Menu
blogid : 3738 postid : 2742

Rakshabandhan 2012: रक्षाबंधन का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

Special Days
Special Days
  • 1020 Posts
  • 2122 Comments

Raksha Bandhan in Hindi

सभी जानते हैं भारत में अगर हिंदू धर्म की कोई सबसे बड़ी पहचान है तो वह हैं इसके त्यौहार. और सिर्फ हिंदू ही क्यूं भारत में तो हर जाति और धर्म के त्यौहारों का अनूठा संगम देखने को मिलता है. हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है राखी या रक्षाबंधन.


Raksha Bandhan 2012Raksha Bandhan Historical and spiritual Importance

रक्षाबंधन भाई और बहन के रिश्ते की पहचान माना जाता है. राखी का धागा बांध बहन अपने भाई से अपनी रक्षा का प्रण लेती है. यूं तो भारत में भाई-बहनों के बीच प्रेम और कर्तव्य की भूमिका किसी एक दिन की मोहताज नहीं है पर रक्षाबंधन के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की वजह से ही यह दिन इतना महत्वपूर्ण बना है.


भारत चाहे आज कितना भी विकसित क्यूं ना हो जाए यहां धर्म हर चीज पर भारी पड़ता है. रक्षाबंधन के संदर्भ में भी कहा जाता है कि अगर इस पर्व का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व नहीं होता तो शायद यह पर्व अब तक अस्तित्व में रहता ही नहीं. तो चलिए जानते हैं आखिर क्या है रक्षाबंधन का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व:


रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार यह पर्व देवासुर संग्राम से जुडा है. जब देवों और दानवों के बीच युद्ध चल रहा था और दानव विजय की ओर अग्रसर थे तो यह देख कर राजा इंद्र बेहद परेशान थे. दिन-रात उन्हें परेशान देखकर उनकी पत्नी इंद्राणी (जिन्हें शशिकला भी कहा जाता है) ने भगवान की अराधना की. उनकी पूजा से प्रसन्न हो ईश्वर ने उन्हें एक मंत्रसिद्ध धागा दिया. इस धागे को इंद्राणी ने इंद्र की कलाई पर बांध दिया. इस प्रकार इंद्राणी ने पति को विजयी कराने में मदद की. इस धागे को रक्षासूत्र का नाम दिया गया और बाद में यही रक्षा सूत्र रक्षाबंधन हो गया.


वामनावतार में रक्षाबंधन

वामनावतार नामक पौराणिक कथा में रक्षाबंधन का प्रसंग मिलता है. कथा इस प्रकार है – राजा बलि ने यज्ञ संपन्न कर स्वर्ग पर अधिकार का प्रयत्‍‌न किया, तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु (Lord Vishnu) से प्रार्थना की. विष्णु जी वामन ब्राह्मण बनकर राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए. गुरु के मना करने पर भी बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी. वामन भगवान ने तीन पग में आकाश-पाताल और धरती नाप कर राजा बलि को रसातल में भेज दिया. उसने अपनी भक्ति के बल पर विष्णु जी से हर समय अपने सामने रहने का वचन ले लिया. लक्ष्मी जी इससे चिंतित हो गईं. नारद जी की सलाह पर लक्ष्मी जी बलि के पास गई और रक्षासूत्र बांधकर उसे अपना भाई बना लिया. बदले में वे विष्णु जी को अपने साथ ले आईं. उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी.


महाभारत में रक्षाबंधन

महाभारत में भी रक्षाबंधन के पर्व का उल्लेख है. जब युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूं, तब कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिए राखी का त्यौहार मनाने की सलाह दी थी. शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण (Lord Krishna) की तर्जनी में चोट आ गई, तो द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर चीर उनकी उंगली पर बांध दी थी. यह भी श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था. कृष्ण ने चीरहरण के समय उनकी लाज बचाकर यह कर्ज चुकाया था.


Rakhi 2012रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व

हुमायूं ने निभाई राखी की लाज

चित्तौड़ की विधवा महारानी कर्मावती ने जब अपने राज्य पर संकट के बादल मंडराते देखे तो उन्होंने गुजरात के बहादुर शाह के खिलाफ मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेज मदद की गुहार लगाई और उस धागे का मान रखते हुए हुमायूं ने तुरंत अपनी सेना चित्तौड़ रवाना कर दी. इस धागे की मूल भावना को मुगल सम्राट ने न केवल समझा बल्कि उसका मान भी रखा.


सिकंदर ने अदा किया राखी का कर्ज

कहते हैं, सिकंदर की पत्‍‌नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरु को राखी बांध कर उसे अपना भाई बनाया था और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया था. पुरु ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी का और अपनी बहन को दिए हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवन दान दिया था.


rabindranathtagore1रविंद्र नाथ टैगोर ने दिया नया नजरिया

गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने राखी के पर्व को एकदम नया अर्थ दे दिया. उनका मानना था कि राखी केवल भाई-बहन के संबंधों का पर्व नहीं बल्कि यह इंसानियत का पर्व है. विश्वकवि रवींद्रनाथ जी (Rabindranath Tagore) ने इस पर्व पर बंग भंग के विरोध में जनजागरण किया था और इस पर्व को एकता और भाईचारे का प्रतीक बनाया था. 1947 के भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में जन जागरण के लिए भी इस पर्व का सहारा लिया गया.


इसमें कोई संदेह नहीं कि रिश्तों से ऊपर उठकर रक्षाबंधन की भावना ने हर समय और जरूरत पर अपना रूप बदला है. जब जैसी जरूरत रही वैसा अस्तित्व उसने अपना बनाया. जरूरत होने पर हिंदू स्त्री ने मुसलमान भाई की कलाई पर इसे बांधा तो सीमा पर हर स्त्री ने सैनिकों को राखी बांध कर उन्हें भाई बनाया. राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए भी बांधी जाने लगी है. इस नजरिये से देखें तो एक अर्थ में यह हमारा राष्ट्रीय पर्व बन गया है.


Read: Mumtaz And Rajesh Khanna


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh