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Vande Matram in Hindi
हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयं प्रभा समुज्वला स्वतंत्रता पुकारती.
देश जब पराधीन था तब जयशंकर प्रसाद की यह लाइनें देश की आजादी का बिगुल बजाती थी लेकिन देश की आजादी में जिस मंत्र ने महामंत्र का काम किया है वह था “वंदे मातरम” (Vande Matram).
आज देश के राष्ट्रगीत के रूप में मशहूर “वंदे मातरम” (Vande Matram) कभी देश के नौजवान देशप्रेमियों के लिए क्रांति का बिगुल था. चाहे चन्द्रशेखर आजाद हो या नेताजी सुभाषचन्द बोस या शहीद भगत सिंह सभी ने वंदे मातरम का इस्तेमाल अपनी आवाज उठाने के लिए ही किया.
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Vande Matram History
आजादी का वह मंजर
स्वतंत्रता आंदोलन में वंदे मातरम की गूंज हर कोने से सुनाई पड़ती और लोग मातृभूमि को अंग्रेजी शासन से मुक्त कराने के लिए उत्साहित होते थे. मातृभूमि को सलाम के लिए आज भी युवा पीढ़ी वंदे मातरम मंत्र का उच्चारण करती है. राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ को लेकर अक्सर कुछ स्वार्थी तत्व सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए विवाद खड़े करते रहे हैं लेकिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इस अमोल मंत्र की लोकप्रियता और लोगों के दिल में इसके लिए प्यार आज भे कम नही हुआ है.
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कैसे बना वंदे मातरम
दुनिया के अधिकतर राष्ट्रगीत उस देश के संघर्ष के समय पैदा हुए हैं, भारत का राष्ट्रगीत भी हमारी आजादी के संघर्ष के समय का है. बात है 1887 जब अंग्रेजों ने एक आदेश लागू कि “गॉड सेव द क्वीन” गीत को गाना अनिवार्य कर दिया. बंकिमचंद्र चटर्जी उस समय एक सरकारी अधिकारी हुआ करते थे, उन्हें यह आदेश रास नहीं आया और उन्होंने 1876 में इसके विकल्प के तौर पर संस्कृत और बांग्ला के मिश्रण से एक नए गीत की रचना की और उसका शीर्षक दिया “वंदे मातरम्”. शुरुआत में इसके केवल दो पद रचे गए थे, जो केवल संस्कृत में थे.
राष्ट्रकवि रवींद्रनाथ टैगोर ने इस गीत को स्वरबद्ध किया और पहली बार 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में यह गीत गाया गया. अरबिंदो घोष ने इस गीत का अंग्रेज़ी में और आरिफ़ मौहम्मद ख़ान ने इसका उर्दू में अनुवाद किया. ‘वंदे मातरम्’ का स्थान राष्टीय गान ‘जन गण मन’ के बराबर है. यह गीत स्वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्ररेणा का स्रोत था.
Vande Mataram Controversy in hindi: वंदे मातरम पर बवाल
सन 1905 के बंगाल के स्वदेशी आंदोलन ने वंदे मातरम को राजनीतिक नारे में तब्दील कर दिया. जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में गठित एक समिति की सलाह पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सन 1937 में इस गीत के उन अंशों को छांट दिया, जिनमें मूर्तिपूजा के भाव ज्यादा प्रबल थे और गीत के संपादित अंश को राष्ट्रगान के रूप में अपना लिया.
जब भारत आजाद हुआ और उसका संविधान लिखा जा रहा था तब वंदे मातरम को राष्ट्रगीत का दर्जा नहीं मिला था. लेकिन संविधान सभा के अध्यक्ष और भारत के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने 24 जनवरी, 1950 को घोषणा की कि वंदे मातरम को राष्ट्रगीत का दर्ज़ा दिया जा रहा है.
आज आजादी की 66वीं वर्षगांठ पर आइयें एक साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनमोल गीत को गाएं: National Song of India – Vande mataram
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वंदे मातरम
वंदे मातरम,वंदे मातरम सुजला सुफला मलयज-शीतलाम शश्य-शामलाम मातरम वंदे मातरम शुभ्र-ज्योत्स्ना-पुलकित यामिनी फुललकुसुमित-द्रुमदल शोभिनी सुहासिनीं सुमधुर भाषिनीं सुखदां वरदां मातरम वंदे मातरम – बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय |
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