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विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day)

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World Environment Day

वृक्ष धरा का हैं श्रृंगार, इनसे करो सदा तुम प्यार


नई बिल्डिंग बनानी हो या फिर मेट्रो का पुल आज हर जगह विकास के कार्यों के लिए जिस चीज को सबसे ज्यादा बलि देनी पड़ रही है वह हैं पेड़. पेड़ जो हमारे जीवन तंत्र या यों कहें पर्यावरण के सबसे अहम कारक हैं वह लगातार खत्म होते जा रहे हैं. आलम यह है कि आज हमें घनी आबादी के बीच कुछेक पेड़ ही देखने को मिलते हैं और इसकी वजह से पृथ्वी का परिवर्तन चक्र बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. इसके साथ हमने अत्यधिक गाड़ियों का इस्तेमाल कर वायु को प्रदूषित किया है जिसने पर्यावरण को अत्यधिक हानि पहुंचाई है.


World Environment Day

हमारे इस पर्यावरण में हो रहा क्षरण आज दुनिया की सबसे बडी समस्याओं में से एक है. लेकिन यह कहना कि पर्यावरण को हानि बहुत पहले से पहुंच रही है गलत होगा. दरअसल पर्यावरण की यह हानि कुछेक सौ सालों पहले ही बड़े पैमाने पर शुरू  हुई. गाड़ियों का धुंआ, कारखानों की गंदगी, नालियों का गंदा पानी इन सब ने हमारी आधारभूत जीवन की जरूरत पर प्रभाव डाला. वायु, जल और धरातल के दूषित होने से संसार में कई बीमारियों ने जन्म लिया.

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ग्रीन हाउस इफेक्ट और कार्बन डाइऑक्साइड की परेशानी

औद्योगिक क्रांति के बाद से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में 40 फीसदी वृद्धि हुई है. इसका प्रमुख कारण है आधुनिक जीवन शैली. आज हम भारी मात्रा में जीवाश्म ईंधनों और लकड़ी इत्यादि को जलाकर कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं. जबकि कटते जंगल से कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण कम हो गया है.


अन्य परेशानियां

पर्यावरण के नुकसान में केवल वायु का ही नुकसान नहीं हुआ है बल्कि प्रदूषण ने हमारे पीने योग्य पानी को भी दूषित किया है और मिट्टी को भी दूषित कर दिया है. नतीजन हमारे खाने की थाली और पीने के गिलास में दूषित वस्तुओं का आना लगातार कई सालों से जारी है और आगे तो हालत इससे भी गंभीर होने वाली है.


पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए ही संयुक्त राष्ट्रसंघ ने साल 1972 से हर साल 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया. इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित करना था. भारत में पर्यावरण संऱक्षण अधिनियम सर्वप्रथम 19 नवम्बर, 1986 को लागू हुआ था, जिसमें पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक निर्धारित किए गये थे.


लेकिन किसी कानून को बना देने से लोगों में पर्वावरण के लिए कोई खास जागरुकता नहीं फैली है. आज भी लोग बड़ी मात्रा में लगातार प्राकृतिक संसाधनों का हनन करते हैं. पर्यावरण संरक्षण के लिए लोग डींगें तो हांकते हैं लेकिन कोई भी जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं करता. विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर कई लोग घर में गमला लगाकर या पौधे लगाकर अपना कर्तव्य पूरा मानकर खुशफहमी में जीने लगते हैं और बाकि दिन रेड लाइट पर घंटों गाड़ी खड़ी करके पेट्रोल बर्बाद कर देते हैं. यह पर्यावरण संरक्षण नहीं है.


लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हम व्यक्तिगत स्तर पर कुछ नहीं कर सकते. अगर हर इंसान अपने जन्मदिन या किसी खास मौके पर पेड़ लगाए, दोस्तों को पेड़-पौधे गिफ्ट करे, पानी बर्बाद ना करने का प्रण करे, बिजली की बर्बादी को रोके तो हो सकता है कुछ बदले. आखिर किसी को तो शुरुआत करनी होगी. अगर एक परिवार का बड़ा सदस्य पर्यावरण संरक्षण की तरफ ध्यान दे तो उसके बच्चे भी पर्यावरण की तरफ बड़े उदार होंगे.


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