- 1020 Posts
- 2122 Comments
बेहतरीन कलाकारों के सशक्त अभिनय की पहचान बन चुका भारतीय सिनेमा आज एक ऐसे मुकाम पर जा पहुंचा है जहां उसे चुनौती दे पाना बहुत मुश्किल है. आज भले ही ग्लैमर और चकाचौंध से भरी सिनेमा की दुनिया में फैशन के बीच अदाकारी कहीं खो सी गई है लेकिन एक समय ऐसा था जब अभिनेत्रियां अपनी सादगी और नजाकत के बल पर दर्शकों के दिलों पर राज करती थीं. ऐसी ही एक अभिनेत्री हैं वहीदा रहमान जिन्होंने काफी समय तक दर्शकों को अपनी सुंदरता के जादू से बांधे रखा.
वहीदा रहमान उस प्रतिभा का नाम है जिनके साथ उस समय के सभी अभिनेता काम करना चाहते थे. वहीदा रहमान का जन्म 14 मई, 1936 को हैदराबाद में हुआ था. पिता के आईएएस अधिकारी होने के कारण वहीदा रहमान अपने परिवार के साथ देश के विभिन्न स्थानों पर रहीं. बचपन में उन्हें डॉक्टर बनने की ख्वाहिश थी लेकिन उनकी किस्मत में बॉलिवुड पर राज करना लिखा था. जब वहीदा 12 साल की थीं तब उन्होंने अपनी बहन के साथ विशाखापट्ट्नम में होने वाले एक डांस शो में भरतनाट्यम में हिस्सा लिया. इस शो में दोनों बहनों ने पुरस्कार प्राप्त किया और यहीं से वहीदा रहमान के सपनों को एक नई दिशा मिली.
वहीदा रहमान का फिल्मी सफर
वहीदा रहमान ने 1955 में दो तेलुगू फिल्मों के साथ अपने कॅरियर की शुरुआत की और दोनों ही हिट रहीं जिसका फायदा उन्हें गुरुदत्त की फिल्म “सीआईडी” में खलनायिका की भूमिका के रूप में मिला. वहीदा रहमान की बेहतरीन अदाकारी ने सभी दर्शकों को आकर्षित किया, गुरुदत्त तो वहीदा रहमान की प्रतिभा के कायल हो गए.
सीआईडी के बाद गुरुदत्त ने वहीदा रहमान के साथ कई फिल्मों में काम किया जिनमें प्यासा सबसे अधिक चर्चित फिल्म रही है. फिल्म प्यासा से ही गुरुदत्त और वहीदा रहमान का विफल प्रेम प्रसंग आरंभ हुआ. गुरुदत्त एवं वहीदा रहमान अभिनीत फिल्म कागज के फूल (1959) की असफल प्रेम कथा उन दोनों की स्वयं के जीवन पर आधारित थी. गुरुदत्त और वहीदा रहमान ने फिल्म चौदहवीं का चांद (1960) और साहिब बीबी और गुलाम (1962) में भी साथ-साथ काम किया.
10 अक्टूबर, 1964 को गुरुदत्त ने कथित रुप से आत्महत्या कर ली थी जिसके बाद वहीदा अकेली हो गई, लेकिन फिर भी उन्होंने कॅरियर से मुंह नहीं मोड़ा और 1965 में गाइड के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड का पुरस्कार मिला. 1968 में आई नीलकमल के बाद एक बार फिर से वहीदा रहमान का कॅरियर आसमान की ऊंचाइयां छूने लगा.
साल 1974 में उनके साथ काम करने वाले अभिनेता कमलजीत ने उनसे शादी का प्रस्ताव रखा जिसे वहीदा रहामान ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और शादी के बंधन में बंध गईं. साल 2000 उनके जिंदगी में एक और धक्के के रुप में आया जब उनके पति की आकस्मिक मृत्यु हो गई पर वहीदा ने यहां भी अपनी इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करते हुए दुबारा फिल्मों में काम करने का निर्णय लिया और वाटर, रंग दे बसंती और दिल्ली 6 जैसी फिल्मों में अपनी बेजोड़ अदाकारी का परिचय दिया.
अभिनय के क्षेत्र में बेमिसाल प्रदर्शन के लिए उन्हें साल 1972 में पद्म श्री और साल 2011 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके साथ वहीदा रहमान को दो बार बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिल चुका है.
आज भी वहीदा रहमान फिल्मों में सक्रिय हैं और भारतीय सिनेमा के स्वर्ण काल की याद दिलाती हैं. उन्होने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दीं. पति की मृत्यु के पश्चात वहीदा बंगलूरू छोड़कर मुंबई में अपने दो बच्चों के साथ जीवन व्यतीत कर रही हैं. उनका अभिनय सफर जारी है.
Read Comments