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History of Independence Day
आजादी कहने को सिर्फ एक शब्द है लेकिन इसकी भव्यता में कोई भी शब्दों में नहीं बांध सकता. गुलामी का दर्द शायद आज के युवा समझ ना सकें जो पब में देर रात तक पीने को अपनी आजादी मानते हैं. आजादी जाननी है तो उन लोगों की जिंदगी को महसूस कीजिए जो आज भी किसी बड़े जमींदार के खेत में गुलामी कर रहे हैं, आजादी का अर्थ उस छोटे बच्चों से जाकर पूछें जो मात्र कुछ पैसे के लिए अपने बचपन के दिन एक ढाबे पर बिता रहा है.
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आज आजादी का मतलब अपने उन्माद में नग्न होकर नाचना भर रह गया है लेकिन शायद ही कोई उस आजादी को समझ सकता है जिसका मूल्य देश ने भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव, सुभाषचन्द्र बोस आदि के प्राण खोकर चुकाया है. देश की आजादी की कहानी में शायद ही कोई ऐसा पन्ना हो जो आंसुओं से होकर ना गुजरा हो. झांसी की रानी से गांधी जी के असहयोग आंदोलन तक की मेहनत के बाद हमें आजादी प्राप्त हुई तो चलिए आज इस आजादी की कहानी पर एक नजर डालें.
1857 से शुरू हुआ संग्राम
सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महायज्ञ का प्रारम्भ झांसी की रानी और मंगल पांडे ने किया और अपने प्राणों को भारत माता पर न्यौछावर किया. देखते ही देखते यह चिंगारी एक महासंग्राम में बदल गयी जिसमें पूरा देश कूद पड़ा.
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महानायकों के कथन
इस आजादी के लिए तिलक ने ‘स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है’ का सिंहनाद किया. चन्द्रशेखर आजाद ने अपना धर्म ही आजादी को बताया. भगतसिंह ने देशवासियों में देशभक्ति की जो लौ पैदा की वह अद्भुत है. ईंट का जवाब पत्थर से देने की क्रांतिकारियों की ख्वाहिश का सम्मान यह देश हमेशा करेगा. देश को गर्व है कि उसके इतिहास में भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरू और असंख्य ऐसे युवा हुए जिन्होंने अपने प्राणों को भारतमाता के लिए हंसते-हंसते न्यौछावर कर दिया.
सुभाषचन्द बोस का कथन
देश के इतिहास में अगर किसी को असली सुपरहीरो माना जाता है तो वह हैं हमारे नेताजी सुभाषचन्द्र बोस. सुभाष चन्द्र बोस एक आम भारतीय ही थे. उच्च शिक्षा प्राप्त और अच्छे उज्जवल कॅरियर को त्याग देश के इस महान हीरो ने दर-दर भटक कर देश की आजादी के लिए प्रयास किए. इसी कड़ी में उन्होंने “आजाद हिन्द फौज” की स्थापना की जो निर्विवाद रूप से देश की सबसे ताकतवर सेना मानी जाती थी. आजादी के लिए जो सुभाष चन्द बोस जी ने कहा था वह आज भी हमें देशभक्ति से ओत-प्रोत करता है:
“स्वतंत्रता संग्राम के मेरे साथियों! स्वतंत्रता बलिदान चाहती है. आप ने आजादी के लिए बहुत त्याग किए हैं, किंतु अपनी जान की आहुति अभी बाकी है. मैं आप सबसे एक चीज मांगता हूं और वह है खून. दुश्मन ने हमारा जो खून बहाया है, उसका बदला सिर्फ खून से ही चुकाया जा सकता है. इसलिए तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा.”
आजादी का अहिंसक रूप: गांधीजी
आज आजाद भारत में अगर स्वतंत्रता का सारा क्रेडिट किसी को जाता है तो वह हैं गांधी जी. महात्मा गांधी को यूं तो किसी परिचय की मोहताज नहीं लेकिन यह राष्ट्र उन्हें राष्ट्रपिता के रूप में जानता है. “राष्ट्रपिता” नाम से क्यों इस शख्स को ही विभूषित किया गया इसका जवाब जानने के लिए आपको एक बार फिर आजादी का असली मूल्य समझना होगा. गांधीजी ने दुनिया को अंहिसा और असहयोग नाम के दो महा अस्त्र दिए.
‘अहिंसा’ और ‘असहयोग’ लेकर ग़ुलामी की जंज़ीरों को तोड़ने के लिए महात्मा गांधी, ‘लौह पुरुष’ सरदार पटेल, चाचा नेहरू, बाल गंगाधर तिलक जैसे महापुरुषों ने कमर कस ली. 90 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को ‘भारत को स्वतंत्रता’ का वरदान मिला.
भारत का 66वें स्वतंत्रता दिवस की आप सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं
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