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हिंदू धर्म के अनुसार भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्यनीय और मंगलकारी माना जाता है. हाथी का सिर लिए भगवान शिव और पार्वती के सुपुत्र श्रीगणेश हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व रखते हैं. शादी-विवाह हो या कोई भी अन्य शुभ कार्य श्रीगणेश को सबसे पहले पूजा जाता है. गणेश जी को सर्व मंगलकारी और विघ्नहर्ता माना जाता है. समस्त कामों के निर्विघ्न संपन्न होने के लिए गणेश-वंदना की परंपरा युगों पुरानी है. भगवान श्री गणेश के महत्व को दर्शाता त्यौहार गणेशोत्सव भी उनकी ही तरह प्रसिद्ध और फलकारी माना जाता है.
गणेशोत्सव की शुरूआत गणेश चतुर्थी से होती है. गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है. गणेश चतुर्थी से अनन्त चतुर्दशी (अनंत चौदस) तक दस दिन गणेशोत्सव मनाया जाता है. भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी ही गणेश चतुर्थी कहलाती है. कहा जाता है भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेशजी का जन्म हुआ था.
गणेशोत्सव पूरे भारत में समान हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है पर महाराष्ट्र में इसकी धूम देखते ही बनती है. गणेश जी की मूर्तियों को लोग गणेश चतुर्थी के दिन स्थापित करते हैं फिर दस दिनों तक इसकी पूजा-अर्चना करने के बाद इसका विसर्जन कर दिया जाता है.
गणेश जी का अवतरण और गणेश चतुर्थी
शिवपुराण की कथा में है कि माता पार्वती ने अपनी देह की उबटन से एक पुतले का निर्माण किया और उसमें प्राण फूंककर अपना पुत्र बना दिया. इस पुत्र के हाथ में दंड (छड़ी जैसा अस्त्र) देकर मां ने उसे अपना द्वारपाल बना दिया और आज्ञा दी कि मैं नहाने जा रही हूं, मेरी अनुमति के बिना किसी को अंदर मत आने देना. उनकी आज्ञा का पालन करते हुए बालक ने भगवान शंकर को घर में प्रवेश नहीं करने दिया. तब शिवजी ने अपने त्रिशूल से उसका मस्तक काट दिया. अपने पुत्र को मरा हुआ देखकर माता पार्वती गुस्से में आ गई. उनके गुस्से को शांत करने के लिए शंकर जी ने उस बालक के सिर पर हाथी का मस्तक लगा दिया. इसके बाद बालक गजमुख हो गया. पुत्र की दुर्दशा से क्रुद्ध जगदंबा को शांत करने के लिए जब देवगणों ने प्रार्थना की, तब माता पार्वती ने कहा- ‘ऐसा तभी संभव है, जब मेरे पुत्र को समस्त देवताओं के मध्य पूज्यनीय माना जाए.’ शिव जी ने उन्हें वरदान दिया- ‘जो तुम्हारी पूजा करेगा, उसके सारे कार्य सिद्ध होंगे.’ ब्रह्मा-विष्णु-महेश ने कहा- ‘पहले गणेश की पूजा करें, तत्पश्चात् ही हमारा पूजन करें.’ इस प्रकार गणेश बन गए ‘गणाध्यक्ष’. ‘गणपति’ का भी तात्पर्य है देवताओं में सर्वोपरि.
घोषित कर दिया गया.
गणेश चतुर्थी व्रत
गणेश चतुर्थी व्रत भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी को रखा जाता है. इस दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए. गणेश चतुर्थी व्रत का संकल्प निम्न मंत्र से किया जाना चाहिए:
‘मम सर्वकर्मसिद्धये सिद्धिविनायक पूजनमहं करिष्ये‘
इसके बाद सोने, तांबे, मिट्टी से बनी गणेश जी की प्रतिमा को कोरे कलश में जल भरकर मुंह पर कोरा कपड़ा बांधकर उस पर स्थापित करें. इसके बाद मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाकर उसकी पूजा करनी चाहिए. फिर दक्षिणा अर्पित करके 21 लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए. इन लड्डुओं में से पांच लड्डू गणेशजी की प्रतिमा के पास रखकर शेष ब्राह्मणों में बांट देना चाहिए.
गणेश चतुर्थी के बाद दसवें दिन गणेश जी का विसर्जन कर देना चाहिए और उनसे प्रार्थना करनी चाहिए कि अगले वर्ष वह जल्दी आएं.
भारत में गणेशोत्सव
महाराष्ट्र में सात वाहन, राष्ट्रकूट, चालुक्य आदि राजाओं ने गणेशोत्सव की प्रथा चलायी थी. कहा जाता है कि शिवाजी की माता जीजाबाई ने पुणे के कस्बा गणपति में गणेश जी की स्थापना की थी और पेशवाओं ने गणेशोत्सव को बहुत अधिक बढ़ावा दिया. मूलतः गणेशोत्सव पारिवारिक त्यौहार था किन्तु बाद के दिनों में लोकमान्य बाल गंगाधर ने इस त्यौहार को सामाजिक स्वरूप दे दिया तथा गणेशोत्सव राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया. तिलक ने गणेशोत्सव के द्वारा आजादी की लड़ाई, छुआछूत दूर करने और समाज को संगठित किया.
आज महाराष्ट्र का गणेशोत्सव विश्व भर में प्रसिद्ध है जहां गणेश भगवान को मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलपूर्ति के नाम से पूजा जाता है.
इस साल गणेश चतुर्थी 01 सितंबर को है और गणेशोत्सव भी एक सितंबर से ही शुरू हो जाएगा. जागरण जंक्शन के सभी पाठकों को गणेश चतुर्थी और गणेशोत्सव की हार्दिक बधाइयां.
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