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Independence Day 2012: आजादी की राह में अपनों का खून भी बहा है

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Story of Partition

8 अगस्त, 1942 को कांग्रेस अधिवेशन बम्बई में हुआ. उसमें “भारत छोड़ो” प्रस्ताव पास हुआ. अंग्रेज़ सरकार ने दमन नीति का सहारा लिया. इस बीच नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने भारत से बाहर रहकर भारत को स्वतंत्र कराने का प्रयत्न किया.

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इंग्लैण्ड के तत्कालीन प्रधान मंत्री क्लीमैंट एटली ने भारत की समस्या सुलझाने के लिए 23 मार्च, 1946 को तीन अधिकारियों—पैथिक लारेन्स, स्टेफर्ड क्रिप्स और ए. बी. एलैज़ेण्डर को भारत भेजा. उन्होंने भारतीय नेताओं से तथा वायसराय से बातचीत की. 14 अगस्त, 1946 ई. को वायसराय ने केन्द्र में अन्तरिम सरकार बनाने के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू से अनुरोध किया. परन्तु मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग की और सीधी कार्यवाही के मार्ग को अपनाया. 16 अगस्त को कलकत्ते में काफ़ी खून–ख़राबा हुआ, हज़ारों लोग मारे गए तथा करोड़ों की सम्पत्ति नष्ट कर दी गई.


फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली ने एक ब्यान दिया, जिसके अनुसार हिन्दुस्तान को 1948 में स्वतंत्र करने की घोषणा की. इस बयान के साथ भारत के वायसराय लार्ड वेवेल को वापस इंग्लैण्ड बुला लिया गया और उसकी जगह पर लार्ड माउण्टबेटन को भारत का वायसराय बनाकर भेजा गया. कांग्रेसी नेताओं ने इस विचार को स्वीकार कर लिया और 4 जुलाई, 1947 को इंग्लैण्ड की पार्लियामेंट में भारतीय स्वतंत्रता विधेयक पेश किया गया. 16 जुलाई, 1947 को पार्लियामेंट के दोनों सदनों ने इस विधेयक को पास कर दिया और 18 जुलाई, 1947 को इंग्लैण्ड के बादशाह ने भी अपनी स्वीकृति दे दी.


14 अगस्‍त 1947 को रात को 11.00 बजे संघटक सभा द्वारा भारत की स्‍वतंत्रता को मनाने की एक बैठक आरंभ हुई, जिसमें अधिकार प्रदान किए जा रहे थे. जैसे ही घड़ी में रात के 12.00 बजे भारत को आज़ादी मिल गई और भारत एक स्‍वतंत्र देश बन गया.


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पर इस देश को आजादी की एक बड़ी कीमत अदा करनी पड़ी और वह थी पाकिस्तान जिसकी कीमत आज भी हम चुका रहे हैं. पाकिस्तान की उपज कुछ तथाकथित मुस्लिम प्रेमियों की थी जिन्हें सत्ता का लोभ देशहित से भी ज्यादा था. आज पाकिस्तान से किसी को क्या लाभ हुआ समझ नहीं आ रहा. पाकिस्तान रह रह कर कश्मीर की मांग पर भारत में खून बहाता चला जाता है. भारत पर पाकिस्तान पिछले 66 साल में कई बार प्रत्यक्ष आक्रमण कर चुका है और हमेशा भारत में घुसपैठ और आतंकवाद को बढ़ावा देता रहता है. सोचिए कि पाकिस्तान और हिंदुस्तान का बंटवारा ना हुआ होता तो यह देश कितना प्रगति करता. देश की विकास गति कितनी अधिक होती.


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