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कॉमेडी के पर्याय थे महमूद

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हिन्दी फिल्मों में आज हास्य कलाकारों का जो स्थान है वह बहुत मुश्किल से बन पाया है. आज हम कॉमेडी पर आधारित फिल्मों में नायकों को अश्लील और द्विअर्थी मजाक करते देखते हैं लेकिन एक समय फिल्म में कॉमिक रोल गढ़े जाते थे और उन्हें बहुत ही शालीनता से निभाया भी जाता था. जॉनी वॉकर, महमूद जैसे कलाकारों ने कॉमेडी को नए आयाम दिए थे. आज अभिनेता महमूद का जन्मदिन है जिन्हें हम उनके हास्य कलाकारी के लिए जानते हैं.


हिंदी फिल्मों में हास्य अभिनेता के कद को बढ़ाकर नायक के करीब लाने वाले कामेडियनों में सबसे पहले महमूद का नाम ही सामने आता है, जिन्होंने हास्य अभिनय में हजारों रंग बिखेर कर दर्शकों को हमेशा जी भरकर हंसने को मजबूर किया. हिंदी फिल्मों में महमूद ने हास्य कलाकार के तौर पर उस दौर में जगह बनाई थी जब हास्य को प्रमुखता नहीं दी जाती थी. कॉमेडी की नई परिभाषा गढ़ कर हास्य को फिल्म के अहम तत्व के तौर पर स्थापित करने वाले महमूद के आगे नायक भी आगे बेअसर प्रतीत होते थे.


Mehmood ali in padoshanमहमूद का जीवन

अभिनेता मुमताज अली के पुत्र महमूद का जन्म 29 सितंबर, 1932 को हुआ था. उनका पूरा नाम महमूद अली था. वह अपने माता पिता की आठ संतान में से दूसरे थे. उनकी एक बहन मीनू मुमताज (Minoo Mumtaz) भी हिन्दी फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री रह चुकी हैं. उनके पिता मुमताज अली बाम्बे टॉकीज स्टूडियो में काम किया करते थे.

बचपन से ही महमूद का रुझान अभिनय की ओर था. वह अभिनेता बनना चाहते थे.


महमूद का शुरूआती कॅरियर

पिता की सिफारिश पर महमूद को बाम्बे टॉकीज की वर्ष 1943 में प्रदर्शित फिल्म “किस्मत” में अभिनेता अशोक कुमार के बचपन की भूमिका निभाने का मौका मिल गया. इसके बाद महमूद फिल्म निर्माता ज्ञान मुखर्जी के यहां बतौर ड्राइवर काम करने लगे. इसी बहाने उन्हें हर दिन स्टूडियो जाने का मौका मिल जाया करता था. वहां वह कलाकारों को करीब से देख सकते थे. इसके बाद महमूद ने गीतकार भरत व्यास, राजा मेहंदी अली खान और निर्माता पी.एल. संतोषी के यहां भी ड्राइवर का काम किया.


mehmood_biographyमहमूद की पहली फिल्म

महमूद के किस्मत का सितारा तब चमका जब एक फिल्म की शूटिंग के दौरान अभिनेत्री मधुबाला के सामने एक जूनियर कलाकार लगातार दस रीटेक के बाद भी अपना संवाद नहीं बोल पाया. इसके बाद यह संवाद महमूद को बोलने के लिए दिया गया जिसे उन्होंने बिना रिटेक एक बार में ही ओके कर दिया. इस संवाद के बदले महमूद को पारिश्रमिक के तौर पर सौ रुपये मिले. बतौर ड्राइवर उन्हें महीने में मात्र 75 रुपये ही मिला करते थे. इसके बाद महमूद ने ड्राइवरी छोड़ दी और अपना नाम जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन में दर्ज करा दिया. इसी के साथ फिल्मों में काम पाने के लिए संघर्ष करना शुरू कर दिया. बतौर जूनियर आर्टिस्ट महमूद ने “दो बीघा जमीन”, “जागृति”, “सीआईडी” और “प्यासा” जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किए.


वर्ष 1958 में प्रदर्शित फिल्म “परवरिश” में पहली बार महमूद को एक अच्छी भूमिका मिली. इसमें उन्होंने राजकपूर के भाई की भूमिका निभाई. इसके बाद एम.वी. प्रसाद की “ससुराल” में बतौर हास्य अभिनेता महमूद को फिल्म इंडस्ट्री में पहचान मिली. इसके बाद महमूद और शोभा खोटे की जोड़ी ने “जिद्दी” और “लव इन टोकियो” समेत कई फिल्मों में काम किया.


ससुराल, जिंदगी, गुमनाम, प्यार किये जा, लव इन टोकियो, आंखें दो फूल, दिल तेरा दीवाना जैसी फिल्मों में जबरदस्त हास्य अभिनय करने वाले महमूद की शोभा खोटे के साथ जोड़ी को दर्शकों ने काफी पंसद किया.


mehmood padosan1कॉमेडियन महमूद

अपने चरित्र में आई एकरूपता से बचने के लिए महमूद ने कई अन्य प्रकार की भूमिकाएं भी कीं. इन फिल्मों में “पड़ोसन” का नाम इनमें सबसे पहले आता है. इसमें महमूद ने नकारात्मक भूमिका निभाई और दर्शकों की वाहवाही लूटने में सफल रहे. पड़ोसन फिल्म में दक्षिण भारतीय संगीत शिक्षक की भूमिका निभाकर संगीतमय कॉमेडी का एक नया इतिहास रच डाला. पड़ोसन में किशोर कुमार और सुनील दत्त जैसे दिग्गज कलाकार भी थे. “पड़ोसन” को हिंदी सिने जगत की श्रेष्ठ हास्य फिल्मों में गिना जाता है.


“मैं सुंदर हूं”, “कुंवारा बाप”, “जिनी और जॉनी” और “सबसे बड़ा रुपैया” उनकी महत्वपूर्ण फिल्मों में से हैं. 1965 में प्रदर्शित “भूत बंगला” के साथ महमूद ने निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रखा. 1974 में फिल्म “कुंवारा बाप” का निर्देशन किया. बतौर फिल्मकार उनकी फिल्मों में छोटे “नवाब”, “भूत बंगला”, “पड़ोसन”, “बांबे टू गोवा”, “दुश्मन दुनिया का”, “सबसे बड़ा रुपैया” आदि शामिल हैं. उन्होंने कई फिल्मों में पा‌र्श्वगायन भी किया.


mahmood-1_1317272714यारों का यार : महमूद

महमूद यारों के यार और संघर्ष करने वालों के मददगार थे. एक ओर उन्होंने राहुल देव बर्मन को “छोटे नवाब” में ब्रेक दिया वहीं बाद में महानायक बने अमिताम बच्चन को उस समय “बांबे टू गोवा” में नायक की भूमिका दी जब बिग बी के सितारे गर्दिश में थे.


अभिनेता, निर्देशक, कथाकार और निर्माता के रूप में काम करने वाले महमूद ने बॉलीवुड के मौजूदा किंग शाहरुख खान को लेकर वर्ष 1996 में अपनी आखिरी फिल्म “दुश्मन दुनिया का” बनाई लेकिन वह शायद दर्शकों के बदले जायके को समझ नहीं सके और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रही. अभिनय के लिहाज से उन्होंने आखिरी बार फिल्म “अंदाज अपना अपना” में काम किया था.


अपने जीवन के आखिरी दिनों में महमूद का स्वास्थ्य खराब हो गया. वह इलाज के लिए अमेरिका गए जहां 23 जुलाई, 2004 को उनका निधन हो गया. दुनिया को हंसाकर लोट-पोट करने वाला यह महान कलाकार नींद के आगोश में बड़ी खामोशी से इस दुनिया से विदा हो गया.


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