अभी से मिल रही है.
Eid ul Fitr 2012in India
इस साल ईद उल फितर यानि रोजा तोड़ने का त्यौहार 20 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा. ईद उल फितर पूरे महीने भूख और प्यास सहने और सिर्फ खुदा को याद करने वाले रोजेदारों को अल्लाह का इनाम है. ईद-उल-फितर एक पर्व नहीं बल्कि हमारे समाज को जोडने का मजबूत सूत्र है. ईद उल फितर इस्लाम के प्रेम और सौहार्द्र भरे संदेश को भी सही ढंग से फैलाता है. दुनिया में चांद देखकर रोजा रहने और चांद देखकर ईद मनाने की पुरानी परम्परा है और आज के हाईटेक युग में तमाम बहस-मुबाहिसे के बावजूद यह रिवाज कायम है.
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व्यापक रूप से देखा जाए तो रमजान और उसके बाद ईद व्यक्ति को एक इंसान के रूप में सामाजिक जिम्मेदारियों को अनिवार्य रूप से निभाने का दायित्व भी सौंपती है.
Eid ul Fitr: Meaning
ईद-उल-फितर अरबी भाषा का शब्द है. ईद का तात्पर्य है खुशी. फितर का अभिप्राय है दान. इस प्रकार ईद-उल-फितर ऐसा दान-पर्व है, जिसमें खुशी बांटी जाती है तथा जो आर्थिक दृष्टि से इतने कमजोर हैं कि जिन्हें रोटी-रोजी के भी लाले पड़े रहते हैं और खुशी जिनके लिए ख्वाब की तरह होती है, तो ऐसे वास्तविक जरूरतमंद लोगों को फितरा (दान) देकर उनके ख्वाब को हकीकत में बदला जाता है और वे भी खुशी मनाने के काबिल हो जाते हैं. फितरा अदा करने के शरीअत (इस्लामी धर्म-संहिता) के अनुसार निर्धारित मापदंड हैं.
Eid ul Fitr History
पहला ईद उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनाया था.
Eid ul Fitr: क्या है फितरा
ईद मनाने से पहले फितरा और जकात निकाल देना चाहिए. जो कोई फितरा नहीं निकालता वह ईद की नमाज पढ़ने ईदगाह में जाने के योग्य नहीं. फितरा अनाथ, मजलूम और गरीबों को दी जाती है. जकात आय का 40वां भाग माना गया है.
फितरा एक निश्चित वजन में अनाज (मुख्यत: गेहूं) के रूप में होता है अथवा उस अनाज की कीमत के रूप में धन-राशि होती है.
ईद उल फितर का महत्व
ईद उल फितर का असली महत्व है कि सामर्थ्यवान लोग कमजोर और बेसहारा लोगों की भी सहायता दें ताकि जो लोग इस पर्व को मनाने में विफल हैं वह भी इस जश्न के मौके में शामिल हो सकें. ईद-उल-फितर इंसानियत और बंधुत्व का बैंक है जिसमें खुशियों के खातेदार और आनंद अंशधारक होते हैं.
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