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Profile of Bollywood Superstar Rajesh Khanna
बॉलिवुड में राजेश खन्ना का नाम जब भी लिया जाता है तो दिमाग में एक ऐसे सुपरस्टार की छवि आती है जिसने अपनी जिंदगी अपने शर्तों पर जी. जिसने हिंदी सिनेमा को लंबे समय तक सुपरहिट फिल्में दी. अगर देवानंद के बाद कोई था जिसने बॉलिवुड में लगातार हिट फिल्में देने की गारंटी दी तो वह थे अपने जमाने के मशहूर हीरो राजेश खन्ना. और राजेश खन्ना के प्रशंसकों के बारे में तो पूछिए मत. कहते हैं जब राजेश खन्ना की पलकें झपकती थीं तो लड़कियां सिनेमाघरों में सीटों पर उछल पड़ती थीं. लड़कियां उनकी कार की धूल को अपनी मांग में लगाती थीं. उनकी लोकप्रियता इस कदर थी कि लोग पागल हो जाते थे. एक सुपरस्टार को जिस तरह की दीवानगी चाहिए होती है वह सब राजेश खन्ना के पास थी.
राजेश खन्ना अपने समय में स्टारडम के परिचायक थे. फिल्म के सेट पर लेट पहुंचना उनकी खराब आदत नहीं बल्कि उनकी अदा थी. हाथों में शराब का ग्लास लेकर शान से फोटोशूट करवाने की उनकी क्षमता ने उन्हें कभी समाज की नजरों में एक खराब अभिनेता की छवि नहीं बनने दी.
अपने रूमानी अंदाज, स्वाभाविक अभिनय और कामयाब फिल्मों के लंबे सिलसिले के बल पर करीब डेढ़ दशक तक सिने प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले राजेश खन्ना के रूप में हिंदी सिनेमा को पहला ऐसा सुपरस्टार मिला जिसका जादू चाहने वालों के सिर चढ़कर बोलता था.
29 दिसंबर, 1942 को अमृतसर में जन्मे जतिन खन्ना बाद में फिल्मी दुनिया में राजेश खन्ना के नाम से मशहूर हुए. उनका अभिनय कॅरियर शुरूआती नाकामियों के बाद इतनी तेजी से परवान चढ़ा कि उसकी मिसाल बहुत कम ही मिलती है.
वर्ष 1969 में आई फिल्म आराधना ने राजेश खन्ना के कॅरियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वह युवा दिलों की धड़कन बन गए. फिल्म में शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई और वह हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बनकर प्रशसंकों के दिलोदिमाग पर छा गए. आराधना ने राजेश खन्ना की किस्मत के दरवाजे खोल दिए और उसके बाद उन्होंने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 हिट फिल्में देकर समकालीन तथा अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर कायम किया. वर्ष 1970 में बनी फिल्म सच्चा झूठा के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया.
वर्ष 1971 राजेश खन्ना के अभिनय कॅरियर का सबसे यादगार साल रहा. उस वर्ष उन्होंने कटी पतंग, आनन्द, आन मिलो सजना, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी और अंदाज जैसी सुपरहिट फिल्में दीं. दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल के रूप में हिट फिल्मों के जरिए उन्होंने बॉक्स आफिस को कई वर्षों तक गुलजार रखा. भावपूर्ण दृश्यों में राजेश खन्ना के सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है.
आनन्द फिल्म में उनके सशक्त अभिनय को एक उदाहरण का दर्जा हासिल है. एक लाइलाज बीमारी से पीडि़त व्यक्ति के किरदार को राजेश खन्ना ने एक जिंदादिल इंसान के रूप में जीकर कालजयी बना दिया. राजेश को आनन्द में यादगार अभिनय के लिये वर्ष 1971 में लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया. तीन साल बाद उन्हें आविष्कार फिल्म के लिए भी यह पुरस्कार प्रदान किया गया. साल 2005 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया था.
राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर
वैसे तो राजेश खन्ना ने अनेक अभिनेत्रियों के साथ फिल्मों में काम किया, लेकिन शर्मिला टैगोर और मुमताज के साथ उनकी जोड़ी खासतौर पर लोकप्रिय हुई. उन्होंने शर्मिला के साथ आराधना, सफर, बदनाम, फरिश्ते, छोटी बहू, अमर प्रेम, राजा रानी और आविष्कार में जोड़ी बनाई, जबकि दो रास्ते, बंधन, सच्चा झूठा, दुश्मन, अपना देश, आपकी कसम, रोटी तथा प्रेम कहानी में मुमताज के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई.
राजेश खन्ना ने वर्ष 1973 में खुद से उम्र में काफी छोटी नवोदित अभिनेत्री डिम्पल कपाडि़या से विवाह किया और वे दो बेटियों ट्विंकल और रिंकी के माता-पिता बने.
हालांकि राजेश और डिम्पल का वैवाहिक जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और कुछ समय के बाद वे अलग हो गए. राजेश फिल्मों में व्यस्त रहे और डिम्पल ने भी अपने कॅरियर को तरजीह देना शुरू किया. करीब डेढ़ दशक तक प्रशंसकों के दिल पर राज करने वाले राजेश खन्ना के कॅरियर में 80 के दशक के बाद उतार शुरू हो गया. बाद में उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और वर्ष 1991 से 1996 के बीच नई दिल्ली से कांग्रेस के लोकसभा सांसद भी रहे. वर्ष 1994 में उन्होंने खुदाई से अभिनय की नई पारी शुरू की. उसके बाद उनकी आ अब लौट चलें (1999), क्या दिल ने कहा (2002), जाना (2006) और 2008 में रिलीज हुई वफा के साथ उनका सफर अब भी जारी है.
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