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भारतीय राजनीति में इस समय कई ऐसे नेता हैं जिन्हें उनकी काबिलियत के हिसाब से अपना काम करने की आजादी नहीं मिली. इस समय भारत में उपरोक्त तथ्य का सबसे बड़े उदाहरण हैं हमारे माननीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह. मनमोहन सिंह की छवि बेशक आज देश के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री की हो पर कोई यह भी नहीं कह सकता कि उनमें काबिलियत नहीं है. देश के सबसे कामयाब वित्त मंत्री रह चुके मनमोहन सिंह ने संकट के समय देश को संभाला भी था. एक समय मनमोहन सिंह को देश का सबसे काबिल नेता माना जाता था.
मनमोहन सिंह एक कुशल राजनेता के साथ-साथ एक अच्छे विद्वान, अर्थशास्त्री और विचारक भी हैं. उनकी कुशल और ईमानदार छवि की वजह से ही कभी उनकी पहुंच देश की सर्वोच्च पार्टी में थी. एक अर्थशास्त्री के तौर पर लोगों ने हमेशा उनकी तारीफ की है. 21 जून, 1991 से 16 मई, 1996 तक नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे. वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने भारत में आर्थिक सुधारों की शुरुआत की. उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों का प्रणेता माना गया है.
जीवन-परिचय
भारत के सत्रहवें और वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को पाकिस्तान के ‘गाह’ नामक एक छोटे से गांव में हुआ था. देश के विभाजन के बाद मनमोहन सिंह का परिवार भारत आ गया था. प्रारंभ से ही उनका पढ़ाई की ओर विशेष रुझान था. वह शिक्षा के महत्व को अच्छी तरह समझते थे. मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से अव्वल श्रेणी में बी.ए (आनर्स) की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद सन 1954 में यहीं से एम.ए (इकोनॉमिक्स) में भी उन्होंने पहला स्थान प्राप्त किया. पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त करने के लिए वह कैंब्रिज विश्वविद्यालय गए जहां उन्हें उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राइट्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नेफिल्ड कॉलेज से मनमोहन सिंह ने डी. फिल की परीक्षा उत्तीर्ण की. मनमोहन सिंह पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में व्याख्याता के पद पर नियुक्त होने के बाद जल्द ही प्रोफेसर के पद पर पहुंच गए. मनमोहन सिंह ने दो वर्ष तक दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी अध्यापन कार्य किया. इस समय तक वह एक कुशल अर्थशास्त्री के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे. मनमोहन सिंह अपने व्याख्यानों के लिए कई बार विदेश भी बुलाए गए. इन्दिरा गांधी के काल में वह रिजर्व बैंक के गवर्नर भी बनाए गए.
मनमोहन सिंह का राजनैतिक सफर
राजीव गांधी के कार्यकाल में मनमोहन सिंह को योजना आयोग का उपाध्यक्ष निर्वाचित किया गया. इस पद पर वह निरंतर पांच वर्षों तक कार्य करते रहे. अपनी प्रतिभा और अर्थ संबंधी मसलों की अच्छी जानकारी के कारण वह 1999 में प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार भी नियुक्त किए गए. भारत के आर्थिक इतिहास और मनमोहन सिंह के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब डा. सिंह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री रहे
शासकीय अनुभव के बल पर वह अप्रैल 2004 में 72 वर्ष की आयु में वह प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए. पुनः दूसरी बार उन्हें वर्ष 2009 में प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला. 2009 के लोकसभा चुनावों में मिली जीत के बाद वे जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बन गए हैं जिनको पांच वर्षों का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला है.
मनमोहन सिंह: एक कमजोर प्रधानमंत्री !
हाल के सालों में लगातार मनमोहन सिंह की किरकिरी हो रही है. कई लोगों का मानना है कि यूपीए सरकार में आने के बाद ही मनमोहन सिंह के दामन पर दाग लगे हैं. 2 जी घोटाला हो या कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, हर जगह मनमोहन को जनता लपेटे में ले रही है. हालांकि इसमें कुछ गलत भी नहीं है क्यूंकि यह साफ है कि मनमोहन सिंह की नेतृत्व वाली सरकार में अगर कोई घोटाला होता है तो नैतिक तौर पर उसकी जिम्मेदारी उनकी ही बनती है. और ऊपर से मनमोहन सिंह का कभी खुलकर बात ना करना भी लोगों को उन पर वार करने का मौका देता है.
आज मनमोहन सिंह के जन्मदिन पर सबको उम्मीद है कि उनके जीवन में यह उठापटक जल्द ही खत्म होगी और वह शीघ्र ही कोई ऐसा कदम उठाएंगे जिससे उनकी साफ छवि दुबारा लोगों के सामने आ जाएगी.
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