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PROFILE OF NANA PATEKAR
अभिनय एक कला है जिसमें निपुण होना सबके बस की बात नहीं. और इस कला का सही इस्तेमाल करना भी सबके बस की बात नहीं यही वजह है कि आज हिन्दी सिनेमा में यूं तो हजारों कलाकार हैं पर ऐसे कलाकारों की गिनती कम है जिन्हें बेहतरीन कलाकार माना जाता है. लेकिन इन सबके बीच नाना पाटेकर भी एक ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने अपना नाम बॉलिवुड में हमेशा शीर्ष पर बनाए रखा है. तमाम असफल फिल्मों के बाद भी नाना पाटेकर को आज भी बॉलिवुड में एक हरफनमौला अभिनेता माना जाता है.
नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी है. गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत गमन से की थी, पर फिल्म “अंकुश” में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी. समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया. “क्रांतिवीर” और “तिरंगा” जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.
हिन्दी फिल्मों के पारंपरिक नायकों से अलग, बेहद साधारण रंग-रूप और कद-काठी वाले नाना पाटेकर ने अर्थपूर्ण फिल्मों में अपनी दमदार अदायगी से हर दर्शक वर्ग को प्रभावित किया. पिछले कुछ वर्षो में नाना पाटेकर आम जन-मानस के नायक के रूप में उभरे हैं. अपनी फिल्मों में समाज में फैली गंदगियों और धार्मिक द्वेष से जूझते नाना ने दर्शकों का खूब प्यार पाया. नाना के अभिनय का सबसे बड़ा आकर्षण है,उनकी संवाद अदायगी. किसी गंभीर समस्या से नाना जितनी अच्छी तरह दर्शकों को जोड़ सकते हैं शायद, दूसरा कोई अभिनेता नहीं. यूं कह सकते हैं कि रूपहले पर्दे पर किसी राष्ट्रीय या सामाजिक समस्या पर जब नाना को अपनी चिंताएं व्यक्त करते हुए दर्शक देखते और सुनते हैं तो उनकी निगाहें बस नाना पर ही टिकी रहती है.
ऐसा नहीं है कि नाना पाटेकर ने केवल गंभीर भूमिकाएं की हैं उन्होंने “क्रांतिवीर”,”तिरंगा” जैसी फिल्मों में ठुमके भी खूब लगाए हैं. समय-समय पर नाना ने हास्य-रस से भरपूर फिल्मों में भी अपनी चंचल अदाओं से दर्शकों का प्यार पाया है. “वेलकम” और “ब्लफमास्टर” जैसी फिल्मों में नाना ने हल्की-फुल्की भूमिकाएं निभाकर स्वयं को संपूर्ण अभिनेता के रूप में स्थापित किया है. जीवन के साठ बसंत देख चुके नाना पाटेकर उम्र के इस पड़ाव पर भी ऊर्जावान और संयमित हैं और नित नयी ऊंचाइयां छू रहे हैं.
हाल ही में फिल्म “राजनीति” में उनके दमदार अभिनय को देखकर तो यही लगता है कि अभी भी उनमें जोश और उत्साह की कोई कमी नहीं आई है.
नाना पाटेकर को मिले पुरस्कार
सर्वश्रेष्ट सह अभिनेता: 1990 में “परिंदा” और 1997 में “अग्निसाक्षी” के लिए.
सर्वश्रेष्ट अभिनेता: 1995 में “क्रांतिवीर” के लिए.
सर्वश्रेष्ट सह अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड: 1990 में “परिंदा” के लिए.
सर्वश्रेष्ट विलेन का फिल्मफेयर अवार्ड : फिल्म “अंगार” के लिए साल 1992 में
सर्वश्रेष्ट अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड: साल 1995 में “क्रांतिवीर” के लिए फिल्मफेयर अवार्ड.
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