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भारत आस्था, विश्वास और धर्म की भूमि है. यहां मूर्तियों से लेकर पत्थरों तक को भगवान के रुप में पूजा जाता है. यही वजह है कि भारत की संस्कृति से प्रभावित होकर विदेशों से भी लोग यहां आध्यात्म के रंग में डूबने के लिए आते हैं. भारत में नदी से लेकर पशु-पक्षियों तक को मानव जाति से ऊपर माना जाता है. ‘गाय हमारी माता है’ यह यहां बच्चे बचपन में ही सीख लेते हैं. ऐसी भारतभूमि पर नाग पंचमी भी आस्था और विश्वा का ही एक पर्व है. उल्लेखनीय है कि प्रति वर्ष श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी के रुप में मनाया जाता है.
भारत में पशु-पक्षियों का विशेष सम्मान किया जाता है. गाय जहां हमें श्रीकृष्ण (Lord Krishna) के संदर्भ में प्यारी है तो बंदरों में हम भगवान हनुमान (Lord hanuman) के रुप को देखते हैं और सांपों (Snakes) को भगवान शिव (Lord Shiva) के गले में विराजमान पाते हैं. सांपों का हमारी संस्कृति में विशेष स्थान रहा है. ऐसा माना जाता है कि हमारी धरती शेषनाग (कई सिरों वाला नाग) के फणों के ऊपर टिकी हुई है. जब कभी पाप धरती पर बढ़ता है तो शेषनाग अपने फणों को समेटते हैं और धरती डगमगाने लगती है. यही वजह है कि हम सांपों को इतना पूज्यनीय मानते हैं. हम जानते हैं कि सांपों के काटने से पल भर में मौत हो सकती है पर हम यह भी मानते हैं कि अगर प्रभु यानि ईश्वर की कृपा हुई तो सांप का जहर भी बिना दवा के उतर सकता है. वैसे इस मान्यता में विश्वास कम और अंधविश्वास ज्यादा दिखता है पर फिर भी नाग पंचमी (Nag Panchami) का त्यौहार भारतीय संस्कृति में बहुत प्राचीन समय से है.
इस बार नाग पंचमी 04 अगस्त, 2011 गुरुवार को पड़ रही है. इस साल नागपंचमी पर्व गुरुवार को हस्त नक्षत्र के साथ आ रहा है. इस दिन कालसर्प दोष की शांति और पूजा का पूरा फल मिलेगा.
नाग पंचमी (Nag Panchami)
भारत को सांपों की धरती भी कहा जाता है. और सांपों के इस देश में नाग पंचमी एक प्रमुख त्यौहार है. मुख्यत: हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला यह त्यौहार पवित्र श्रावण (सावन) मास के शुक्ल पक्ष में पांचवें दिन को या पंचमी को मनाया जाता है. यह त्यौहार सांप या नाग की सफेद कमल से पूजा कर मनाया जाता है. सामान्यतः लोग मिट्टी से विभिन्न आकार के सांप बनाते हैं तथा उसे विभिन्न रंगों से सजाते हैं. मिट्टी से बने सांप की मूर्ति को किसी मंच पर रखा जाता है तथा उन पर दूध अर्पित किया जाता है.
गरुड़ पुराण के अनुसार घर के प्रवेश द्वार पर नाग का चित्र बनाया जाता है तथा उनकी पूजा की जाती है. इसे ‘भित्ति चित्र नाग पूजा’ के नाम से भी जाना जाता है. महिलाएं ब्राह्मणों को भोजन, लड्डू तथा खीर ( चावल, दूध तथा चीनी से बना एक विशेष खाद्य) देती हैं. ये ही वस्तुएं सांप को तथा सांप के बिल पर भी अर्पण की जाती हैं.
नाग पंचमी की कहानी (Story Behind Nag Panchami)
नाग पंचमी की पूजा के पीछे कई कथाएं हैं जिनमें एक बेहद लोकप्रिय है जो कुछ इस तरह से है. एक समय एक किसान था जिसके दो पुत्र तथा एक पुत्री थी. एक दिन जब वह अपने खेत में हल चला रहा था, उसका हल सांप के तीन बच्चों पर से गुजरा और सांप के बच्चों की मौत हो गई. अपने बच्चों की मौत को देख कर उनकी नाग माता को काफी दुख हुआ.. नागिन ने अपने बच्चों की मौत का बदला किसान से लेने का निर्णय किया. एक रात को जब किसान और उसका परिवार सो रहा था, नागिन उनके घर में प्रवेश कर गई. उसने किसान, उसकी पत्नी और उसके दो बेटों को डस (काट) लिया. इसके परिणाम स्वरुप सभी की मौत हो गई. किसान की पुत्री को नागिन ने नहीं डसा था जिससे वह जिंदा बच गई. दूसरे दिन सुबह नागिन फिर से किसान के घर में किसान की बेटी को डसने के इरादे से गई. किसान की पुत्री काफी बुद्धिमान थी. उसने नाग माता प्रसन्न करने के लिए कटोरा भर कर दूध दिया तथा हाथ जोड़कर प्रार्थना की कि नागिन उसके पिता को अपने प्रिय पुत्रों की मौत के लिए माफ कर दे. नाग माता इससे काफी प्रसन्न हुई तथा उसने किसान, उसकी पत्नी और उसके दोनों पुत्रों को, जिसे उसने रात को काटा था, जीवन दान दे दिया. इसके अलावा नाग माता ने इस वायदे के साथ यह आशिर्वाद भी दिया कि श्रावण शुक्ल पंचमी को जो महिला सांप की पूजा करेगी उसकी सात पीढ़ी सुरक्षित रहेगी .वह नाग पंचमी का दिन था और तब से सर्प दंश से रक्षा के लिए सांपों की पूजा की जाती है. नाग पंचमी के दिन नाग गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से विशेष फल प्राप्त होता है.
नाग गायत्री मंत्र
“ओम नवकुलाए विदमाह् विषदन्ताय् धीमही तनो सर्पः प्रचोदयात”
नाग पंचमी के दिन नाग के दर्शन अवश्य करना चाहिए और साथ ही नागदेव को दूध भी पिलाना चाहिए. चंदन और सुगंधित पुष्प से पूजा करने से नाग देव अति प्रसन्न होते हैं क्यूंकि उन्हें सुगंध प्रिय है.
लेकिन अब भारतीय संस्कृति में पूजनीय नागों को व्यापारिक लाभ के लिए मारा और बेचा जाता है. सांपों की खाल, जहर और अन्य उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी मंहगे बिकते हैं जिनकी मांग भी काफी है और यही वजह भी है कि सांपों या नागों को अंधाधुंध मारा जाता है. वन विभाग और सरकार की तरफ से सांपों को संरक्षित करने के कई उपाए तो किए जा रहे हैं लेकिन सांपों के इलाके में मानवों की चहल पहल ने इन शांत जीवों को उग्र होने पर विवश कर दिया है.
नाग पंचमी का त्यौहार मनाते हुए हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि आगे से किसी भी ऐसे प्रसाधन या उत्पाद का इस्तेमाल नहीं करेंगे जिसमें सांपों या नागों का प्रयोग हुआ हो. आशा करते हैं कि भविष्य में हमारे बच्चे भी इन सांपों या नागों को देख सकेंगे और हमारी संस्कृति से रूबरू हो सकेंगे.
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