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कुंदन लाल सहगल का जीवन
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के पहले सुपर स्टार कहे जाने वाले कुंदन लाल सहगल अभिनेता होने के साथ-साथ एक बेहतरीन गायक भी थे. कुंदन लाल सहगल का जन्म 11 अप्रैल, 1904 को जम्मू में हुआ था. के.एल. सहगल के पिता तत्कालीन जम्मू में तहसीलदार थे. इनकी माता एक बेहद धार्मिक स्त्री होने के साथ संगीत की बहुत बड़ी शौकीन थीं. बचपन में के.एल. सहगल अपनी माता के साथ शास्त्रीय भजन संध्या और कीर्तनों में जाया करते थे. बड़ा परिवार होने के कारण कुंदन लाल सहगल की शिक्षा-दीक्षा का समय बेहद अल्पकालिक रहा. बचपन में स्थानीय रामलीला में सीता का किरदार निभाने वाले कुंदन लाल सहगल स्कूल छोड़ने के बाद पिता की सहायता करने के लिए रेलवे में काम करने लग गए. उसके बाद कुंदन लाल सहगल रेमिंगटन टाइपराइटर कंपनी में बतौर टाइपराइटर सेल्समैन काम करने लगे. सेल्समैन के रूप में कार्य करते हुए कुंदन लाल सहगल को कई स्थानों की यात्रा करनी पड़ी. लाहौर में उनकी मुलाकात मेहरचंद जैन से हुई, जिनके साथ वापस कलकत्ता आने पर दोनों ने मिलकर कई महफिल-ए-मुशायरा जैसे कार्यक्रम आयोजित किए. उस समय सहगल उभरते हुए गायक थे. मेहरचंद ने उन्हें अपने हुनर को निखारने के लिए बहुत अधिक प्रेरित किया.
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कुंदन लाल सहगल का न्यू थियेटर तक का सफर
1930 के शुरूआती समय में संगीत निर्देशक हरीशचंद्र बालील, के.एल. सहगल को कलकत्ता लेकर आए और यहां उन्हें आर.सी. बोरल से मिलवाया. बोरल को सहगल बेहद प्रतिभावान लगे. उन्होंने कुंदन लाल सहगल को कलकत्ता के न्यू थियेटर में काम करने के लिए रख लिया. उन्हें मासिक 200 रुपए मेहनताना दिया जाता था. न्यू थियेटर का साथ कुंदन लाल सहगल को सफलता की ऊंचाइयों तक ले गया. दीदी (बंगाली), प्रेसिडेंट (हिंदी), साथी(बंगाली), स्ट्रीट सिंगर(हिंदी) आदि अभिनेता के रूप में सहगल की बड़ी फिल्में थीं. स्ट्रीट सिंगर में कुंदन लाल सहगल ने गायक के रूप में अपनी पहचान बनाई.
कुंदन लाल सहगल का मुंबई तक का सफर
वर्ष 1942 में कुंदन लाल सहगल मुंबई आ गए. यहां उन्होंने कई सफल फिल्मों में अभिनय और गायन किया. भक्त सूरदास और तानसेन उस समय की कुंदन लाल सहगल की बड़ी हिट साबित हुई. पंद्रह वर्ष के कॅरियर में कुंदन लाल सहगल ने 36 फिल्मों में काम किया, जिनमें 28 हिंदी, 7 बंगाली और 1 तमिल थी. गायक के रूप में इन्होंने 110 हिंदी, 20 बंगाली और 2 तमिल गाने गाए.
कुंदन लाल सहगल का निधन
वर्ष 1947 में जालंधर, पंजाब में मात्र 42 वर्ष की छोटी सी आयु में कुंदन लाल सहगल का निधन हो गया. परवाना (1947) इनकी आखिरी फिल्म थी जो सहगल के निधन के पश्चात प्रदर्शित की गई थी.
भारत की स्वतंत्रता के पश्चात देश को लता मंगेशकर, किशोर कुमार, मोहम्मद रफी जैसे जो बड़े गायक मिले उन्होंने भी कुंदन लाल सहगल को अपना आदर्श स्वीकार किया था
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