- 1020 Posts
- 2122 Comments
कहते हैं जब तानसेन गाना गाते थे तो आकाश से बारिश होने लगती थी. उनकी रागों में ऐसा जादू था जिस पर सभी मुग्ध हो जाते थे. यह होता है संगीत का जादू जो दिलों को बांधकर सभी दुख भूलने को मजबूर कर दे. संगीत को भारतीय सिनेमा ने भी बहुत कुछ दिया है. भारतीय संगीत में बॉलिवुड के गायकों का भी अहम स्थान है जिन्होंने सिनेमा के जरिए इस कला को जीवित रखा. सिनेमा जगत में हम जब भी बेहतरीन गायकों का नाम लेते हैं तो पुरुषों की जमात ज्यादा मिलती है पर महिलाओं के नाम इतने चन्द हैं कि उन्हें आप अंगुलियों पर गिन सकते हैं. हिन्दी सिनेमा में गायकी का दूसरा नाम हैं लता मंगेशकर.
लता मंगेशकर एक ऐसी शख्सियत हैं जिसने देश को ना जानें कितने ही नगमे दिए. यह वही लता मंगेशकर हैं जिन्होंने 1962 में चीन के साथ हुई लड़ाई के बाद एक कार्यक्रम में पंडित प्रदीप का लिखा, ऐ मेरे वतन के लोगों.. गाया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आंखों से आंसू निकल पड़े थे. देश की स्वर कोकिला की पदवी धारण किए हुए इस महान गायिका ने आज जिंदगी के 82 साल पूरे किए हैं.
लता मंगेशकर का जीवन
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर, 1929 को मध्यप्रदेश में इंदौर शहर के एक मध्यम वर्गीय मराठी परिवार में हुआ था. उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर मराठी रंगमंच से जुड़े हुए थे. पांच वर्ष की उम्र में लता ने अपने पिता के साथ नाटकों में अभिनय शुरू कर दिया और इसके साथ ही वह अपने पिता से संगीत की शिक्षा लेने लगीं.
लता ने उस्ताद अमानत अली खां भिंडी बाजार वाले से शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया, लेकिन विभाजन के दौरान खां साहब पाकिस्तान चले गए. इसके बाद लता ने अमानत खां देवास वाले से संगीत की शिक्षा लेनी प्रारंभ की. पंडित तुलसीदास शर्मा और उस्ताद बड़े गुलाम अली खां जैसी जानी मानी शख्सियतों ने भी उन्हें संगीत सिखाया.
वर्ष 1942 में तेरह वर्ष की छोटी उम्र में ही लता के सिर से पिता का साया उठ गया और परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई. इसके बाद उनका पूरा परिवार पुणे से मुंबई आ गया. हालांकि लता को फिल्मों में अभिनय करना जरा भी पसंद नहीं था बावजूद इसके परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी को उठाते हुए उन्होंने फिल्मों में अभिनय करना शुरू कर दिया. वर्ष 1942 में लता को पहली बार “मंगलगौर” में अभिनय करने का मौका मिला. वर्ष 1945 में लता की मुलाकात संगीतकार गुलाम हैदर से हुई.
लता मंगेशकर का कॅरियर
लता ने जिस समय हिंदी फिल्मों में गायिकी की शुरुआत की उस दौरान नूरजहां, शमशाद बेगम और जोहरा बाई अंबाले वाली जैसी गायिकाओं का वर्चस्व था.
गुलाम हैदर लता के गाने के अंदाज से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने फिल्म निर्माता एस. मुखर्जी से यह गुजारिश की कि वह लता को अपनी फिल्म शहीद में गाने का मौका दें. एस. मुखर्जी को उनकी आवाज पसंद नहीं आई और उन्होंने लता को अपनी फिल्म में लेने से इंकार कर दिया. इस बात को लेकर गुलाम हैदर काफी गुस्सा हुए और उन्होंने कहा यह लड़की आगे इतना अधिक नाम करेगी कि बड़े-बड़े निर्माता निर्देशक उसे अपनी फिल्मों में गाने के लिए गुजारिश करेंगे.
पचास के दशक में गुलाम हैदर की कही गई बात सच निकली और लता मंगेशकर, शंकर जयकिशन, एस.डी.बर्मन, सी.रामचंद्रन मोहन, हेमन्त कुमार और सलिल चौधरी जैसे नामी-गिरामी संगीतकारों की चहेती गायिका बन गईं. साहिर लुधियानवी के लिखे गीत और एस.डी. बर्मन के संगीत निर्देशन में लता ने कई हिट गाने गाए. साहिर लुधियानवी के रचित गीत पर लता ने वर्ष 1961 में फिल्म “हम दोनों” के लिए “अल्लाह तेरो नाम.. “ भजन गाया जो बहुत लोकप्रिय हुआ.
फिल्म “नागिन” में बीन की धुन पर लता का गाया गाना “मन डोले मेरा तन डोले..” आज भी लोगों के द्वारा पसंद किया जाता है. साठ के दशक में हेमन्त दा के संगीत निर्देशन में “आनंद मठ” के लिए लता मंगेशकर ने “वन्दे मातरम..” गीत गाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई.
पचास के दशक में लता मंगेशकर ने गीतकार राजेन्द्र किशन के लिए सी. रामचन्द्र की धुनों पर कई गीत गाए, जिनमें फिल्म “अनारकली” के गीत ये जिंदगी उसी की है.., जाग दर्द इश्क जाग.. जैसे गीत इन तीनों फनकारों की जोड़ी की बेहतरीन मिसाल है. इसके अलावा सी. रामचंद्र के संगीत निर्देशन में लता ने प्रदीप के लिखे गीत पर एक कार्यक्रम के दौरान एक गैर फिल्मी गीत “ए मेरे वतन के लोगों..”गाया. इस गीत को सुनकर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू इतने प्रभावित हुए कि उनकी आंखों में आंसू आ गए.
अनिल बिश्वास, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, एस.डी. बर्मन, आर.डी. बर्मन, नौशाद, मदनमोहन, सी. रामचंद्र इत्यादि सभी संगीतकारों ने लता की प्रतिभा का लोहा माना. लता जी ने “दो आंखें बारह हाथ”, “दो बीघा ज़मीन,” “मदर इंडिया”, “मुग़ल ए आज़म” आदि महान फ़िल्मों में गाने गाए हैं. इतिहास गवाह है कि 60, 70, 80, 90 के दशक में फिल्म जगत पर लता और उनकी बहन आशा ने ऐसा दबदबा कायम किया कि उस दौर किसी अन्य गायिका का लोगों को नाम तक याद न रहा.
हिन्दी सिनेमा के शो मैन कहे जाने वाले राजकपूर को सदा अपनी फिल्मों के लिए लता मंगेशकर की आवाज की जरूरत रहा करती थी. राजकपूर लता के आवाज से इस कदर प्रभावित थे कि उन्होंने लता मंगेशकर को सरस्वती का दर्जा तक दे रखा था. 90 का दशक आते-आते लता कुछ चुनिंदा फिल्मों के लिए ही गाने लगीं. हाल के सालों में वह यश चोपड़ा की फिल्मों की आवाज बनीं. ‘जब कभी भी जी चाहे’ (दाग), ‘कभी कभी मेरे दिल में’ (कभी कभी), ‘नीला आसमां सो गया’ (सिलसिला), ‘मेरी बिंदिया तेरी निंदिया’ (लम्हे), ‘ढोलना’ (दिल तो पागल है) और ‘तेरे लिए’ (वीर जारा) आदि लता के मशहूर गीत हैं जो उन्होंने यश चोपड़ा के लिए गाए.
लता मंगेशकर को मिले पुरस्कार
लता मंगेशकर को उनके गाए गीत के लिये चार बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. लता मंगेशकर को सबसे पहले वर्ष 1958 में प्रदर्शित फिल्म “मधुमती” के गीत आजा रे परदेसी.. गीत के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया था. इसके बाद वर्ष 1962 में फिल्म “बीस साल बाद” के गाने कहीं दीप जले कहीं दिल फिर वर्ष 1965 में फिल्म “खानदान” के तुम्हीं मेरे मंदिर तुम्हीं मेरी पूजा.. और वर्ष 1969 में फिल्म “जीने की राह” के गाने आप मुझे अच्छे लगने लगे.. के लिए भी लता मंगेशकर फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित की गईं.
इसके अलावे वर्ष 1993 में उन्हें फिल्म फेयर का लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड भी दिया गया. इसके साथ ही वर्ष 1994 में लता मंगेशकर फिल्म “हम आपके हैं कौन” के गाने दीदी तेरा देवर दीवाना.. गाने के लिए फिल्म फेयर के विशेष पुरस्कार से सम्मानित की गईं. लता मंगेशकर को उनके गाए गीत के लिए वर्ष 1972 में फिल्म “परिचय”, वर्ष 1975 में “कोरा कागज” और वर्ष 1990 में फिल्म “लेकिन” के लिए नेशनल अवार्ड से भी सम्मानित किया गया.
इसके अलावा लता मंगेशकर को वर्ष 1969 में पदमभूषण, 1997 में राजीव गांधी सम्मान,1999 में पदमविभूषण जैसे कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं. सन् 1989 मे उन्हें फिल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और सन 2001 में देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया गया. सन 1974 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड भी लता मंगेशकर के नाम है जिन्होंने अब तक 30,000 से ज्यादा गाने गाए हैं. लता मंगेशकर जी ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति हैं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं.
लता मंगेशकर को एक बेहद साफ दिल इंसान माना जाता है. बॉलिवुड में उनकी छवि एक बेहद शांत गायिका की है जो सबका भला चाहती हैं और यही वजह है कि पूरा संगीत जगत एक सुर में उनकी तारीफ करता नजर आता है. वह अपनी बहन आशा भोसले के बेहद करीब मानी जाती हैं. अक्सर अफवाहों के बाजार में दोनों बहनों को एक-दूसरे का प्रतिस्पर्धी बताया जाता है पर लता मंगेशकर ने हमेशा अपनी बहन के प्रति अपना प्रेम दिखाया है. क्रिकेट भी लता मंगेशकर को बहुत प्यारा है. जब 1983 में भारत ने विश्व कप जीता था तब लता मंगेशकर ने टीम को पुरस्कार देने के लिए पैसा जमा करने के उद्देश्य से कई जगह शो किए थे और उन्हें सचिन तेंदुलकर से भी बहुत लगाव है.
लता मंगेशकर स्वर की वह वृक्ष हैं जो अपने फलों के कारण हमेशा नम्र और झुका रहता है. स्वर कोकिला लता मंगेशकर को उनके जन्मदिवस पर हार्दिक बधाइयां.
Read Comments